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इद्धिपदेस
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इद्धिपाद
तेविज्जा इद्धिपत्ता च, चेतोपरियायकोविदा, स. नि. 1(1).173; इद्धिपत्ताति इद्धिविधञाणं पत्ता, स. नि. अठ्ठ.
1.188. इद्धिपदेस पु., तत्पु. स. [ऋद्धिप्रदेश], ऋद्धि का एक भाग
या एक क्षेत्र, स्रोतापत्तिमार्ग, सकृदागामी-मार्ग, अनागामीमार्ग इन तीन मार्गों तथा स्रोतापत्ति-फल, सकृदागामीफल तथा अनागामी-फल, इन तीनों फलों वाला ऋद्धि का एक प्रदेश - सं द्वि. वि., ए. व.- ... इद्धिपदेसं अभिनिप्फादेसुं स. नि. 3(2).330; पञ्चमे इद्धिपदेसन्ति तयो च मग्गे तीणि च फलानि, स. नि. अट्ठ. 3.280; इद्धिपदेसन्ति इद्धिया एकदेसं, को पन सोति आह - "तयो च मग्गे तीणि
च फलानी ति, लीन. (स.नि.टी.) 2(2).205. इद्धिपलिबोध पु., तत्पु. स., विपस्सना के दस प्रकार के
अन्तरायों में से एक, ऋद्धि की प्राप्ति के रूप में आध्यात्मिक साधना की एक बाधा - धो प्र. वि., ए. व. -- तस्मा विपस्सनस्थिकेन इद्धिपलिबोधो उपच्छिन्दितब्बो ..... विसुद्धि. 1.95; स. प. के अन्त., - पठमं तावस्स आवासकुललाभगणकम्मद्धानञाति गन्थरोगइद्धिपलिबोधेन,
खु. पा. अट्ठ. 29. इद्धिपहुता स्त्री., तत्पु. स. [ऋद्धिप्रभुता], ऋद्धियों पर प्रभुत्व, ऋद्धियों का प्रभुत्व, ऋद्धियों की प्रचुरता - य च. वि., ए. व. - भगवता जानता ... इद्धिपादा पञत्ता इद्धिपहताय इद्धिविसविताय, दी. नि. 2.157; इद्धिपहतायाति इद्धिपहोनकताय, दी. नि. अट्ठ. 2.210. इद्धिपाटिहारिय नपुं., तत्पु. स. [बौ. सं., ऋद्धि-प्रातिहार्य], धर्मदेशना के क्रम में बुद्ध द्वारा प्रदर्शित तीन प्रकार के चमत्कारों में प्रथम, ऋद्धियों का चमत्कार, दिव्य अलौकिक शक्तियों का चमत्कारमय प्रदर्शन - यं प्र. वि., ए. व. - कतमानि तीणि ? इद्धिपाटिहारियं, आदेसनापाटिहारियं, अनुसासनीपाटिहारियं, दी. नि. 1.196; - येन तृ. वि., ए. व. - तत्थ इद्धिपाटिहारियेन अनुसासनीपाटिहारियं ..... आदेसनापाटिहारियेन ... धम्मसेनापतिस्स, दी. नि. अट्ठ. 1.292; इद्धिपाटिहारियेन अनुसासनीपाटिहारियेन च सत्तानं अनुग्गहं करोन्तो विहरति, थेरगा. अट्ठ. 1.228; - ये सप्त. वि., ए. व. - इमं खो अहं, केवट्ट, इद्धिपाटिहारिये आदीनवं ... जिगुच्छामि, दी. नि. 1.197; - करण नपुं.. तत्पु. स. [बौ. सं., ऋद्धिप्रातिहार्यकरण], ऋद्धिचमत्कारों का प्रदर्शन, अलौकिक दिव्य शक्तियों का प्रदर्शन - णं द्वि. वि., ए. व. - सत्था भिक्खूनं इद्धिपाटिहारियकरणं
पटिक्खिपि, जा, अट्ठ. 4.235%3; ननु भगवता इद्धिपाटिहारियकरणं पटिक्खित्तन्ति, उदा. अट्ठ. 350; -- यानुसासनी स्त्री., ऋद्धिचमत्कार-विषयिणी शिक्षा या उपदेश - निया तृ. वि., ए. व. - आयस्मा महमोग्गल्लानो
इद्धिपाटिहारियानुसासनिया ... अनुसासि, चूळव. 340. इद्धिपाटिहीर नपुं, कर्म. स. [बौ. सं., ऋद्धिप्रातिहार्य],
ऋद्धिबल का आश्चर्यजनक प्रदर्शन, अद्भुत ऋद्धिचमत्कार - रेन तृ. वि., ए. व. - इद्धिपाटिहीरेन अङ्गुलियो अदीपेत्वा यं सब्बेसं धम्मानं..., पेटको. 223. इद्धिपाद पु./नपुं.. [बौ. सं., ऋद्धिपाद], 1. ऋद्धि अथवा अलौकिक दिव्य शक्ति के चार घटक, ऋद्धि के चार आधारभूत तत्त्व, छन्द, चित्त, विरिय एवं वीमंस नामक ऋद्धि के चार आधार या घटक, 2. ऋद्धि नाम से लोकव्यवहार में प्रसिद्ध अभिज्ञा चित्तों के साथ जुड़े हुए छन्दसमाधि एवं सम्यक प्रधान के आधारभूत शेष चित्त एवं चैतसिक, ऋद्धि के लाभ अथवा प्रतिलाभ के लिए आधारभूत मार्ग - दो प्र. वि., ए. व. - इद्धिया पादो इद्धिपादो छन्दादीनमेतं अधिवचनं, विसुद्धि. 2.13; कतमो चानन्द, इद्धिपादो ? यो आनन्द, मग्गो या पटिपदा इद्धिलाभाय इद्धिपटिलाभाय संवत्तति अयं वुच्चतानन्द इद्धिपादो, स. नि. 3(2).356; पुब्बे वुत्तेन इज्झनटेन इद्धि तरसा सम्पयुत्ताय पुब्बङ्गमद्वेन फलभूताय पुब्बभागकारणद्वेन च इद्धिया पादोति इद्धिपादो, विसुद्धि. 2.317; - दं' नपुं.. प्र. वि., ए. व. - इद्धिपादन्ति निप्फत्तिपरियायेन इज्झनद्वेन वा, इज्झन्ति एताय सत्ता ... इमिना वा परियायेन इद्धीति सङ्घयं गतानं अभिआचित्तसम्पयुत्तानं छन्दसमाधिपधानसङ्खारानं अधिट्ठानद्वेन पादभूतो सेसचित्तचेतसिकरासी ति अत्थो, दी. नि. अट्ठ. 2.210; विसुद्धि. 2.13; इद्धिया पादं, इद्धिभूतं वा पादन्ति इद्धिपाद, अ. नि. अट्ठ. 1.374; - दा प्र. वि., ब. व. - "चत्तारो इद्धिपादा छन्दिद्धिपादो चित्तिद्धिपादो विरियिद्धिपादो वीमंसिद्धिपादोति, विसद्धि. 2.317; इद्धिपादाति एत्थ इज्झनटेन इद्धि, पतिद्वानटेन पादाति वेदितब्बा, दी. नि. अट्ठ. 2.210; चत्तारो सतिपट्ठाना चत्तारोसम्मप्पधाना चत्तारो इद्धिपादा पञ्चिन्द्रियानि पञ्च बलानि सत्त बोज्झङ्गा अरियो अटुङ्गिको मग्गो, दी. नि. 2.92; -दं द्वि. वि., ए. व. - भिक्खु छन्दसमाधि ... सङ्घारसमन्नागतं इद्धिपादं भावेति, स. नि. 3(2).355; - देसु सप्त. वि., ब. व. - इद्धिपादेसु छन्दं निस्साय पवत्तो समाधि छन्दसमाधि, अ. नि. अट्ठ. 1.374; - दानं ष. वि., ब. व. - सो इमेसं
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