Book Title: Pali Hindi Shabdakosh Part 01 Khand 02
Author(s): Ravindra Panth and Others
Publisher: Nav Nalanda Mahavihar

View full book text
Previous | Next

Page 345
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir इत्थिपरिग्गह 318 इत्थिभाव इत्थिपरिग्गह पु., तत्पु. स. [स्त्रीपरिग्रह], स्त्री के रूप में निजी सम्पत्ति, स्वामित्व या अधीनता में रहने वाली स्त्री, अन्तःपुर की नारी - हो प्र. वि., ए. व. - बहु तत्थ इत्थिपरिग्गहो, म. नि. 2.268; थियोति इस्थिपरिग्गहो वुच्चति, महानि. 8; इत्थीति थियति एतिस्संगमोति इत्थी, परिग्गहोति सहायी सस्सामिका, महानि. अट्ठ. 42. इत्थिपुम द्व. स., स्त्री एवं पुरुष क. नपुं., समाहार द्व. स., स्त्रियों एवं पुरुषों का समूह - मं प्र. वि., ए. व. - आदिग्गहणं किमत्थं? दासिदासं, इत्थिपुमं... दीघमज्झिमं इच्चेवमादि, क. व्या. 324; ख. पु., इतरेतर द्व. स., स्त्री एवं पुरुष- मा प्र. वि., ब. व. - न इत्थिपुमा पञआयन्ति, दी. नि. 3.63; इत्थी पुमा कुमारा च, बहू चेव कुमारिका, अप. 2.270; - मानं ष. वि., ब. व. - यो सब्बलोकस्स। निवातवुत्ति इत्थीपुमानं सहदारकानं, जा. अट्ठ. 4.68; - नपुंसकसंख्य त्रि., द्व. स., स्त्रीलिङ्ग, पुल्लिङ्ग एवं नपुंसकलिङ्ग को कहने वाला - ख्यं नपुं., प्र. वि., ए. व. - इत्थिपुमनपुंसकसंख्य, क. व्या. 131. इत्थिपुम्भावलक्खण त्रि., ब. स., स्त्रीत्त्व एवं पुरुषत्व के लक्षणों से युक्त (स्त्री-इन्द्रिय एवं पुरुषेन्द्रिय)- णं नपुं., प्र. वि., ए. व. - वसे वत्तेति लिङ्गान-मित्थिपुम्भावलक्षणं इत्थीति च पुरिसोति, पकासनरसं तथा, ना. रु. प. 519. इत्थिपुरिस पु., द्व. स. [स्त्रीपुरुष], स्त्री एवं पुरुष - सा प्र. वि., ब. व. - इत्थिपुरिसा दासिदासा, मि. प. 148%B इत्थिपुरिसा अविज्जमाना, रूपं विज्जमानं, प. प. अट्ठ. 27; --- सानं ष. वि., ब. व. - हञ्चि अरहा इत्थिपुरिसानं नामगोत्तं न जानेय्य, कथा. 154; स. प. के अन्त., - इत्थिपरिसादिपरिकप्पवसेन निच्चादिवसेन अत्तत्तनियगाहवसेन च अभिरता ..., उदा. अट्ठ. 173; - निमित्त नपुं., तत्पु. स. [स्त्रीपुरुषनिमित्त], स्त्रीत्व एवं पुरुषत्व का द्योतक विशिष्ट चिह्न, स्त्री एवं पुरुष के लैङ्गिक चिह्न - त्तं द्वि. वि., ए. व. - इत्थिपुरिसनिमित्तं वा सुभनिमित्तादिकं वा ... निमित्तं न गण्हाति, विसु द्धि. 1.20; - निस्सित/सरीरनिस्सित त्रि., [स्त्रीपुरुषनिःश्रित]. स्त्री तथा पुरुष के शरीर के साथ जुड़ा हुआ, स्त्री एवं पुरुष के शरीर पर आश्रित - तं न, द्वि. वि., ए. व. - खदापरेता भुज्जामि, इत्थिपुरिसनिस्सितं, पे. व. 131; इस्थिपुरिससरीरनिस्सितं यथावुत्तं अञ्जञ्च चम्ममंसन्हारुपुब्बादिकं परिभुजामीति, पे. व. अट्ठ, 68; - भाव पु., [स्त्रीपुरुषभाव], स्त्रीभाव एवं पुरुषभाव - वं द्वि. वि., ए. व. - न केवलं इत्थिपुरिसभावमेव ... यथावृत्तं एतं इत्थिभावं पुरिसभावं, पे. व. अट्ठ. 144; - सन्निपात पु., तत्पु. स. [स्त्रीपुरुषसन्निपात], स्त्रियों एवं पुरुषों का जमघट या समूह - तेन तृ. वि., ए. व. - सुओ इत्थिपुरिससन्निपातेन अस्थि चेविदं... पटिच्च एकत्तं, म. नि. 3.148; - सानुपस्सी त्रि., स्त्रियों एवं पुरुषों की अनुपश्यना करने वाला, स. उ. प. के रूप में - नापि केसलोमादिविनिमुत्तइत्थिपुरिसानुपस्सी, म. नि. अट्ठ. (मू.प.) 1(1).252. इत्थिफोहब्ब पु./नपुं, तत्पु. स., स्त्री के स्पर्श की (सुखद) अनुभूति, स्त्री का स्पर्श - ब्बो पु. प्र. वि., ए. व. - परिसस्स चित्तं परियादाय तिट्टति यथयिदं, भिक्खवे, इत्थिफोडब्बो, अ. नि. 1(1).2; इत्थिया कायसम्फस्सो, इत्थिसरीरारुळहानं वत्थालङ्कारमालादीनम्पि फस्सो इत्थिफोहब्बोत्वेव वेदितब्बो, अ. नि. अट्ठ. 1.21; --ब्बं प्र. वि., ए. व. - नाहं भिक्खवे. ... एकफोहब्बम्पि समनपस्सामि एवं रजनीयं एवं कमनीयं... यथयिदं, भिक्खवे, इत्थिफोहब, अ. नि. 2(1).63; - ब्बे सप्त. वि., ए. व. - इत्थिफोडब्बे, भिक्खवे, सत्ता रत्ता गिद्धा गथिता मच्छिता अज्झोपन्ना, ते दीघरत्तं सोचन्ति इत्थिफोहब्बवसानगा, अ. नि. 2(1).63. इत्थिबल नपुं.. तत्पु. स. [स्त्रीबल], स्त्री की शक्ति, नारी की शक्ति – लं प्र. वि., ए. व. – सब्बबलेहि इत्थिबलमेव महन्तन्ति अत्थो, जा. अट्ठ. 3.456. इत्थिभण्ड पु., तत्पु. स. [स्त्रीभाण्ड], स्त्री का अपना सामान, स्त्री के अपने स्वामित्व में रहने वाले गहने आदि - ण्डेन त. वि., ए. व. - इत्थिभण्डे न गृहाम तुम्हत्थाय महामुने, अप. 2.263. इत्थिभाव पु., तत्पु. स. [स्त्रीभाव], क. स्त्रीत्व, नारी-भाव, स्त्रीवर्ग, नारी-समूह, स्त्री-इन्द्रिय के निर्वचनक्रम में प्रयुक्त, - वो प्र. वि., ए. व. - इत्थिभावो पुम्भावो इस्थिन्द्रियन्ति च वुच्चति, सद्द. 1.67; यं इत्थिया इथिलिङ्ग इत्थिनिमित्तं इत्थिकुत्तं इत्थाकप्पो इत्थत्तं इत्थिभावो - इदं तं रूपं इत्थिन्द्रियं ध. स. 632(मा.); इस्थिन्द्रियन्तिआदीसु इत्थिभावे इन्द8 करोतीति इत्थिन्द्रिय, स. नि. अट्ठ. 3.265; -- वं द्वि. वि., ए. व. - "अहं तं आनेस्सामि, पस्स ताव मम इत्थिभावन्ति वत्वा, थेरगा. अट्ठ. 2.106; ख. पापकर्मों के विपाक के रूप में प्राप्त स्त्री के रूप में पुनर्जन्म या पुनर्भव, स्त्री के रूप में हीन पुनर्भव - वो प्र. वि., ए. व. - दुक्खो इत्थिभावो, अक्खातो परिसदम्मसारथिना, थेरीगा. 2163; For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402