Book Title: Pali Hindi Shabdakosh Part 01 Khand 02
Author(s): Ravindra Panth and Others
Publisher: Nav Nalanda Mahavihar

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Page 308
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आहारनिरोध 281 आहारलोलता आहारनिरोध पु., तत्पु. स. [आहारनिरोध], आहार का अन्त या उच्छेद, आहार की समाप्ति -धो प्र. वि., ए. व. - तण्हानिरोधा आहारनिरोधो, म. नि. 1.60; कतमो आहारनिरोधो, कतमा आहारनिरोधगामिनी पटिपदा, म. नि. 1.60; - धा प. वि., ए. व. - तदाहारनिरोधा यं भूतं तं निरोधधम्मन्ति, स. नि. 1(2),43: आहारनिरोधा रूपनिरोधो, स. नि. 2(1).54; आहारनिरोधाति पवत्तिपच्चयस्स कबळीकाराहारस्स अभावे, विसुद्धि. महाटी. 2.3953; आहारनिरोधा कायस्स अत्थङ्गमो, स. नि. 3.259. आहारनेत्तिप्पभव त्रि., ब. स., चार प्रकार के आहारों एवं तृष्णा-नामक नेत्री से उत्पन्न होने वाला - वं नपुं., प्र. वि., ए. व. - आहारनेत्तिप्पभवं नालं तदभिनन्दितुं, इतिवु. 28; चतुबिधो आहारो च तण्हासढाता नेत्ति च पभवो समुट्ठानं एतस्साति आहारनेत्तिप्पभवं, इतिवु. अट्ठ. 143. आहारपच्चय' पु., 24 प्रकार के प्रत्ययों में से अन्यतम प्रत्यय, शरीर के संधारण में प्रत्ययभूत भोजन ही आहारप्रत्यय कहलाता है - यो प्र. वि., ए. व. - आहारपच्चयो, विसुद्धि. 2.161; रूपारूपानं उपत्थम्भकट्टेन उपकारका चत्तारो आहारा आहारपच्चयो, विसुद्धि. 2.167; - येन तृ. वि., ए. व. - "कबळीकारो आहारो इमस्स कायस्स आहारपच्चयेन पच्चयो ति, विसुद्धि.2.250; किञ्चि आहारपच्चयेनाति एवं अथापि पच्चयो होति, विभ. अट्ठ. 165; - या प. वि., ए. व. - यं किञ्चि दुक्खं सम्भोति सब् आहारपच्चयाति, सु. नि. 194; पाठा. आरम्भपच्चया. आहारपच्चय त्रि., आहार को प्रत्यय बना कर उत्पन्न या उदित - यं नपुं., प्र. वि., ए. व. - आहारजेसुपि आहारो आहारसमुट्ठानं आहारपच्चयं ... (रूप), विसुद्धि. 2.250. आहारपटिक्कूलसा स्त्री., आहार-विषयक प्रतिकूल मानसिक अनुचिन्तन, आहार का प्रतिकूलभाव से प्रत्यवेक्षण - निद्देस पु., विसुद्धि के समाधिनिद्देस नामक ग्यारहवें अध्याय में आहार के विषय में प्रतिकूल भावना का अनुशीलन - तो प. वि., ए. व. – वित्थारकथा पनेत्थ विसुद्धिमग्गे आहारपटिकूलसआनिद्देसतो गहेतब्बा, विभ. अट्ट, 342. आहारपरिग्गह पु., तत्पु. स. [आहारपरिग्रह], आहार के विषय में संयम अथवा नियन्त्रण - हो प्र. वि., ए. व. - आहारपरिग्गहो, मि. प. 230; स. प. के अन्त; आतापो परितापो ठानचङ्कमनिसज्जासयनाहारपरिग्गहो, मि. प. 287. आहारपरिभोग पु., तत्पु. स. [आहारपरिभोग]. आहार का उपभोग, भोजन को ग्रहण करना- आहारपरिभोगे, ध. स. अट्ठ. 421; स. प. के अन्त.; ... मङ्गल आहारपरिभोगमङ्गलेपि... पञ्चन्नं भिक्खुसत्तानं अप्पोदकमा पायसमेव अदंसु, ध, प. अट्ठ. 1.298. आहारपरियेट्ठि स्त्री., तत्पु. स., भोजन की तलाश - हिं द्वि. वि., ए. व. - आहारपरियेटिं अकत्वा..., चरिया. अट्ठ. 23; - या तृ. वि., ए. व. - आहारपरियेट्ठिया, चरिया. अट्ठ. 27; - मूलक त्रि., भोजन की तलाश में जड़ जमाया हुआ, भोजन की तृष्णा से जनित - पच्चुपन्ने आहारपरियेटिमूलकं दुक्खन्ति, म. नि. अट्ठ. (मू.प.) 1(1).308. आहारपरियेसन नपुं., तत्पु. स., उपरिवत् - नं द्वि. वि., ए. व. - आहारपरियेसनं चरति, स. नि. अट्ठ. 1.182; - दुक्ख नपुं., आहार की खोज में प्राप्त दुख - क्खं प्र. वि., ए. व. - आहारपरिये सनदुक्ख ..., आहारपरियेसनमूलस्स, बु. वं. अट्ठ.90. आहारपरिस्सय पु., तत्पु. स., आहार की कमी, आहार की अल्पता- यो प्र. वि., ए. व. - आहारपरिस्सयो, अ. नि. अट्ठ. 2.107. आहारमन्दता स्त्री., तत्पु. स., आहारविषयिणी दरिद्रता, भूखों मरने की स्थिति-य तृ. वि., ए. व. - आहारमन्दताय, स. नि. अट्ठ. 2.97. आहारमय त्रि., आहार से निर्मित, नाना प्रकार के आहारों से परिपूर्ण - यं नपुं॰, प्र. वि., ए. व. - आहारमयं रूपं छातसुहितवसेन पाकट होति, विसुद्धि. 2.257; - येन तृ. वि., ए. व. -- आहारमयेनाति नानप्पकारेन आहारेनेव, जा. अट्ठ. 3.461; - तो प. वि., ए. व. - आहारमयतो, विसुद्धि. 2.252. आहाररस पु., तत्पु. स., आहार का सारतत्त्व, भोजन का रस - सो प्र. वि., ए. व. - आहाररसो संसरित्वा आहारसमुट्ठानरूपं समुट्ठापेति, स. नि. अट्ठ. 1.265; - से सप्त. वि., ए. व. - रसग्गहणमूलकत्ता अज्झोहरणस्स जीवितहेतुम्हि आहाररसे, विसुद्धि. महाटी. 2.160. आहाररूप नपुं., रूपधर्म के रूप में आहार, स्थूल आहार, ग्रास लेकर खाया जाने वाला भौतिक आहार - पं प्र. वि., ए. व. - वत्थुरूपं च हदयं यं धातुद्वयनिस्सयं कबळीकारमाहाररूपमिच्चाह पण्डिता, ना. रू. प. 490. आहारलोलता स्त्री., तत्पु. स., आहार के प्रति लालच, भोजन-लिप्सा - य तृ. वि., ए. व. - पञ्चहि लोलताहि लोलो होति, - आहारलोलताय, अलङ्कारलोलताय, For Private and Personal Use Only

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