Book Title: Pali Hindi Shabdakosh Part 01 Khand 02
Author(s): Ravindra Panth and Others
Publisher: Nav Nalanda Mahavihar
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इण
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इणदान
अप्पहीने अत्तनि समनुपस्सति, म. नि. 1.348; तस्मा तेसं इणं ददे, जा. अठ्ठ. 4.249; - णेन तृ. वि., ए. व. - एको पन बहु इणं खादित्वा तेन इणेन अट्टो पीळितो तम्हा गामा पलायति, म. नि. अट्ठ. (म.प.) 2.129; - तो प. वि., ए. व. - इणतो सइणे भिक्खू मोचेसि सासनप्पियो, म. वं. 36. 39; - स्स ष. वि., ए. व. - इणस्स वा पमोक्खाय, दुभिक्खे आपदासु वा, खु. पा. 9; इणस्स अकतभावेन तुट्ठो, जा. अट्ठ. 4.248; - णे सप्त. वि., ए. व. - वन्धनत्थप्पयोगे बन्धनहेतुम्हि इणे, सद्द. 3.707; मुहावरों के रूप में कतिपय प्रयोग, क. ऋणदाता के सन्दर्भ में प्रयुक्त होने पर, 1. Vदा के क्रि. रू. के साथ, उधार देता है - णं द्वि. वि., ए. व. - न पण्डिता तस्मि इणं ददन्ति, न हि आगमो होति तथाविधम्हा, जा. अट्ठ. 7.135; 2. Vकर के क्रि. रू. के साथ, ऋण स्वीकृत करता है - ब्राह्मणो .... मय्ह इणं करिस्सति, जा. अट्ठ. 4.247; ... अस्से च स्थञ्च पसाधनभण्डञ्च तस्स इणं कत्वा दस्सेन्तो..... जा. अट्ठ, 6.21; 3. 'पयोजेति' के साथ, ब्याज कमाने हेतु उधार लगा देता है - इणं चोदायाति भिक्खाचरियाय धनं संहरित्वा वडिया इणं पयोजेत्वा .... जा. अट्ठ. 4.165; ख. ऋण लेने वाले के सन्दर्भ में प्रयुक्त होने पर 'इणं' का प्रयोग प्रायः निम्नरूप में प्राप्त; 1. निय्यादेति/निय्यातेति के क्रि. रू. के साथ, ब्याज के साथ ऋण चुका देता है - "इदं इणं नाम पलिबोधमूलन्ति चिन्तेत्वा सवड्विक इणं निय्यातेत्वा पण्णं फालापेय्य, म. नि. अट्ठ. (मू.प.) 1(2).215; 2. 'आदीयति' अथवा 'आदाय' अथवा 'गह के क्रि. रू. के साथ प्रयुक्त रहने पर, कर्ज लेता है, ऋण लेता है - सो तेसं अच्चयेन ... नानाब्यसनमुखेहि इणं आदाय तं दातुं असक्कोन्तो..., जा. अट्ठ4.228; यो हवे इणमादाय, चुज्जमानो पलायति, सु. नि. 120; इणमादायाति... इणं गहेत्वा, सु. नि. अट्ठ. 1.142-43; ... मनुस्सानं हत्थतो बहु इणं गहेत्वा ..., जा. अट्ठ. 4.144; 3. वि + Vगाह के क्रि. रू. के साथ प्रयुक्त होने पर, कर्ज में डूब जाता है- उदकमिव इणं विगाहति, दी. नि. 3.140; 4. 'सोधेति' के साथ प्रयुक्त होने पर, कर्ज अदा कर देता है, ब्याज सहित ऋण को चुका देता है - "उपळे मया गहितं इणं सोधेत्वा सुखेन जीवतूति मह धीताय दथागत आह, पे. व. अट्ठ. 241; स. उ. प. के रूप में अण./अणि., अधम., उत्तम., कामछन्द के अन्त. द्रष्ट..
इणग्गहण नपुं., तत्पु. स. [ऋणग्रहण], कर्ज लेना, ऋण
को स्वीकार करना --- णं द्वि. वि., ए. व. - इणादानस्मि वदामीति इणग्गहणं वदामि, अ. नि. अट्ठ. 3.118. इणगाहक पु., [ऋणग्राहिन्], ऋण लेने वाला, कर्जखोर, उधार लेने वाला - स्स ष. वि., ए. व. - इणग्गाहकस्स
एक अङ्ग गहेतब्ब, मि. प. 330. इणघात त्रि., [ऋणघातक], कर्ज मारने वाला, ऋण लेकर
उसे नहीं लौटाने वाला - ता पु.. प्र. वि., ब. व. - इणघातसूचकाति वसलसुत्ते वृत्तनयेन इणं गहेत्वा तस्स अप्पदानेन इणघाता, सु. नि. अट्ठ 1.265; - सूचक त्रि., द्व. स., कर्ज़ मारने वाला एवं इधर की बात उधर करने वाला अथवा चुगली करने वाला - का पु.. प्र. वि., ब. व. - ये पापसीला इणघातसूचका, सु. नि. 249; इणघातसूचकाति वसलसुत्ते वुत्तनयेन इणं गहेत्वा तस्स अप्पदानेन इणघाता पेसुओन सूचका च, सु. नि. अट्ठ. 1.265. इणट्ट त्रि., तत्पु. स. [ऋणार्त], ऋणग्रस्त, कर्ज़ का मारा हुआ, ऋण के कारण विपत्तिग्रस्त - डो पु., प्र. वि., ए. व. - एको पन बहु इणं खादित्वा तेन इणेन अट्टो पीळितो तम्हा गामा पलायति ... अयं इणट्टो नाम, म. नि. अट्ठ. (म.प.) 2.129; कदा इणट्टोव दलिद्दको निधि आराधयित्वा धनिकेहि पीळितो, थेरगा. 1109; "किं त्वं इणट्टो वा भयट्टो वा जीवितुं असक्कोन्तो पब्बजितो ति? स. नि. अट्ठ. 2.212; - डा ब. व. - ये पन इणं गहेत्वा पटिदातुं असक्कोन्ता पलायित्वा पब्बजन्ति, ते इणट्टा नाम, इणपीळिताति अत्थो, - इणट्ठातिपि पाठो, इणे ठिताति अत्थो, स. नि. अट्ठ. 2.267; न इणट्टा अगारस्मा अनगारियं पब्बजिता, म. नि. 2.136; केचि इणट्टा पब्बजन्ति, मि. प. 28. इणट्ठ त्रि., [ऋणस्थ], ऋण में स्थित, कर्ज में डूबा हुआ -
हा पु., प्र. वि., ब. व. - इणट्टातिपि पाठो, इणे ठिताति
अत्थो , स. नि. अट्ठ. 2.267. इणट्ठान नपुं, तत्पु. स., ऋण का स्थान, कर्ज़ का स्थान
- ने सप्त. वि., ए. व. - मया पन रो सन्तक निवापपानभोजनं भुत्तं तं मे इणट्टाने ठितं. जा. अट्ठ.
3.239. इणदान नपुं, तत्पु. स. [ऋणदान], 1. आजीविका के पवित्र साधन के रूप में कर्ज देना या उधार देना, साहूकारी- नं प्र. वि., ए. व. - कसिवाणिज्जा इणदानं.
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