Book Title: Pali Hindi Shabdakosh Part 01 Khand 02
Author(s): Ravindra Panth and Others
Publisher: Nav Nalanda Mahavihar

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Page 328
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir इट्ठवड्डकी 301 इण इट्ठवड्ढकी पु., तत्पु. स. [बौ. सं. इष्टावर्धकिन], ईंटों से विसुद्धि. 1.161; - अनुभवनलक्खण त्रि., ब. स. मकान बनाने वाला मिस्त्री या कारीगर, ईंट बनाने वाला [इष्टानिष्टानुभवनलक्षण], इष्ट (प्रिय) एवं अनिष्ट (अप्रिय) कारीगर, अभीप्सित या इच्छित कारीगर, प्र. वि., ए. व. - अनुभव के लक्षणों से युक्त - णा स्त्री., प्र. वि., ए. व. वसभेन हते तस्मिं तं आदाय इट्ठवड्डकी, धीतुहाने ठपेत्वान - इट्ठानिट्ठअनुभवनलक्खणा वेदना, नेत्ति. 25. वड्डेसि अत्तनो घरे, म. वं. 35.102 103; तुल., इट्ठकवड्डकी. इट्ठाभिमत त्रि., [इष्टाभिमत], प्रिय अथवा वाञ्छनीय माना इट्ठविपाक पु., कर्म. स. [इष्टविपाक], प्रिय अथवा मन के गया - तो पु., प्र. वि., ए. व. - एकच्चस्स हि इट्ठाभिमतो लिए अनुकूल लगने वाला परिणाम, अनुकूल अथवा एकच्चस्स अनिट्ठो होति, उदा. अट्ठ. 163. इच्छानुरूप विपाक - के सप्त. वि., ए. व. - आरोग्ये इद्वारम्मण नपुं, कर्म. स. [इष्टालम्बन], मन द्वारा चाहा कुसल इट्ठविपाके कुसलो तथा, अभि. प. 803. गया आलम्बन, मनोनुकूल विषय, वाञ्छित अथवा प्रिय इट्ठवियोग पु., तत्पु. स. [इष्टवियोग]. चाही गई वस्तु से आलम्बन (मन/इन्द्रियों द्वारा ग्राह्य बाह्य पदार्थ)-- णं विछोह, प्रिय से बिलगाव या विछोह, स. प. में- तादिसरस द्वि. वि., ए. व. - चक्खुद्वारे इट्ठारम्मणं अनुभवितुकामेन खीणासवमुनिनो अब्भन्तरे इट्ठवियोगादिवत्थुका सोका हि चित्तकारपोत्थकाररुपकारादयो पक्कोसापेत्वा ..., स. चित्तसन्तापा न होन्ति, उदा. अट्ठ. 207. नि. अट्ट, 1.39; - णे सप्त. वि., ए. व. - चक्खुद्वारे पन इट्ठसम्मत त्रि., [इष्टसम्मत], चाहने योग्य अथवा वाञ्छनीय इद्वारम्मणे आपाथगते भवङ्ग आवदे॒त्वा ... कुसलमेव उप्पादेति, के रूप में माना गया - तं नपुं, द्वि. वि., ए. व. - स. नि. अट्ठ. 3.94-95; इट्ठारम्मणे अरज्जन्तस्स ..., ध. प. इट्ठसम्मतं गन्धायतनं आलम्बित्वा, रूपा. वि. 153 (रो.); - अट्ठ. 2.330; - णानि प्र. वि., ब. व. - चतुत्थे तेसु नपुं., सप्त. वि., ब. व. - इट्ठसम्मतेस छस आरम्मणेसु. कमनीयानीति रूपादीनि इट्ठारम्मणानि, स. नि. अट्ठ. 1.573 रूपा. वि. 153(रो.). - पटिलाभ पु., तत्पु. स. [इष्टालम्बनप्रतिलाभ], अनुकूल इट्ठसुत्त नपुं., व्य. सं., अ. नि. के एक सुत्त का शीर्षक, अ... अथवा प्रिय आलम्बन का लाभ, मनोनुकूल आलम्बन को नि. 2(1).43. पा लेना - भं द्वि. वि., ए. व. - एवञ्च इहानिट्ठ त्रि., द्व. स. [इष्टानिष्ट, इच्छित एवं अनिच्छित, पञ्चद्वारिकइद्वारम्मणप्पटिलाभ कित्तेत्वा इदानि मन के लिए अनुकूल एवं प्रतिकूल, वाञ्छनीय एवं मनोद्वारिकइहारम्मणप्पटिलाभं दस्सेतुं, उदा. अट्ठ. 164; अवाञ्छनीय - हा स्त्री., प्र. वि., ब. व. - निपतन्ति, - द्वारम्मणसमायोग पु., तत्पु. स., अनुकूल अथवा प्रिय महाराज, इमस्मिं चातुमहाभूतिके काये इट्ठानिट्ठा आलम्बनों का एक जुट हो जाना - तो प. वि., ए. व. सुभासुभवेदना, मि. प. 139; - टु नपुं. प्र. वि., ए. व. - इट्ठारम्मणसमायोगतो उप्पन्नेसु सुखेस. उदा. अट्ठ. - जयपराजयो होति... इहानिर्ल्ड होति, महानि. 123; - 144. टुं नपुं.. द्वि. वि., ए. व. - इट्ठानिg निस्साय अनुनयपटिघं इट्ठि स्त्री., Vयज से व्यु. [इष्टि], यज्ञ - इट्टि, सिट्टि, भित्ति, निस्साय, छन्दो पहोति, महानि. 194; - द्वे सप्त. वि., ए. भत्ति ..., मो. व्या. 5.49. व. - तादीति अरहा पञ्चहाकारेहि तादी इट्ठानिढे तादी, इडगलिस्सर पु., व्य. सं., दक्षिण भारत के एक प्राचीन गांव महानि. 82; स. प. के अन्त., - हादि त्रि., इष्ट एवं का नाम, प्रायः एरुक्काट नामक एक अन्य गांव के साथ अनिष्ट आदि - दीसु सप्त. वि., ब. व. - इमं तस्स __ प्रयुक्त - रे सप्त. वि., ए. व. -- एरुक्काट्टव्हये चेव गामे इहानिद्वादीसु तादिभावदीपकं उदानं उदानेसि, उदा. अट्ट इडगळिस्सरे, चू. वं. 76.149. 59; - भाव पु., [इष्टानिष्टभाव], वाञ्छनीयता एवं इण/ इणु गत्यर्थक धातु - इण-फेण द्वयं गते, धा. मं. अवाञ्छनीयता - वो प्र. वि., ए. व. - इट्ठानिट्ठभावो च 29; इणु गतियं, इणोति, इणं इणायिको, सद्द. 2.507. पुग्गलवसेन च द्वारवसेन च गहेतब्बो, उदा. अट्ठ. 163;- इण नपुं., Vइणु से व्यु. [ऋण]. शा. अ., कर्जा, उधार, विपरीतानुभवनलक्खण त्रि., ब. स., अनुकूल एवं ला. अ., दायित्व, कर्तव्य - णं' प्र. वि., ए. व. - प्रतिकूल, इन दोनों से विपरीत अनुभव के लक्षण उद्धारो तु इणं वुत्तं, अभि. प. 471; पेत्तिकं वा इणं होति, वाला/वाली - णा स्त्री., प्र. वि., ए. व. - सा यं वा होति सयंकतं, जा. अट्ठ. 7.38; - णं' द्वि. वि., ए. इहानिट्ठविपरीतानुभवनलक्खणा, मज्झत्तरसा... वेदितब्बा, व. - भिक्खु यथा इणं यथा रोगं... इमे पञ्च नीवरणे For Private and Personal Use Only

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