Book Title: Pali Hindi Shabdakosh Part 01 Khand 02
Author(s): Ravindra Panth and Others
Publisher: Nav Nalanda Mahavihar

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Page 337
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir इतिहीतिह 310 इतो इतिहीतिह नपुं, इतिह + इतिह के योग से व्यु., जनश्रुति, सुनी सुनाई बात, अफवाह, किंवदन्ती-हं प्र. वि., ए. व. - इदहि जातु मे दिलु, नयिद इतिहीतिह, स. नि. 1(1).181; न यिद इतिहीतिहन्ति इदं इतिह इतिहाति न तक्कहेतु वा नयहेतु वा पिटकसम्पदानेन वा अहं वदामि, स. नि. अट्ठ 1.194; न इतिहितिह, न इतिकिराय, न परम्पराय, महानि. 265; न इतिहितिहन्ति “एवं किर आसि, एवं किर आसी ति न होति. महानि. अट्ठ. 314; - हेन त. वि., ए. व. - "इति आह इति आहाति एवं इतिहीतिहेन गहेतब्बं न होति, जा. अट्ठ 1.431; - परम्परा स्त्री.. परम्परा में प्रचलित या परम्परा पर आधारित जनश्रुति अथवा किंवदन्ती, अविच्छिन्न रूप से पूर्वकाल से चली आ रही परम्परा में विद्यमान जनश्रुति- य तृ. वि., ए. व. - सो अनुस्सवेन इतिहितिहपरम्पराय पिटकसम्पदाय धम्म देसेति, म. नि. 2.199; ब्राह्मणानं पोराण मन्तपद इतिहितिहपरम्पराय पिटकसम्पदाय, म. नि. 2.387; इतिहितिह परम्परायाति एवं किर एवं किराति परम्परभावेन आगतन्ति दीपेति, म. नि. अट्ठ. (म.प.) 2.298. इतो अ., प. वि., प्रतिरू. स्थानसङ्केतक निपा., 'इम' सर्वनाम । से व्यु. [इतः], 1. यहां से, इधर से, इससे - सब्बरसेव इमसहस्स इकारो होति थं-दानि-ह-तो-ध इच्चेतेसु, इत्थं इदानि, इह, इतो, इध, क. व्या. 234; क्वचि तोप्पच्चयो होति पञ्चम्यत्थे, सब्बतो, यतो, ततो, कतो, अतो, इतो, क. व्या. 250; क. किसी भी नाम के साथ उसके विशे के रूप में प्रयुक्त, इस ... से - अहं तं इतो अरञतो नीहरित्वा बाराणसिमग्गे ठपेस्सामि, जा. अट्ठ. 4.229; अयञ्च तं अनुमोदति, एवमेतिस्सा इतो दुक्खतो मुत्ति भविस्सतीति, पे. व. अट्ठ. 39; ख. प. वि. में अन्त होने वाले किसी भी नामपद के बिना स्वतन्त्र प्रयोग, इससे - स्वायं गहीतो न हि मोक्खितो मे, जा. अट्ट. 4.435; संसारवट्टे सति नहि मोक्खो इतो अकुसलफलतो मम अत्थि, जा. अट्ठ. 4.436%; "इतो रो सुन दस्सामी ति थेय्यचित्तं उप्पादेत्वा तं भण्डं आमसति, पारा. अट्ठ. 1.287; ग. 'तर' प्रत्यय के योग से व्यु., 'उत्तरं' जैसे तुलनात्मक विशे. के साथ अन्वित, इसकी तुलना में, इसकी अपेक्षा, इससे (कम या अधिक) - इतो बहुतरा भोगा... तत्थ इतो बहुतराति इमेसु चतूसु पासादेसु भोगेहि अतिरेकतरा भविस्सन्ति, जा. अट्ठ. 3.180; वे तयो सङ्गामे कत्वा "इतो उत्तरि मयं न सक्कोमा ति रओ पण्णं पेसेसं जा. अट्ठ. 1.419; "अत्थिन खो, तात, इमरिमं ब्राह्मणकुले इतो उत्तरिम्पि सिक्खितब्बानि, उदाह एत्तकानेवा"ति, मि. प.9; घ. 'अञ' (दूसरा, भिन्न) के साथ अन्वित, इससे भिन्न, इससे अलग कुछ और - इतो अझंपन मनसिकरोन्तस्स पाकट होति, पारा. अट्ठ. 2.26; ..... इतो अञआसु जातीसु, असु अत्तभावेसु, थेरगा. अट्ठ. 1.190; ङ. 'बहिद्धा' (बाहर) के साथ अन्वित, इस बुद्धशासन से - आयस्स धम्मस्स पदेसवत्ती, इतो बहिद्धा समणोपि नत्थि, दी. नि. 2.114; इतो बहिद्धाति मम सासनतो बहिद्धा, दी. नि. अट्ठ. 2.162; इतो बहिद्धा पुथुअञवादिनन्ति आयस्मतो नागितत्थेरस्स गाथा, का उप्पत्ति? थेरगा. अट्ठ. 1.197; 2. स्थानसूचक क्रि. वि. के रूप में प्रयुक्त, इस स्थान से, इस लोक से, वर्तमान भव या जन्म से, यहां, इधर, 2.क. यहां से, इस स्थान से - इतो गच्छाम सीवकाति वुत्ताकारदस्सनं, सिवक, इतो गामन्ततो अरञट्ठानमेव एहि गच्छाम, थेरगा. अट्ठ. 1.62; रागो च दोसो च इतोनिदाना, अरती रती लोमहंसो इतोजा, इतो समुट्ठाय मनोवितक्का, कुमारका धङ्कमिवोस्सजन्ति, सु. नि. 274; इतो किर सुवण्णभूमि सत्तमत्तानि योजनसतानि होति, एकेन वातेन गच्छन्ती नावा सत्तहि अहोरत्तेहि गच्छति, अ. नि. अट्ठ. 1.364; 2.ख. इस लोक से, इस भव से अथवा वर्तमान भव से - इतो गतो हिंसेय्य मच्चुराज, सो हिंसितो आनेय्य पुन इधाति, जा. अट्ठ. 2.203; इतो भो सुगतिं गच्छ, मनुस्सानं सहब्यतं. इतिवु. 56; 2.ग. यहां, इधर - इतोपि ते ब्रह्म ददन्तु वित्तं ... इतोपि ते बह्मति बाह्मण, इतो मम पादमूलतोपि तुरहं धनं ददन्तु, जा. अट्ठ. 3.308; इतो सुत्वा अमुत्र अक्खाता इमेसं भेदाय, म. नि. 1.360; इतो हिखो अहं, भो, आगच्छामि समणस्स गोतमस्स सन्तिका ति, म. नि. 1.236; 3. कालसूचक क्रि. वि. के रूप में, इस काल से (लेकर), क. अतीतकाल के सन्दर्भ से, अब से ... पूर्वकाल में, आज से ... दिन/वर्षों पूर्व - इतो खो सो, वच्छ, एकनवुतो कप्पो यमहं अनस्सरामि. म. नि. 2.159; यं तं सरणमागम्ह, इतो अहमि चक्खुम, सु. नि. 575; पठम इदं दस्सनं जानतो मे, न ताभिजानामि इतो पुरत्था, जा. अट्ठ. 4.88; ख, भविष्यकाल के सन्दर्भ से, आज से ... उपरान्त, अब से ... उपरान्त, अब से लेकर - इतो पट्ठाय न सोचिस्सामि, पे. व. अट्ठ. 35; "इतो तिण्णं मासानं अच्चयेन तथागतो परिनिब्बायिस्सती"ति, स. नि. 3(2).336; मा निक्खम, इतो ते सत्तमे दिवसे चक्करतनं पातुभविस्सति, जा. अट्ठ. 1.73; “मारिसा इतो For Private and Personal Use Only

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