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आरामट्ठकविनिच्छय
अवहरिस्सामीति, तदे。; - द्वे सप्त. वि., ए. व. - आरामद्वेपि आरामं ताव दस्सेन्तो, पारा. अट्ठ. 1.270. आरामकविनिच्छय पु० तत्पु० स०, आराम में स्थित रहने के विषय में निश्चय येन तृ. वि., ए. व. आरामद्वकविनिच्छयेन विनिच्छिनितब्ब, पारा. अट्ठ. 1.277. आरामट्ठकथा स्त्री०, 1. पारा. अट्ठ० के एक खण्ड का शीर्षक, पारा. अ. 1.270-271; 2. विन. वि. के एक खण्ड का शीर्षक, विन. वि. 151-153.
आरामता स्त्री०, आराम का भाव, आमोद-प्रमोद से परिपूर्णता, आनन्दमयता ता प्र. वि., ए. व. - पञ्चविधे संसग्गे आरामता, अ. नि. अट्ठ. 3.250.
आरामदण्ड पु०, एक ब्राह्मण का नाम ण्डो प्र. वि., ए. व. आरामदण्डो ब्राह्मणो, अ. नि. 1 (1).82; ब्राह्मणादीहि तृ. वि., ब. व. - आरामदण्डब्राह्मणादीहि मनुस्सेहि, उदा. अट्ठ. 3.
आरामदान नपुं०, तत्पु० स० [आरामदान ], उद्यान का दान, उद्यान-युक्त स्थल का विहार के रूप में प्रयोग करने हेतु दान - नेन तृ. वि., ए. व. इमिनारामदानेन, चेतनापणिधीहि च, भवे निब्बत्तमानोह, अप. 1.36. आरामदायक पु०, स० उ. प. में प्रयुक्त, 1 आराम का दान करने वाला, 2. एक स्थविर का नाम, सङ्घा • संघ के लिए आराम का दान करने वाला - को प्र. वि., ए. व. सङ्घारामदायको तापसो सुमापितं ... पादासि, अप. अ. 1.285; इदं सुदं आयस्मा आरामदायको थेरो इमा गाथायो अभासित्थाति, अप. 1.269. आरामदूसकजातक नपुं०, अनेक जातक कथानकों का शीर्षक, जा. अट्ठ. 1.243-245; जा० अट्ठ 2.285-287. आरामदेवता स्त्री, तत्पु० स०, उद्यान का देवता - ता प्र० वि., ए. व. आरामदेवता वनदेवता रुक्खदेवता ... म. नि. 1.387; आरामदेवताति तत्थ तत्थ पुप्फारामफलारामेसु अधिवत्था देवता, म० नि० अट्ठ. ( मू.प.) 1(2).265. आरामद्वार नपुं०, तत्पु० स०, विहार का बाहरी द्वार, आराम का बाहरी दरवाजा - रा प वि., ए. व. आरामद्वारा निक्खम्म, पदुमुत्तरो महामुनि, अप. 1.49; आरामद्वाराति सब्बसत्तानं धम्मदेसनत्थाय विहारद्वारतो निक्खमित्वा, अप. अट्ट. 1.320. आरामनिस्सयी त्रि. उद्यान के समीप निवास करने वाला, आराम में आश्रय लेकर रहने वाला - यी पु०, प्र. वि., ए. व. - अहमस्मि भो गोतम आरामनिस्सयी परिसावचरो, स.
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आरामरुक्ख
नि. 3(1).90; आरामं निस्साय वसनभावेन आरामनिस्सयी, स. नि. अट्ठ 3.182.
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आरामपत्त त्रि, तत्पु० स० [आरामप्राप्त], आराम में पहुंचा हुआ, उद्यान में पहुंच चुका त्तानं पु, ष० वि०, ब० व. तेसमारामपत्तानं, धम्मं देसेसि चक्खुमा अप. 2.348. आरामपाल पु०, उद्यान-रक्षक, माली, आराम की रक्षा करने वाला - लो प्र. वि., ए. व. आरामपालो आरामं गन्त्वा अम्बरुक्खमूलेसु पंसुं अपनेत्वा तादिसं पंसुं आकिरि, वि. व. अट्ठ. 242; लं द्वि. वि., ए. व. सो आरामपालं आह, वि. व. अट्ठ. 242. आरामप्पवेसन नपुं,, तत्पु० स० [ आरामप्रवेशन], उद्यान का प्रवेश द्वार, विहार का प्रवेश द्वार - नं. प्र. वि., ए. व. भिक्खुनिया तियोजने ठत्वा आरामप्पवेसनं आपुच्छितब्ब भविस्सति, महाव. अट्ठ. 394. आराममरियादक त्रि०, ब० स०, विहार की सीमा के अन्दर आने वाला, आराम की सीमा के अन्तर्गत कं नपुं., द्वि. वि॰, ए॰ व॰ – पादा नगरगल्लं च आराममरियादक, चू. वं.
48.36.
आरामरक्खक पु०, उद्यान का रक्षक, माली, आराम (विहार) का रक्षक - का प्र० वि०, ब० व. - गिहीनं आरामरक्खका भिक्खूनं देन्ति, पारा. अट्ठ. 1.312. आरामरक्खनक पु०, उद्यान की रखवाली करने वाला को प्र. वि., ए. व. - आरामरक्खनको मक्कटो, जा. अट्ठ.
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1.244.
आरामरम्म पु०/नपुं॰, कर्म, स., आराम अथवा विहार का रमणीय वासस्थान, रमणीय या सुखदायक आराम - म्मं द्वि. वि., ए. व. अनिच्छन्तं व नेत्वातमारामरम्ममुत्तम, जि . च. 399 (रो.).
आरामरामणेय्यक नपुं०, तत्पु० स०, उद्यान की रमणीयता अथवा सुन्दरता कं' प्र. वि., ए. व. सेय्यथापि, भिक्खवे, अप्पमत्तकं इमस्मिं जम्बुदीपे आरामरामणेय्यक, अ. नि. 1 (1).48; आरामरामणेय्यकन्ति पुप्फारामफलारामानं रामणेय्यक, अ. नि. अट्ठ. 1.364; - कं द्वि. वि., ए. व. सुपिनकं परिसता आरामरामणेय्यक' पोक्खरणीरामणेय्यक न्ति दी. नि. 2.248. आरामरुक्ख नपुं., तत्पु० स० [आरामवृक्ष ], उद्यान का वृक्ष, बाग का वृक्ष, आनन्ददायक अथवा मनोहारी वृक्ष क्खे / क्खानि द्वि० वि०, ब० व. - आरामरुक्खानि च रोपयिस्स, वि. व 1131; आरामरुक्खानि चा आरामभूते