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आरोचक
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आरोचापेति
अच्छे स्वास्थ्य के घमण्ड से भरा हुआ - त्तो पु., प्र. वि., .... तुमत्थे.... अलमत्थे, ... मतिप्पयोगे अनादरे अप्पाणिनि. ए. व. - आरोग्यमदमत्तो वा, भिक्खवे... दुच्चरितं चरति, क. व्या. 279; यग्घेति आरोचनत्थे निपातो, पारा. अट्ठ. अ. नि. 1(1),171; - लाभ पु., तत्पु. स. [आरोग्यलाभ], 1.160; - किच्च नपुं, तत्पु. स. [आरोचनकृत्य], बतलाने स्वास्थ्य का लाभ - भं द्वि. वि., ए. व. - सब्बेस तेसु । अथवा सूचित करने का काम - च्वं प्र. वि., ए. व. - इतो लाभेसु आरोग्यलाभमुत्तमं सेट्ठन्ति बुद्धो देसेसि, चू, वं. 99.. चितो च परियेसित्वा आरोचनकिच्चं नाम नत्थि, पाचि. 180-181; - ग्यावह त्रि., स्वास्थ्यप्रद, हितकारक - हं। अट्ठ. 111; - लेखकामच्च पु., द्व. स., राजकीय आदेशों नपुं., प्र. वि., ए. व. - आरोग्यावहं अगद, पे. व. अट्ठ. को तैयार करने वाले एवं उन्हें निर्गत करने वाले लेखक 171; - विनासक त्रि., स्वास्थ्य को नष्ट करने वाला, एवं मन्त्री – च्चेहि तृ. वि., ब. व. - आरोचनलेखकामच्चेहि स्वास्थ्य के लिए घातक - को पु., प्र. वि., ए. व. - अभियाचितो, सा. वं. 141. आरोग्यविनासको रोगो एव रोगब्यसनं. पारा. अट्ठ. 1.178; आरोचनक त्रि., उदघोषक, सूचक, बतलाने वाला, स. उ. - विलुम्पनट्ठ पु., स्वास्थ्य को लूट लेने या नष्ट करने प. में प्रयुक्त, अवस्सा . - अवश्य कहने वाला - स्स पु., का तात्पर्य -द्वेन तृ. वि., ए. व. - आरोग्यविलुम्पनट्ठेनेव ष. वि., ए. व. - तं अदिस्वा अञ्जतरस्स अवस्सारोचनकस्स रोगो, सु. नि. अट्ठ. 1.80; - सम्पदा स्त्री., तत्पु. स. आरोचेही ति वत्वा पच्चाहरति, आपज्जतियेव, कवा. अट्ठ. [आरोग्यसंपत्], स्वास्थ्य-संपत्ति, अच्छे स्वास्थ्य के रूप में 134; भूता. - कायिक एवं वाचिक आपत्तियों अथवा धन-संपत्ति - दा प्र. वि, ए. व. - पञ्च सम्पदा - अपराधों को कहने वाली - का स्त्री, प्र. वि., ए. व. -
आतिसम्पदा, भोगसम्पदा, आरोग्यसम्पदा, सीलसम्पदा, भूतारोचनका नाम, तीहि ठानेहि जायति, परि. 187. दिद्विसम्पदा, दी. नि. 3.188; आरोग्यस्स सम्पदा आरोचना स्त्री., स. उ. प. में प्रयुक्त, उपरिवत्; अना. - आरोग्यसम्पदा, दी. नि. अट्ठ. 3.192; - साला स्त्री., उद्घोषणा अथवा सूचना का अभाव, नहीं बतलाना - तत्पु. स. [आरोग्यशाला], चिकित्सालय, अस्पताल - लं __ आगन्तुकादीनं अनारोचना, चूळव. अट्ठ. 14. द्वि. वि., ए. व. - आरोग्यसालं कारेसि, अ. नि. अट्ठ. आरोचयति आ + रुच का प्रेर०, वर्त., प्र. पु., ए. व., 1.232; - सासनमत्त नपुं, स्वास्थ्य-विषयक शिक्षा-मात्र कहता है, सूचित करता है, प्रकाशित करता है, द्रष्ट. - त्तं द्वि. वि., ए. व. - एत्तकं कालं तुम्हाक सन्तिके आरोचेति के अन्त.. वसन्तो आरोग्यसासनमत्तम्पि न लभामि, जा. अट्ठ. 5.286. आरोचयितु पु., आ + रुच के प्रेर. से व्यु., क. ना. आरोचक त्रि., आ + रुच से व्यु [आरोचक], उद्घोषक, आरोचयित], सूचक, उदघोषक, प्रकाशक, कथन करने घोषणा करते हुए कहने वाला, केवल स. उ. प. में प्रयुक्त, वाला - ता प्र. वि., ए. व. - कोचिस्स आरोचयितापि उपोसथा. के अन्त. द्रष्ट...
नत्थि, पारा. अट्ठ.2.5. आरोचन नपुं.. आ + रुच से व्यु., क्रि. ना. [बौ. सं. आरोचापन नपुं., आ + रुच के प्रेर. से व्यु., क्रि. ना.,
आरोचन/आरोचनता], उद्घोषणा, सूचना, कथन - नं सूचित कराना, उद्घोषित कराना, कहलाना - नं प्र. वि., प्र. वि., ए. व. - एतस्स आरोचनं नप्पमाणं, पारा, अट्ठ. ए. व. - भिक्खूनं आरोचापनं ध. प. अट्ठ. 1.341. 2.257; 276; भिक्खुसम्मुतिया च आरोचनं ... भगवता आरोचापेति आ + रुच के प्रेर. का वर्त., प्र. पु., ए. व. अनुज्ञातं, पाचि. अट्ठ. 17; - नेन तृ. वि., ए. व. - [बौ. सं., आरोचापेति], किसी अन्य द्वारा घोषणा कराता है, अनत्तमनस्स सतो परेसं आरोचनेनपि दोसो, अ. नि. अट्ठ. दूसरे से सूचित कराता है अथवा कहलवाता है, दूसरे को 2.12; - ने सप्त. वि., ए. व. - पठमे आरोचने भिक्खुनिया जनवाता है - आरामिकेहि अत्तनो उपकारभावं सङ्घस्स दुक्कट दुतिये थुल्लच्चयं, पाचि. अट्ठ. 170; एकस्सारोचने आरोचापेति, स. नि. अट्ठ. 3.76; - न्तस्स वर्त. कृ., पु., तस्सा होति आपत्ति दुक्कट, उत्त. वि. 180; स. उ. प. के ष. वि., ए. व., (सूचित करवाने वाले को) - तस्स तं रूप में, अभूता., काला०, दुतिया., देवता., पठमा., परम्परा., पवत्तिं सयं आरोचेन्तस्स वा अञ्जन आरोचापेन्तस्स वा भूता., सासना के अन्त. द्रष्ट.; स. पू. प. के रूप में, - सङ्घादिसेसो, कङ्खा. अट्ठ. 134; - थ अनु., म. पु., ब. व. त्थ पु., तत्पु. स. [आरोचनार्थ], कहने का अर्थ, बतलाने - पटिसामनहानं मे आरोचापेथा ति, ध. प. अट्ठ. 1.2953; का अर्थ - त्थे सप्त. वि., ए. व. - आरोचनत्थे, ... तदत्थे, - य्यं विधि., उ. पु., ए. व. - भगवतो महापरिसाय
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