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आलयति
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आलयाभिनिवेस
व. - देवदत्तस्स... सुगतालयस्स दस्सितभावं, जा. अट्ट. आलयसमुग्घात-आलयसमुग्घातुपायानञ्च वसेनापि चत्तारेव 1.468; - यं द्वि. वि., ए. व. - ... "बुद्धलीलं करिस्सामी ति वुत्तानीति, विसुद्धि. 2.124. सुगतालयं दस्सेन्तो..., तदे...
आलयविस्सज्जन नपुं, तत्पु. स. [आलयविसर्जन], आसक्ति आलयति आलय का ना. धा., प्रायः अल्लीयति का स्थाना. का परित्याग, लगाव से छुटकारा - नं प्र. वि., ए. व. - अथवा उसी का अप. [आलीयते], आसक्तियुक्त होता है, कनिट्ठपुत्तम्हि आलयविस्सज्जन विय 'अनागतेपि आलीन होता है, राग अथवा लगाव से युक्त हो जाता है निब्बत्तनकसहारा भिज्जिस्सन्तीति, विसुद्धि. 2.281. -न्ति ब. व. - अल्लीयन्ति केळायन्ति धनायन्ति ममायन्ति, आलयसमुग्घात पु., तत्पु. स. [आलयसमुदघात], विषयभोगों स. नि. 2(1).175; आलयन्ति सत्ता एतेनाति आलयो, के प्रति आसक्ति की पूर्णरूप से समाप्ति या निरोध, निर्वाण तण्हा, चरिया. अट्ठ. 125; आलयरामाति सत्ता पञ्चसु की अवस्था, तृष्णा का निरोध - तो प्र. वि., ए. व. - कामगुणेसु अल्लीयन्ति तस्मा ते आलयाति वुच्चन्ति मदनिम्मदनो पिपासविनयो आलयसमुग्घातो वसपच्छेदो अट्ठसततहाविचरितानि आलयन्ति, तस्मा आलयाति तण्हाक्खयो विरागो निरोधो निब्बानं, अ. नि. 1(2).40; वुच्चन्ति, म. नि. अट्ठ. (मू.प.) 1(2).78.
आलयसमुग्घातो भावितो बहुलीकतो चागाधिवानं परिपूरेति, आलयपटिपक्ख त्रि, तत्पु. स. [आलयप्रतिपक्ष] राग नेत्ति. 99; - तं द्वि. वि., ए. व. - दुतियं सम्मप्पधानं अथवा आसक्ति का प्रतिपक्ष, कामभोगों के सुख भावितं बहुलीकतं आलयसमुग्घातं परिपूरेति, नेत्ति.99; स. का विरोधी - क्खे पु., वि. वि., ब. व. - अनालये प.
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अन्त., धम्मेति आलयपटिपक्खे विवट्टपनिस्सिते, अ. नि. अट्ट. आलयआलयारामताआलयसमुग्घातआलयसमुग्घातुपा2.330.
पायानञ्च वसेनापि चत्तारेव वुत्तानीति, विसुद्धि. 2.124. आलयरत त्रि., तत्पु. स. [आलयरत], आसक्तियों अथवा आलयसम्मुदित त्रि., तत्पु. स. [आलयसम्मुदित], विषय विषयभोगों में पूरी तरह से डूबी हुई-ता स्त्री., प्र. वि., भोगों में मोद अथवा आनन्द प्राप्त करने वाला- ता स्त्री., ए. व. - आलयरामा खो पनायं पजा आलयरता प्र. वि., ए. व. - आलयरामा खो पनायं पजा आलयरता आलयसम्मुदिता, महाव.5; आलयरामा आलयेसु रताति आलयसम्मुदिता, महाव. 5; आलयेसु सुट्ट मुदिता ति आलयरता, महाव. अट्ट, 233; - ताय च. वि., ए. व. - आलयसम्मुदिता, स. नि. अट्ठ. 1.172; - य च. वि., ए. आलयरामाय ... आलयरताय आलयसम्मुदिताय ... दुद्दसंव. - ... पजाय आलयरताय आलयसम्मुदिताय, महाव. इदं ठानं..., महाव. 5. आलयराम/आलयाराम त्रि., तत्पु. स. [आलयाराम], आलयसारी त्रि., अपने निर्धारित विषय अथवा क्षेत्र में ही
आसक्ति अथवा विषय भोगों में पूरी तरह से रमी हुई, विचरण करने वाला, अपने क्षेत्र में ही कार्यरत - री नपुं, विषय भोगों में आनन्द का अनुभव करने वाला/वाली - प्र. वि., ए. व. - ओकसारीति गेहसारी आलयसारी, स. मा स्त्री., प्र. वि., ए. व. - आलयरामा खो पनायं पजा। नि. अट्ठ. 2.228. आलयरता आलयसम्मुदिता, महाव.53; आलयरामाति सत्ता आलयाभिनिवेस पु., तत्पु. स. [आलयाभिनिवेश], कामभोगपञ्च कामगुणे अल्लीयन्ति, तस्मा ते 'आलया ति वुच्चन्ति, विषयिणी तृष्णा द्वारा जनित कामभोगों के प्रति चित्त का तेहि आलयेहि रमन्तीति आलयरामा, महाव. अट्ठ. 233; सुदृढ़ लगाव, विषयभोगों के साथ चित्त का अहितकारी पञ्चूपादनक्खन्धा आलयो, तत्थ रमतीति आलयरामा, पजा, लगाव, संस्कृत धर्मों में चित्त का आश्रय-ग्रहण – सं द्वि. विसुद्धि. महाटी. 2.309.
वि., ए. व. - आलयाभिनिवेसं पजहतो आलयरामता स्त्री., भाव., विषय भोगों, राग, लगाव अथवा आदीनवानुपस्सनावसेन.... पटि. म. 29; सङ्घारेस लेणताण
आसक्ति में आनन्द अनुभव करने की अवस्था, तृष्णा - भावग्गहणं आलयाभिनिवेसो अत्थतो भवनिकन्ति, विसुद्धि. ता प्र. वि., ए. व. - तेनेव सा आलयरामता ससन्ताने, महाटी. 2.479; - तो प. वि., ए. व. - आदीनवानपस्सनाय परसन्ताने च पाकटा होति, विसुद्धि. महाटी. 2.309; - तं पञ्चिन्द्रियानि आलयाभिनिवेसतो निस्सटानि होन्ति, पटि. द्वि. वि., ए. व. - सत्तानञ्च आलयारामतं... दिस्वा ..., म. 201-02; - स्स ष. वि., ए. व. - आदीवनानुपस्सनाय मि. प. 219; स. प. में, - आलयआलयारामता आलयाभिनिवेसस्स, विसुद्धि. 2.334.
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