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आयतनसुत्त 149
आयत्त अट्ठ. 2.138; - ववत्थान नपुं., तत्पु. स., आयतनों की तालपत्तसदिसे विपाकक्खन्धे निब्बत्तेतुं असमत्था जाता, विवेचना - नेन तृ. वि., ए. व. - धातुववत्थानेन सारत्थ. टी. 1.299; तस्स मे भन्ते, भगवा अच्चयं अच्चयतो मनोविज्ञाणधातु, आयतनववत्थानेन मनायतनं, पटिग्गहातु आयतिं संवराया ति, दी. नि. 1.75; -- भूत इन्द्रियववत्थानेन मनिन्द्रियं, पेटको. 273; - विभङ्ग पु., त्रि., फैलाव या प्रसार का स्थल बन चुका - तो पु., प्र. विभ. के दूसरे अध्याय का शीर्षक, जिसमें बारहों आयतनों वि., ए. व. - गुणानं आयतिभूतो, रतनानव सागरो, अप. का विवेचन है, विभ. 77-91; विभ, अट्ठ. 42-51; - सङ्गह 2.116; - लक्खण त्रि०, भविष्य में विशिष्ट स्वरूप के पु., 'आयतन' के अन्तर्गत संग्रह - हेन तु. वि., ए. व. - लक्षणों वाला- णं पु. द्वि. वि., ए. व. - ... परप्पवादमथनं ये धम्मा खन्धसङ्गहेन सङ्गहिता आयतनसङ्गहेन असङ्गहिता, आयतिलक्खणं कथावत्थुप्पकरणं अभासि. प. प. अट्ठ. धातु. 29; स. पू. प. के रूप में - सब्ब पु., आयतनों का 106. सभी कुछ -ब्बं द्वि. वि., ए. व. - तत्र सब्बसद्दो सब्बसब्बं आयति त्रि., आगे आने वाला, भविष्य में होने वाला, अगला, पदेससब्बं आयतनसब्बं सक्कायसब्बन्ति ... दिट्ठप्पयोगो, भावी (फल या परिणाम) - तिं स्त्री., वि. वि., ए. व. - सद्द. 1.269; - सहगत त्रि., आयतनों के साथ जुड़ा हुआ आयतिम्पि वस्सं एवमेव कातब्ब, चूळव. 317. - ता स्त्री, प्र. वि., ए. व. - अभिभूमिआयतनसहगता आयतिक त्रि., आयति से व्यु., क. अगला, भावी, आगे आने रूपसञीसु दुतिये झाने झानभूमि, पेटको. 264; - सेवी वाला - कं पु., द्वि. वि., ए. व. - आयतिकम्पि वस्सावासं त्रि., शीलवान् व्यक्तियों अथवा उत्तम धर्मों का सेवन करने ... विहरेय्यासी ति, अ. नि. 3(1).65; - के पु., सप्त. वि.. वाला - विनो पु., च./ष. वि., ए. व. - अज्झत्तञ्च ए. व. - विरतचित्तायतिके भवस्मिं सु. नि. 238; ख. प्राप्त पयुत्तस्स, तथायतनसेविनो, अनिबिन्दियकारिस्स, कराने वाला (की ओर) ले जाने वाला, (में) परिणत हो सम्मदत्थो विपच्चति, जा. अट्ठ. 5.117; जाने वाला - कं नपुं., द्वि. वि., ए. व. - करोहि पुञ्ज तथायतनसेविनोति तथेव सीलवन्ते पुग्गले सेवमानस्स, सुखमायतिक, स. नि. 1(1).168; स. उ. प. के रूप में जा. अट्ठ. 5.119; - सो अ., क्रि. वि. [आयतनशः], कुसला., लोका. के अन्त. द्रष्ट.. आयतनों के द्वारा, आयतनों के अनुरूप - इन्द्रियेसु आयतिगवं अ., क्रि. वि. [आयतिगवं], गायों के घर वापस सुसंवुतो तरसेव अलोभस्स पारिपूरियं मम आयतनसोचितं लौटने के समय में, गोधूलि-वेला में – तिट्ठन्ति गावो यस्मि अनुपादाय, पेटको. 212.
काले तिट्ठगुकालो, वहग्गुकालो, आयतिगवं, खलेयवं आयतनसुत्त नपुं., स. नि. के दो सुत्तो का शीर्षक - लूनयवं, लूयमान यवमिच्चादि, मो. व्या. 3.7. छफस्सायतनसुत्त, स. नि. 1(1).134-135; आयत्त' त्रि., आ +vयत का भू. क. कृ., प्रायः च०/ष. वि. अज्झत्तिकायतनसुत्त, स. नि. 3(2).489-490.
में अन्त होने वाले नाम के साथ अथवा स. उ. प. के रूप आयतनिक त्रि., [बौ. सं. आयतनिक], आयतनों के साथ। में [आयत्त], 1. अधीन, आश्रित, सहारा लिया हुआ, वश्य,
जुड़ा हुआ, छ प्रकार के स्पर्शों से सम्बद्ध, केवल विनीत - त्तो पु., प्र. वि., ए. व. - आयत्तो तु च सन्तको, स. उ. प. के रूप में ही प्रयुक्त – को पु., प्र. वि., अभि. प. 7283; - त्ता स्त्री, प्र. वि., ए. व. - इतो पट्ठाय ए. व. - छफस्सायतनिको इतिपि, म. नि. 1.421; तव रक्खा ममायत्ता ति वत्वा सकट्ठानमेव गतो, जा. अट्ठ. - का ब. व. - छ फस्सायतनिका नाम सग्गा, पेटको. 3.126; 2. नपुं., संपत्ति, स्वामित्व, परिग्रह - आयत्ते
परिवारे च भरिमायं परिग्गहो, अभि. प. 870; - त्तं प्र. वि., आयति' स्त्री., आ +vया से व्यु. [आयति], 1. आगे आने ए. व. - गेहे दास कम्मकरादयोपि गोमहिंसादयोपि वाला समय, भविष्य, 2. फैलाव, विस्तार, लम्बाई, 3. हिरञसुवण्णम्पि सब्बं तास व आयत्तं भविस्सति, जा. महिमा, प्रताप, 4. भावी फल, परिमाण, 5. नियन्त्रण -- अट्ठ. 1.326; भिक्खाचारकिच्चं ममायत्तं होतु, अ. नि. चोत्तरकालो तु आयति, अभि. प. 86; - तिं द्वि. वि., ए. अट्ठ. 1.210; स. उ. प. के रूप में अपरा., करुणा., व., क्रि. वि., भविष्य में, भावी समय के लिए - आयतिं कुलपवेणिका., तदा., निजा., परा., सका., सक्का. के संवरेय्यासी'ति, महाव. 157; आयत्तिं ... अनागते अन्त. द्रष्ट.; स. पू. प. के रूप में, - ता स्त्री॰, भाव., अनुप्पज्जनकसभावा, पारा. अट्ट. 1.97; ... आयत्ति केवल स. उ. प. में प्राप्त [आयत्तता], अधीनता, आश्रयता,
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