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आमिससन्थार
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आमुत्त
व. - आमिससङ्गहनेन अजे सिस्सादिके पोसेतु
अनुस्सुक्कताय अनञपोसिनो, उदा. अट्ठ. 162. आमिससन्थार पु., तत्पु. स., भोगसामग्री के दान द्वारा स्वागत, दो प्रकार के स्वागतों में से एक - रो प्र. वि., ए. व. - द्वेमे, सन्थारा, ... आमिससन्थारो च धम्मसन्थारो च, अ. नि. 1(1).112. आमिससन्निचय पु., तत्पु. स., भौतिक सुख देने वाली
सामग्री का संचय -- यो प्र. वि., ए. व. - द्वेमे, सन्निचया, ... आमिससन्निचयो च धम्मसन्निचयो च, अ. नि. 1(1).113; विलो. धम्मसन्निचय. आमिससन्निधि पु., तत्पु. स., विभिन्न प्रकार की भोगसाधनसामग्री का भण्डारण, गृहस्थ जीवन में उपयोगी वस्तुओं का भण्डारण - धिं द्वि. वि., ए. व. - अन्नसन्निधिं पानसन्निधिं वत्थसन्निधिं यानसन्निधिं सयनसन्निधिं गन्धसन्निधिं आमिससन्निधिं इति वा इति, दी. नि. 1.6; -- धि प्र. वि., ए. व. -भिक्खु, मुण्डकुटुम्बिकजीविक जीवति, न समणजीविकन्ति, एवरूपो आमिससन्निधि नाम होति. दी. नि. अट्ठ. 1.76. आमिससम्भोग पु., तत्पु. स., दूसरों के साथ मिल कर भौतिक आवश्यकताओं को पूरा करने वाले संसाधनों का भरपूर उपभोग - गो प्र. वि., ए. व. - द्वेमे, सम्भोगा, .... आमिससम्भोगो च धम्मसम्भोगो, अ. नि. 1(1).1103; विलो. धम्मसम्भोग. आमिससिक्खापद नपुं, पाचि. के एक खण्ड का शीर्षक,
पाचि. 82-84. आमिसहेतु अ., लाभ के निमित्त, भौतिक लाभ पाने के निमित्त - आमिसहेतु थेरा भिक्ख भिक्खनियो ओवदन्तीति, पाचि. 83; आमिसगरुको आमिसहेतु मन्तितं गुय्ह विवरति न धारेति, मि. प. 104. आमिसहेतुक त्रि., ब. स., भौतिक संसाधनों की प्राप्ति की इच्छा से संचालित-को पु., प्र. वि., ए. व. - आमिसन्तरोति
आमिसहेतुको चीवरादीनि पच्चासीसमानो, अ. नि. अट्ठ. 3.46. आमिसातिथेय्य नपुं, तत्पु. स., भौतिक सुखसाधनों द्वारा किया गया अतिथि-सत्कार, भौतिक वस्तुओं का उपहार देकर अतिथि सत्कार - य्यं प्र. वि., ए. व. - द्वेमानि, आतिथेय्यानि. ... आमिसातिथेय्यञ्च धम्मातिथेय्यञ्च, अ. नि. 1(1).112-13; विलो. धम्मातिथेय्य. आमिसानुकम्पा स्त्री., तत्पु. स., चीवर, पिण्डपात, शयनासन एवं औषधि, इन चार प्रत्ययों के दान द्वारा प्रदर्शित
अनुकम्पा - म्पा प्र. वि., ए. व. - द्वेमा, अनुकम्पा, ... आमिसानुकम्पा च धम्मानुकम्पा, अ. नि. 1(1).111; दसमे चतूहि पच्चयेहि अनुकम्पनं आमिसानुकम्पा, अ. नि. अट्ठ. 2.61; विलो. धम्मानुकम्पा. आमिसानुग्गह पु., तत्पु. स., जीवनयापन के चीवर आदि चार आवश्यक साधनों के दान द्वारा किया गया अनुग्रह या कृपा - हो प्र. वि., ए. व. - द्वेमे, अनुग्गहा, ... आमिसानुग्गहो च धम्मानुग्गहो, अ. नि. 1(1).111; नवमे चतूहि पच्चयेहि अनुग्गण्हनं आमिसानुग्गहो .... अ. नि. अट्ठ. 2.61. आमिसानुप्पदान नपुं, तत्पु. स. [आमिसानप्रदान], भौतिक सुख साधनों का दान, श्रमणों एवं ब्राह्मणों के सम्मान के पांच प्रकार के उपायों में से एक - नेन तृ. वि., ए. व. - मेत्तेन कायकम्मेन मेत्तेन वचीकम्मेन मेत्तेन मनोकम्मेन अनावटद्वारताय आमिसानुप्पदानेन, दी. नि. 3.145. आमिसेसना स्त्री., तत्पु. स., भौतिक आवश्यकता पूरी करने वाले चीवर आदि की तलाश अथवा उन्हें पाने की कामना - ना प्र. वि., ए. व. - द्वेमा, एसना, ... आमिसेसना च धम्मेसना च, अ. नि. 1(1).112; ततिये वृत्तप्पकारस्स आमिसस्स एसना आमिसेसना, अ. नि. अट्ठ. 2.62; विलो. धम्मेसना.. आमुखं अ., क्रि. वि. [आमुखं], आमने सामने, मुख के सामने -- मारयन्ता तदा सत्तसेनं आमुखमागतं, चू. वं. 70.319. आमुत्त त्रि., आ +vमुच का भू. क. कृ. [आमुक्त], शा.
अ. 1., वह, जिस पर सब कुछ छोड़ दिया गया है 2. वह, जिसके द्वारा किसी को बांधा गया है, ला. अ., विभूषित, सुसज्जित, युक्त, धारण किया गया, पहना हुआ - तं पु., वि. वि., ए. व. - हेमजालेहि कुम्भालङ्कारादिभेदेहि हत्थालङ्कारेहि चितं आमुत्तं महन्तं, ... आगताति, वि. व. अठ्ठ. 151; - मणिकुण्डल त्रि०, ब. स., मणि कुण्डलों द्वारा अलङ्कत (व्यक्ति), वह, जिसके कान लटक रहे मोती के हार से जगमगा रहे हों - ले पु., द्वि. वि., ए. व. - ... राजानो आमुत्तमणिकुण्डले सज्जिताय, स. नि. अट्ठ. 1.133; - ला पु., प्र. वि., ब. व. - सद्धि पुरिससहस्सानि, आमुत्तमणिकुण्डला, पे. व. 308; आमुत्तमणिकुण्डलाति नानामणिविचित्तकुण्डलधरा, पे. व. अट्ठ. 117; आमुत्तमणिकुण्डलाति ओलम्बितमुत्ताहारमणि कञ्चितकण्णाति अत्थो, अप. अट्ठ. 1.286; - मालाभरण
सा .
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