________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
आनुभावता
उदानेसीति, उदा. अड्ड. 41 महिमा को धारण करने वाला जुतिन्धराति अनुभावधारा स. नि. अड. 1.162
-
धर त्रि, प्रभाव अथवा •रा पु०, प्र. वि., ब. व. -
पकासन नानि
"
"
-
नपुं., तत्पु० स०, प्रभाव अथवा महत्त्व का प्रकाशन प्र. वि. ब. व. अश्यिमग्गस्स आनुभावप्यकासनानि.. भासितानि उदा. अ. 41 महत्त नपुं तत्पु, स अनुभाव अथवा प्रभाव की महत्ता - त्तं द्वि. वि., ए. व. मनोजवन्ति इमिना आनुभावमहत्तं, वि. व. अ. 11; महन्तता स्त्री भाव तत्पु, स. प्रभाव की महत्ता महानुभावता नाम आनुभावमहन्तता चरिया. अड्ड. 300: विजाननत्थ पु०, प्रभाव को ठीक से जानने का प्रयोजन या उद्देश्य त्वं द्वि. वि. क्रि. वि. आणदरसनविसुद्धिया आनुभावविजाननत्थं विसुद्धि. 2.316; आनुभावविजाननत्थन्ति सतिपट्टानपारिपरि आदिकस्स आनुभावस्स बोधनत्थं विसुद्धि महाटी. 2.460 विभावना स्त्री प्रभाव अथवा महिमा का व्याख्यान अथवा प्रकाशन ना प्र. वि., ए. व. सेसपारमिनिद्वारणा आनुभावविभावना च वेदितब्बाति, चरिया. अट्ठ. 182; सम्पन्न त्रि.. अलौकिक शक्तियों से परिपूर्ण - नं पु.. द्वि. वि. ए. व. आनुभावसम्पन्नं एक मणिक्खन्धं अदस जा. अड्ड 2.84 ब्रेन पु. तृ. वि. ए. व. तत्थ जुतीमताति आनुभावसम्पन्नेन जा. अह. 5.401; स्सष. वि., ए. व. पंसुकूलिक एवं आनुभावसम्पन्नस्स... निसीदितु न्ति म. नि. अ. ( मू.प.) 1(2).280; -ना स्त्री. प्र. वि., ए. व. विञ्झाटविय आनुभावसम्पन्ना रुक्खदेवता हुत्वा निब्बत्ति, पे, व. अ.
Pa
-
www.kobatirth.org
-
-
37.
आनुभावता स्त्री. आनुभाव का भाव, केवल स. उ. प. में ही प्रयुक्त प्रभाव परिपूर्णता, प्रभावमयी स्थिति अप्पा. स्त्री. कर्म. स. कम प्रभावमयी स्थिति तथा हिस्स अङ्गलक्खणानुसारेन अप्पानुभावता दिस्सति चरिया अड. 229 दिब्बा. स्त्री. दिव्य प्रभाव वाली स्थिति तेसञ्च दिब्बानुभावताति एवमादयो महासत्तस्स गुणानुभावा वेदितब्बाति चरिया. अ. 72; महा.- स्त्री०, महान् प्रभावमयी स्थिति "अच्छारियं आबुसो, महानुभावता, यत्र हि नाम तथागतो जानिस्सति' म. नि.
104
3.161.
आनुभाववन्तु त्र द्युति, आभा अथवा महत्त्व से परिपूर्ण, प्रभाव से भरपूर - न्तो पु०, प्र. वि., ब. व. - आनुभाववन्तो,
आति
अरहत्तमग्गजाणजुतिया खन्धादिभेदेघम्मे जोतेत्वा ठिताति ध. प. अट्ट 1.338.
आनुभावी त्रि. स. उ. प. में प्रयुक्त प्रभाव अथवा महत्त्व से परिपूर्ण, सब्बा, सभी प्रकार से महिमामय अथवा प्रभावशाली
वी., प्र. वि., ए. व. सब्बानुभावी च वसी किमत्थं जा. अड. 7.53: सो पन यदि सब्बानुभावी च क्सी च. जा. अट्ठ. 7.55.
आनुरुद्धि पु. अनुरुद्ध की पुरुष सन्तान दक्खस्स
अपच्चं (पुत्तो) दक्खि, दक्खस्स अपच्चं (पुत्तो) वा, एवं दोणि.. आनुरुद्धि, क. व्या. 349. आज / आनेज्ज, आनेञ्ज त्रि. दृढ़ता, स्थिरता, राग आदि से अप्रभावित रहने की स्थिति, द्रष्ट अनेज के अन्त. (पीछे). आनेञ्जता स्त्री०, आनेञ्ज का भाव, निश्चल भाव से चित्त का अवस्थान इध च पहीनत्तायेव अरूपसमापत्तीनं आनेञ्जता सन्तविमोक्खता च वृत्ता
ध. स. अट्ठ. 246.
"
आनेअसप्पायसुत्त नपुं. व्य. सं. म. नि. के एक सुप्त का शीर्षक - आनेञ्ञसप्पाय सुत्त निट्ठितं छट्ट, म. नि. 3.4649- वण्णना स्त्री. म. नि. अड्ड में आनेज्ञसप्पायसुत्त की अट्ठकथा का शीर्षक आनेञसप्पायसुतवण्णना निद्विता म. नि. अट्ठ. (उप. प.) 3.38-45. आनेति / आनयति आ + √नी का वर्त० प्र० पु०, ए. व. [ आनयति], पास में ले आता है, किसी स्थान पर ले आता है उपलब्ध करा देता है, वापस ले आता है अतीतयोधनो पोसो, आनेति तिम्बरुत्थान सु. नि. 110 आनेति परिग्गण्हाति सु. नि. अ. 1. 137 सि.म. पु. ए. व. - थेरो "त्वं मं अत्तनो वसे आनेसीति पुन निवत्तित्वा... जा. अनु. 3.31: मि / यामि उ. पु. ए. व. - इमं पण्डितं गत्वा आनेमी ति जा. अड. 6.159 स्सामि भवि. उ. पु. ए. व. आनेस्सामि सके पुत्ते जा. अड. 7.324; न्ति वर्त प्र. पु. ब. व. भिक्खू नानादिशा नानाजनपदा पब्बज्जापेक्खे च उपसम्पदापेक्खे च आनेन्ति महाव. 26 स्साम भवि., उ. पु. ब. व. अतना समानजातियकुलतो ते दारिकं आनेस्साम जा. अट्ठ. 4.272; न्तो वर्त कृ.. पु.. प्र. वि. ए. व रथे सुभे, आनयन्तोम. वं. 19.33: आनयन्तों ति आहरापयन्तो म. के. टी. 364 (ना.): - न्ता प्र. वि. ब. व समं आनेन्तापि पारा अट्ट 1.214 - हि / नय अनु. म. पु. ए. व. त्वं ब्राह्मण, आपणा मक्कटच्छापक किणित्वा आनेहि म. नि. 2.53: तं
"
For Private and Personal Use Only
-
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
-
-
-- •
-