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आपत्तिनिरोध
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आपत्तिभय
आपत्तिपरियन्त 1. पु., तत्पु. स., आपत्तियों या भिक्षु द्वारा किए गए अपराधों का उपशमन या अन्त-न्तं. द्वि. वि., ए. व. - सो आपत्तिपरियन्तं न जानाति, रत्तिपरियन्तं जानाति, चूळव. 142; ततो आपत्तिपरियन्तं न जानाति, रत्तिपरियन्तं न जानातीति आदिना नयेन सद्धन्तपरिवासो दस्सितो. चूळव. अट्ठ. 34; 2. त्रि., आपत्तियों अथवा अपराधों तक परिसीमित – न्ता स्त्री, प्र. वि., ए. व. - अस्थि भिक्खुसम्मुति आपत्तिपरियन्ता, न कुलपरियन्ता पाचि.
48.
आपत्तिनिरोध पु., तत्पु. स. [बौ. सं. आपत्तिनिरोध], आपत्तियों अथवा भिक्षुसङ्घ से सम्बद्ध अपराधों की समाप्ति या उप मन -धं द्वि. वि., ए. व. - आपत्तिनिरोधं न जानाति, परि. 254; निरोधन्ति अयं आपत्ति देसनाय निरुज्झति, वूपसम्मति, अयं वुट्ठानेनाति एवं आपत्तिनिरोधं न जानाति, परि. अट्ठ. 176; - गामी त्रि., आपत्तियों के निरोध को प्राप्त कराने वाला, अपराधों के उच्छेद की स्थिति की ओर ले जाने वाला - निं स्त्री., द्वि. वि., ए. व. - आपत्तिनिरोधगामिनि पटिपदं जानाति, परि. 254; सत्त समथे अजानन्तो पन आपत्तिनिरोधगामिनिपटिपदंन जानाति, परि. अट्ठ. 176. आपत्तिपच्चय त्रि., ब. स., आपत्ति अथवा अपराध के कारण से उत्पन्न – या स्त्री., प्र. वि., ब. व. - आपत्तिपच्चया वुत्ता, कति आपत्तियो पन, आपत्तिपच्चया वृत्ता, चतस्सोव महेसिना, उत्त. वि. 290. आपत्तिपटिग्गह पु., तत्पु. स., आपत्तियों या अपराधों की आत्मस्वीकृति-हो प्र. वि., ए. व. - ... एवं आपत्तिप्पटिग्गहो पटिग्गहो नाम, कङ्खा. अट्ट, 245. आपत्तिपटिग्गहण/आपत्तिप्पटिग्गहण नपुं.. तत्पु. स. [बौ. सं. आपत्तिप्रतिग्रहण], उपरिवत् - णं प्र. वि., ए. व. - ततो आपत्तिप्पटिग्गहणञ्च निस्सट्टचीवरदानञ्च .... कसा अट्ठ. 154; - णे सप्त. वि., ए. व. - आपत्तिपटिग्गहणे पन अयं विसेसो, यथा... आपत्तिपटिग्गाहको भिक्ख अत्ति ठपेति, पारा. अट्ठ. 2.203. आपत्तिपटिग्गाहक त्रि., अपराध-स्वीकरण को स्वीकार करने वाला- को पु.. प्र. वि., ए. व. - यथा गणरस निस्सज्जित्वा आपत्तिया देसियमानाय आपत्तिपटिग्गाहको भिक्खु अत्तिं ठपेति, पारा. अट्ठ. 2.203; - केन पु., तृ. वि., ए. व. - आपत्तिपटिग्गाहकेनापि “सुणन्तु मे आयस्मन्ता ... कवा. अट्ठ 154; - के पु., सप्त. वि., ए. व. - देसेतीति आपत्तिपटिग्गाहके सभागपुग्गले सति ... देसेतियेव, म. नि. अट्ठ (मू.प.) 1(2).295. आपत्तिपरिच्छेद पु., तत्पु. स., आपत्ति या अपराध की सुनिचित सीमा - अप्पटिच्छन्नायो ति आदीस आपत्तिपरिच्छेदवसेन परिमाणायो चेव अप्पटिच्छन्नायो चाति अत्थो, चूळव. अट्ठ. 35; - विरहित त्रि०, अपराध का विनिश्चय करने में अक्षम - तो पु., प्र. वि., ए. व. - अपदानं वुच्चति परिच्छेदो, आपत्तिपरिच्छेदविरहितोति अत्थो, महाव. अट्ठ. 404.
आपत्तिपरिवास पु., तत्पु. स., आपत्ति में आपतित हो जाने
के कारण निर्धारित अवधि के लिए परीक्ष्यमाण स्थिति में रहने का दण्ड - सं द्वि. वि., ए. व. - ते नेव तित्थियपरिवासं वसन्ति, न आपत्तिपरिवास.... वसन्ति, दी. नि. अट्ठ. 3.40. आपत्तिपुच्छा स्त्री., [आपत्तिपृच्छा], आपत्ति के विषय में पूछ-ताछ - च्छा प्र. वि., ए. व. - ... मातिकाय च विभङ्गे
च आगतापत्तिपुच्छा, परि. अट्ठ. 152. आपत्तिबहुका स्त्री., कर्म. स., आपत्तियों की बहुलता, बहुत सारी आपत्तियां – का प्र. वि., ए. व. - आपत्तिबहुका
जेय्या, पुनप्पुनं निपज्जने, विन. वि. 2248. आपत्तिबहुल त्रि., ब. स., बहुत सारे अपराध करने वाला, अपराध करते रहने की प्रकृति वाला - लो पु., प्र. वि., ए. व. -भिक्खु बालो होति अब्यत्तो आपत्तिबहलो अनपदानो, महाव. 419; आपत्तिबहुलोति, सापत्तिककालोवस्स बहु, सुद्धो निरापत्तिककालो अप्पोति अत्थो, म. नि. अट्ठ. (म.प.) 2.110; - स्स पु., ष. वि., ए. व. - बालस्स अब्यत्तस्स आपत्तिबहुलस्स तज्जनीयकम्मं करोन्तेन, चूळव. अट्ठ.2; - ला पु., प्र. वि., ब. व. - सापत्तिका वाति आपत्तिबहुला, महानि. अट्ट, 189; - ता स्त्री., भाव., आपत्तियों की अधिकता अथवा अनेकता - ता प्र. वि., ए. व. - आपत्तिट्ठाने पन धारावच्छेदवसेन पयोगबहुलताय
आपत्तिबहुलता वेदितब्बा, पारा. अट्ठ. 2.183. आपत्तिभय नपुं.. तत्पु. स., आपत्तियों अथवा भिक्षुसङ्घीय
अपराधों का भय - यानि प्र. वि., ब. व. - चत्तारिमानि, .... आपत्तिभयानि, अ. नि. 1(2).276; आपत्तिभयानीति, इमानि
चत्तारि आपत्तिं निस्साय उप्पज्जनकभयानि नामाति, अ. नि. अट्ठ. 2.392; - वग्ग पु., अ. नि. के एक वग्ग का शीर्षक जिसमें भिक्षुसङ्घ के अपराधों से उत्पन्न भयों का विवरण है, अ. नि. 1(2).275-282.
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