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आभा
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आभिचेतसिक
आभा... ओभासं न वळञ्जन्ति, म. नि. अट्ठ. (म.प.) आभावग्ग पु., अ. नि. के एक वर्ग का शीर्षक, अ. नि. 1(2). 2.193; - हि त. वि., ब. व. - हेमाचला व दिस्सन्ति 160-162. तस्साभाहितहिं तदा जिन. च. 204(रो.); - कर पु., आमावेति आ + भू का प्रेर., वर्त, प्र. पु., ए. व. [आभावयति], [आभाकर], प्रकाश को उत्पन्न करने वाला सूर्य - रो प्र. उत्पन्न करता है, जन्म देता है, अस्तित्व में लाता है, वृद्धि वि., ए. व. - रंसिमाभाकरो भान अक्को सहस्सरंसि च, कराता है - वेसि अद्य०, प्र. पु., ए. व. - मेत्ताचित्तं अभि. प. 63; - धातु स्त्री., तत्पु. स., आभा अथवा प्रकाश अभावेसि ब्रह्मलोकूपपत्तिया, पे, व. 384; - त्वा पू. का. का मूलभूत तत्त्व, सात प्रकार के धातुविभाजनों में से एक कृ. - मेत्ताचित्तं आभावेत्वा, ब्रह्मलोकूपपत्तिया, पे. व. 386%; - आभाधातु. सुभधातु, आकासानञ्चायतनधातु, आभावेत्वाति वड्डत्वा ब्रूहेत्वा, अभावत्वाति केचि पठन्ति, तेसं विज्ञआणञ्चायतनधातु, आकिञ्चायतनधातु, अकारो निपातमत्तं, पे. व. अट्ठ. 146. नेवसानासचायतनधातु, सञआवेदयितनिरोधधातु ... सत्त आभास पु., आ + भास से व्यु., केवल स. उ. प. में प्रयुक्त धातुयो ति, स. नि. 1(2).132; आभाधातूति आलोकधातु, [आभास], प्रकाश, चमक, दीप्ति, रंग, आकार - आलोकस्सपि आलोककसिणे परिकम्म कत्वा कनकाभासा स्त्री., ब. स., प्र. वि., ए. व., सोने के समान उप्पन्नज्झानस्सापीति सहारम्मणस्स झानस्स एतं नाम, स. वर्ण वाली - सा कज्ञा कनकाभासा, पदुमाननलोचना, नि. अट्ठ. 2.118; - नानत्त नपुं., भाव. [आभानानात्व], अप. 2.216; - कम्बुतलाभासा स्त्री., ब. स., प्र. वि., ए. आभा अथवा प्रकाश में विविधता - वण्णनानत्तहि खो व., शंख के समान आकार वाली - दीघा कम्बुतलाभासा, पायति नो च आभानानत्तं. म. नि. 3.187; आभानानत्तन्ति गीवा एणेय्यका यथा, जा. अट्ठ. 5.150. आलोके नानत्तं न पञआयति, म. नि. अट्ट (उप.प.) __आभासति' आ +vभास का वर्त०, प्र. पु., ए. व. [आभाशते]. 3.148.
बोलता है, सम्बोधित करता है, बातचीत करता है - आमा' पु./स्त्री., केवल ब. व. में प्रयुक्त, शा. अ., भिक्खवोति भगवा आभासति, म. नि. अट्ठ. (मू.प.) 1(1).17; प्रभास्वर, देदीप्यमान, ला. अ., परित्ताभा, अप्पमाणाभा -न्ति ब. व. - अम्म ताताति पठमतरं आभासन्ति, पारा. तथा आभस्सर, नामक तीन प्रकार के देवों के लिए प्रयुक्त - आभा देवा ... दीघायुका वण्णवन्तो आभासति आ +vभास (चमकना) का वर्त, प्र. पु., ए. व. सुखबहुलाति, म. नि. 3.145; आभातिआदीसु [आभासते], चमकता है, दिखता है, प्रतीत होता है - आभादयो नाम पाटियेक्का देवा नत्थि, तयो अभब्बतो आभासति उपहातीति अभब्बाभासं, म. नि. अट्ठ. परित्ताभादयो देवा आभा नाम, परित्तासुभादयो च, म. (उप.प.) 3.193. नि. अट्ट. (उप.प.) 3.108; या ता, ... आभा सब्बा ता आभासनसील त्रि., चमकदार, दीप्तिमान – ला पु., प्र. परित्ताभा उदाहु सन्तेत्थ एकच्चा देवता अप्पमाणाभाति, म. वि., ब. व. - ... पभाय आभासनसीलाति आभस्सरा, अभि. नि. 3.188; आभा नाम विसं नत्थि, परित्ताभअप्पमाणाभ ध. वि. टी. 149. आभस्सरानमेतं अधिवचनं, म. नि. अट्ठ. (मू.प.) आभासुत्त नपुं., अ. नि. के एक सुत्त का शीर्षक, अ. नि. 1(2).229.
1(2).160. आभाति आ +vभा का वर्तः, प्र. पु., ए. व., अच्छी तरह से आभिक्खञ नपुं., अभिक्खण का भाव. [आभीक्ष्ण्य, बौ. सं. चमकता है, सम्यकरूप से सुशोभित करता है, प्रकाशित आभीक्ष्णक], निरन्तर आवृत्ति, लगातार दुहराया जाना, करता है, देदीप्यमान बना देता है - रत्तिमाभाति चन्दिमा, सतत रूप से पुनरावृत्ति – सीलाभिक्खा वस्सकेसु णी, स. नि. 1(1).18; 56; रत्तिमाभाति चन्दिमा ति उद्वहन्तस्स मो. व्या. 5.53. चन्दस्स अञ्जलिं पग्गहि, स. नि. अट्ट. 2.217-18; - सि आभिचेतसिक त्रि., अभिचेतस से व्यु., सुस्पष्ट एवं विशुद्ध म. पु., ए. व. - का न विज्जरिवाभासि, ओसधी विय मानसिकता वाला, शुद्ध चित्तवृत्ति से युक्त - को प., तारका, जा. अट्ट. 4.414; - भन्ति प्र. पु., ब. व. -- प्र. वि., ए. व. - अयमस्स पठमो आभिचेतसिको तपन्ति आभन्ति विरोचरे च, सतेरता विज्जरिवन्तलिक्खे, दिठ्ठधम्मसुखविहारो अधिगतो होति, अ. नि. 2(1).197; - जा. अट्ट. 5.194.
कानं नपुं. ष. वि., ब. व. - चतुन्नं झानानं आभिचेतसिकानं
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