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आदियति
नादिविध. प. अ. 2.176 अनादियित्वा पू. का. कृ. निषे, नहीं मान कर - संङ्घभेदो तिआदीहि ओवदितोपि सत्थु वचनं अनादियित्वा पक्कन्तो आयस्मन्तं आनन्द राजगहे पिण्डाय चरन्तं दिवा थ. प. अड. 1.82 ला. अ. 4., (किसी की) आज्ञा को मानता है, आज्ञाकारी होता है, अनुसरण करता है, वशवर्ती हो जाता है ति वर्त., प्र. पु. ए. व. सानेव सस्सुं आदियति न ससुरं आदियति, न सामिकं आदियति, अ. नि. 2 ( 2 ) .229; न ससुरं आदियतीति वचनं न गण्हाति, अ. नि. अनु. 3.178 - न्ति ब. व. नेव महाराजानं आदियन्तीति वचनं न गण्हन्ति, आणं न करोन्ति दी. नि. अट्ठ. 3.136; ला. अ. 5. दृढ़तापूर्वक पकड़ लेता है, किसी विचार या धारणा के साथ स्वयं को जोड़ देता है अनादियानं पु.. वर्त क्र. निषे, द्वि. वि. ए. व. - तं ब्राह्मणं दिट्टिमनादियान, केनीध लोकस्मिं विकप्पयेय्य सु. नि. 808; तं ब्राह्मणं दिद्विमनादियन्तं अगण्हन्तं अपरामसन्तं अनभिनिवेसन्तन्ति, महानि 80: विस्सन्ति भदि प्र. पु. ब. व. - उक्कलेस्सन्ति न खो मम सावका मया विसज्जापीयमाना ममच्ययेन खुदानुखुदकानि सिक्खापदानि उदाहु आदियिस्सन्ती' ति, मि० प० 144. आदियति व्यु, संदिग्ध आ + √दा अथवा आ + √दर का वर्त, प्र. पु. ए. व. [ आद्रियते] 1. आदर करता है, सम्मान करता है, प्रतिष्ठा करता है, 2. स्वयं को पूरी तरह से लगा देता है, मन लगाता है 3. आदियति के ही अर्थों में- अनादरो नाम सङ्घ वा गणं वा पुग्गलं वा कम्मं वा नादियति, पाचि० 294; एकपुग्गलं वा तं कम्मं वा न आदियति, न अनुवत्तति, न तत्थ आदरं जनेतीति अत्थो, पाचि अड. 166 - यि अय., प्र. पु. ए. व. - एवम्पि खो आयस्मा उदायी विसाखाय मिगारमातुया वुच्चमानो नादियि, पारा. 293; नादियीति तस्सा वचनं न आदियि, न गण्डि न वा आदरमकासीति अत्थो, पारा, अट्ट. 2.194 - विस्सन्ति भवि., प्र. पु. ब. व. - नादियिस्सन्तुपज्झाये, खमुड्रो विय सारथिं, थेरगा. 976: नादिविस्सन्तुपज्झायेति उपज्झाये आचरिये च आदरं न करोन्ति, तेस अनुसासनियं नतिद्वन्ति, थेरगा. अ. 2.313 अनादियित्वा पू० का. कृ. का निषे, अनादर करके, स्वीकार न करके अथ खो सो यक्खो तं यक्खं अनादियित्वा उदा. 113; अनादिवित्वाति आदरे अकत्वा, तस्स वचने अग्गहेत्वा, उदा. अ. 199.
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आदिविकार
पु०, प्र०
आदियनमुख त्रि. ब. स., कही गई बात पर तुरन्त विश्वास कर लेने वाला, भोलाभाला, कान का कच्चा खो कि.. ए. व. - आदेय्यमुखोति आदियनमुखो गहणमुखोति अत्थो, अ. नि. अट्ठ. 3.51; सद्दहनट्टेन हि आदानेन एस आदियनमुखोति वृत्तो, तदे..
व.
आदियनवत्थु नपुं., न दी गई वस्तु को ग्रहण कर लेने के अपराध से सम्बद्ध एक सिक्खापद स्मिं सप्त. वि., ए. रज्ञ दारूनि अदिनं आदियनवत्थुस्मिं पञ्ञतं कड्ढा. अट्ट. 123; सावत्थियं अज्ञ्जतरं भिक्खुनिं आरम्भ जतुमकसादियनवत्यस्मिं पञ्ञतं कड्डा. अड्ड. 300. आदियापेति आ + √दा के प्रेर० का वर्त., प्र. पु. ए. व., ग्रहण कराता है, स्वीकार कराता है न अदिन्नं आदियति, न अदिन्नं आदियापेति, न अदिन्नं आदियतो समनुज्ञो होति., दी. नि. 3.35.
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आदियाम पु. तत्पु, स.. रात्रि का प्रथम याम मे सप्त. वि. ए. व. आदियामे नमस्सामि, मज्झिमे अथ पच्छिमे,
अप. 1.50.
आदिरस्स त्रि. ब. स. व्याकरण में प्रयुक्त [आदिह्रस्व], वह वर्णसमूह, जिस का आदिस्वर ह्रस्व हो स्सो पु. प्र. वि.. ए. व. आदिरस्सो ताव पगेव इच्छेवमादि, क. व्या. 405; तत्थ आदिरस्सो - पगेव इच्चादि, सद्द 3.808. आदिराज पु.. कर्म. स. [आदिराजन्] प्रथम राजा श्रीलङ्का का प्रथम शासक जाप्र. वि., ए. व.. तस्मियेव वस्से सीहकुमारस्स पुत्तो तम्बपण्णिदीपस्स आदिराजा विजयकुमारो पारा. अट्ठ. 1.51; भागीरथानन्ति पन पाठे भागीरथो नाम आदिराजा, थेरगा. अड. 2.144. आदिलोप पु. व्याकरण में प्रयुक्त [ आदिलोप] प्रथम वर्ण का लोप, आदिभूत वर्ण का लोप पो प्र. वि. ए. व. - आदिलोपो ताव तालीस इच्चेवमादि, क. व्या. 406; कालियो इच्चादि, आदिलोपो तालीस इच्चादि, सद्द
3.809.
आदिवण्ण पु.. कर्म. स. [ आदिवर्ण] प्रथम वर्ण, आदिभूत वर्ण स.वि., ए. व. चत्तालीससद्दस्स गणने परियापन्नस्स आदिवण्णस्स लोपो होति सद 3.800ण्णानं ब. व. क्वचादिवण्णानमेकस्सरानं द्वेभावो, क.
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व्या. 460.
आदिविकार पु., तत्पु० स., व्याकरण का परिभाषिक शब्द, किसी शब्द के प्रथम या आदि वर्ण में ध्वनि परिवर्तन - रो प्र. वि. ए. व. आदिविकारो ताव आरिस्स् आसभ
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