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आदेसिका
यथा
आदेसनविधा स्त्री, तत्पु. स. दूसरों के चित्तों को जानने का एक प्रकार या पद्धति सु सप्त. वि., ब. व. भगवा धम्मं देसेति आदेसनविधासु चतस्सो इमा, भन्ते आदेसनविधा दी. नि. 3.76 था द्वि. वि. ब.व.इदानि ता आदेसनविधा दस्सेन्तो चतस्सो इमाति आदिमाह, दी. नि. अड. 3.62.
आदेसना आदि से व्यु. क्रि. ना. [ आदेशन]. शा. अ. संकेतन, इशारा, सूचित करना, ला. अ.. किसी के चरित्र के विषय में अनुमान करना, दूसरे के मन को पढ़ना, भविष्यवाणी करना ना प्र. वि., ए. व. आदेसनाति परस्स चित्ताचार अत्या कथनं आदेसनापाटिहारिय बु. वं. अड. 44 इद्धिआदेसनानुसासनीभेदेन तेसु च एकेकस्स विसयादिभेदेन विविध बहुविधं वा उदा. अड. 9. इद्धि आदेसनानुसासनीसमुदाये भवं एकेक पाटिहारियन्ति दुष्यति तदे.; - नं द्वि. वि., ए. व. इतरेसु पन आदिस्सनवसेन आदेसनं, अनुसासनवसेन अनुसासनी, पटि म.अ.
2.284.
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आदेसनापाटिहारिय नपुं० तत्पु० स० [ आदेशनप्रातिहार्य ], दूसरे के चित्तों को जानने की अलौकिक शक्ति, एक प्रकार का ऋद्धिबल या मानसिक बल यं प्र. वि. ए. व. इद्धिपरिहारिय आदेसनापाटिहारियं, अनुसासनीपाटिहारिय, दी. नि. 1. 196 आ. नि. 1 ( 1 ). 198, 199; अथ वा इति एवं आदिसनं आदेसनापाटिहारियन्ति आदेसनसदो पाठसेस कत्वा पयुज्जितब्बो, पटि, म. अड्ड 2.286 - येन वि., ए. व. तृ. "इमं खो अहं, केवट्ट, आदेसनापाटिहारियेन अट्टीयामि हरायामि जिगुच्छामि दी. नि. 1.198 यानुसासनी स्त्री. दूसरें के चित्तों को जानकर उन चित्तों के अनुरूप दी गई शिक्षा नी. प्र. वि. ए. व. आदेसनापाटिहारियानुसासनी नाम एवम्पि ते मनो तथापि ते मनोति एवं परस्स चितं जानित्वा तदनुरूपा धम्मदेसना, चूळव. अ. 110 निया तृ. वि. ए. व. - अथ खो आयरमा सारिपुत्तो आदेसनापाटिहारियानुसासनिया भिक्खु धम्मियाकथाय ओवदि अनुसासि, चूळव, 340; - योजना स्त्री०, दूसरों के चित्तों का ज्ञान कराने वाले ऋद्धिबल एवं मानसिक बल के साथ सन्बन्ध या जोड़यतृ. वि. ए. व. इति अनुसासनीपाटिहारियन्ति एत्थ आदेसनापाटिहारिययोजनाय विय योजना कातब्बा, पटि. म. अ. 2.286.
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आधान
आदेसमूत त्रि. व्याकरण में प्रयुक्त, वह जो किसी का स्थानापन्न बना दिया गया है - ते पु०, सप्त. वि., ए. व. पावचने आदेसभूते उकारे परे निच्चं वकार-रकारागमो होति सद. 3.830.
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आदेससर पु. तत्पु, स. [ आदेशस्वर] किसी अन्य के स्थान पर आया हुआ स्वर एकवचनद्वाने येव सागमो भवति आदेससरपरत्ता, सद्द० 1.123. आदेसिका स्त्री० [आदेशिका ] संकेत देने वाली स्त्री, इशारों से बतलाने वाली नारीका प्र. वि., ए. व. आपणादेसिका सा तु देवित्तं तस्स पत्थयि, म. वं. 5.59; तेन वृत्तं "आपणादेसिका सातु ... पे... अतिमनोरमं ति, म. वं. टी. 164 (ना.).
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आदो अ.. सप्त. वि. प्रतिरू, निपा आदि शब्द का सप्त. वि. ए. व. [आदौ ] प्रारम्भ में पलापोनत्धिका गिरा, आदो भासनमालापो, विलायो तु परिवो, अभि. प. 123; आदि इच्चेतस्मा स्मिंवचनस्स अं-ओ च आदेसा होन्ति वा आदि, आदो, क. व्या. 69; लोहपासादमादो व कासी पासादमुत्तमं चू, थे 37.62; आदो धुल्लच्चयं तेसु, दुतिये च पराजयो, विन. वि. 164.
आधातब्ब त्रि.. आ +धा का सं. कृ. [आधातव्य], ठीक से रखने योग्य, स्थापित करने योग्य - ता स्त्री०, भाव०, ठीक से रखा जाना तं द्वि. वि., ए. व. को पनाय समाधानट्ठो ? सम्मदेव आधातब्बता, उदा. अट्ठ 158; यथा गन्धकरण्डके कासिकवत्थं आधातब्बतं ठपेतब्बतं गच्छति, प. प. अट्ठ. 65.
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आधातुकाम त्रि. ब. स., स्थापित करने की इच्छा करने वाला, आग को परचाने की कामना करने वाला मो प्र० कि.. ए. व. तथागता पुच्छितब्बा अहहि भन्ते अग्गि आदातुकामो यूपं उस्सापेतुकामो, अ. नि. 2(2). 192. पाठा. आदातुकामो.
आधान आ + √ा से व्यु., क्रि. ना. [आधान], अनेक स्थलों में आदान के साथ व्यामिश्रित, 1. नपुं स्थापना, रखा जाना, प्राप्ति, स्थापित करना, निष्पन्न करना, बीच में रख देना, धरोहर, ( आग को जलाना - नं. प्र. वि., ए. व. एकारम्मणे चित्तचेतसिकानं समं सम्मा च आधानं, ठपनन्ति बुत्तं होति. विसुद्धि. 1.83 भो गोतम्, अग्गिस्स आदानं यूपस्स उस्सापनं महाफलं होति महानिसंसन्ति अ. नि. 2(2). 191: अग्गिस्स आदानन्ति यज्ञयजनत्थाय नवस्स मङ्गलग्गिनो आदियनं अ. नि. अनु. 3.168 2. त्रि. वह
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