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आदीनवजात
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आदीनवपरियेसना
अट्ठ. 408; टि., पालि-तिपिटक में आदीनव के तीन प्रकार के समूहों का उल्लेख हैं - 1. शील से संबंधित पांच प्रकार के आदीनव - इमे खो, गहपतयो, पञ्च आदीनवा दुस्सीलस्स सीलविपत्तिया, महाव. 303; 2. मादक वस्तुओं के सेवन के छ: प्रकार के आदीनव या दुष्परिणाम - इमे खो, गहपतिपुत्त, छ आदीनवा सुरा - मेरय-मज्जप्पमादट्ठानानुयोगे, दी. नि. 3.138; 3. राजाओं के अन्तःपुरों में प्रवेश आदि से प्राप्त होने वाले आदीनव या दुःख - दसयिमे, भिक्खवे, आदीनवा राजन्तेपरप्पवेसने, पाचि. 210. आदीनवजात त्रि., दुर्गतिग्रस्त, विपत्ति से पीड़ित, उत्पीड़ित - ते पु., सप्त. वि., ए. व. - उपद्दवजातेति आदीनवजाते, चूळनि. अट्ठ. 71. आदीनवज्ञाण नपुं.. [आदीनवज्ञान], बुरे परिणाम अथवा दुष्परिणामों की पहचान, दीनता अथवा बुरी अवस्था का ज्ञान - णं प्र. वि., ए. व. - सम्मसनजाणं... आदीनवजाणं .... अनुलोमत्राणञ्चेति दस विपस्सनाञाणानि, अभि. ध. स.
66; तस्सेवं पस्सतो आदीनवाणं नाम उप्पन्न होति, विसुद्धि. 2.283; दिनुभयानं आदीनवतो पेक्खणवसेन पवत्तं जाणं आदीनवजाणं, अभि. ध. वि. टी. 232; - स्स ष. वि., ए. व. - आणन्तिआदि पन आदीनवञाणस्स पटिपक्खञाणदस्सनत्थं वुत्तं, पटि. म. अट्ठ. 1.221. आदीनवता स्त्री०, आदीनव का भाव. [आदीनवत्व]. विपन्नता, दुःख से ग्रस्त होने अथवा उत्पीड़ित होने की अवस्था - य तृ. वि., ए. व. - पवत्तिदुक्खताय दुक्खस्स च आदीनवताय आदीनवतो, पटि. म. अट्ठ. 2.292. आदीनवत्त नपुं.. आदीनव का भाव., केवल स. उ. प. के रूप में ही प्रयुक्त [आदीनवत्व], उपरिवत्, दिट्ठा.- संकट या विपत्ति के दिखलायी देने की अवस्था-त्ता प. वि., ए. व. - कलहकारके किरस्स दिट्ठादीनवत्ता समग्गवासिनो, म. नि. अट्ठ. (उप.प.) 3.152; रूपा. - नपुं. रूप से संबंधित विपत्ति अथवा दोष - त्ता प. वि., ए. व. - अथस्स परिविदितरूपादीनवत्ता पथवीकसिणादीसु अञ्जतरं उग्घाटेत्वा .... स. नि. अट्ठ. 3.207; सुपरिविदिता. - उपरिवतविपत्ति या दोष से अच्छी तरह से परिचित रहना - ता प. वि., ए. व. - तासो उप्पज्जि भेरवोति सुपरिविदितादीनवत्ता भयानको चित्तुत्रासो उदपादि, चरिया. अट्ठ. 198.
आदीनवदस्स त्रि., बुरी अवस्था, संकट अथवा भय को दिखलाने वाला - सो पु., प्र. वि., ए. व. - अनादीनवदस्सोति यं भगवा इदानि सिक्खापदं पञपेन्तो
आदीनवं दस्सेस्सति, पारा. अट्ठ. 1.164. आदीनवदस्सन नपुं., तत्पु. स. [आदीनवदर्शन], विपत्ति, संकट अथवा हानियों को देखना - नं प्र. वि., ए. व. - सप्पे आदीनवदस्सनं विय आदीनवानुपस्सनाञाणं, पटि. म. अट्ठ. 1.27; - नेन तृ. वि., ए. व. - भयदस्सनेन सभये अभयसाय आदीनवदस्सनेन अस्सादसाय, म. नि. अट्ठ. (मू.प.) 1(1).26; - जाण नपुं.. हानि, विपत्ति या संकट का दर्शन तथा ज्ञान - णं प्र. वि., ए. व. - आदीनवानुपस्सनाति भयतुपट्टानवसेन उप्पन्नं सब्बभवादीसु
आदीनवदस्सनाणं, पटि. म. अट्ठ. 1.90. आदीनवदस्सावी त्रि., विपत्ति अथवा संकट को देखने वाला-वी पु., प्र. वि., ए. व. - तं अगधितो अमुच्छितो अनज्झापन्नो आदीनवदस्सावी निस्सरणपओ परिभुञ्जति, दी. नि. 3.33; म. नि. 2.36; स. नि. 1(2).174; आदीनवदस्सावीति अनेसनापत्तियञ्च गधितपरिभोगे च आदीनवं परसमानो, स. नि. अट्ठ. 2.146; - विनो प्र. वि., ब. व. - इमे पञ्च कामगुणे गथिता... आदीनवदस्साविनो निस्सरणपञआ परिभुञ्जन्ति, म. नि. 1.233. आदीनवदस्सिता स्त्री., आदीनवदस्सी से व्यु, भाव., संकट या विपत्ति को देखने या जानने की क्षमता, केवल स. उ. प. के रूप में ही प्राप्त; अना.- संकट या विपत्ति को नहीं देख सकने की अवस्था- य त वि., ए. क. - ते दूरतो वज्जेचा सङ्घारे यथाभूतं पस्सतो च तत्थ अनादीनवदस्सिताय, उदा. अट्ट, 282. आदीनवदस्सी त्रि., [आदीनवदर्शिन]. संकट या विपत्ति
को देखने की क्षमता रखने वाला, - स्सी पु.. प्र. वि., ए. व. - सो अत्तहिताय पटिपन्नो पण्डितो कुसलो ब्यत्तो
आदीनवदस्सी, पेटको. 303. आदीनवपटिच्छादक त्रि., संकट, विपत्ति अथवा हानि को आच्छादित कर लेने वाला - कं पु., वि. वि., ए. व. - अमोहेन तेस्वेव आदीनवपटिच्छादकं मोहं धुनाति, विसुद्धि. 1.80; आरक्खदुक्खपराधीनवुत्तिचोरभयादि
आदीनवपटिच्छादक विसुद्धि. महाटी. 1.98; - का स्त्री., प्र. वि., ए. व. - अविज्जाति तत्थेव आदीनवपटिच्छादिका
अविज्जा, थेरगा. अट्ठ. 2.399. आदीनवपरियेसना स्त्री., तत्पु. स. [आदीनवपर्येषणा], विपत्ति अथवा संकट की खोज या तलाश - नं द्वि. वि.,
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