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आजीवविपन्न
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आजीविकभय
आजीवविपत्तिपच्चया छ आपत्तियों आपज्जति, परि. 202; - पुच्छा स्त्री., तत्पु. स. [आजीवविपत्तिपृच्छा], आजीवविपत्ति के विषय में प्रश्न, मिथ्या-आजीव के विषय में प्रश्न - आचारविपत्तिपुच्छा, दिष्टिविपत्तिपुच्छा, आजीवविपत्तिपुच्छा, परि. 324. आजीवविपन्न त्रि., तत्पु. स. [आजीवविपन्न]. सम्यकआजीव की स्थिति से रहित, विशुद्ध जीवनवृत्ति से रहित, जीविका उपार्जन के विशुद्ध साधन नहीं अपनाने वाला -- न्नो पु., प्र. वि., ए. व. - मिच्छादिट्ठिको च होति,
आजीवविपन्नो च, परि. 339. आजीवविसुद्धि स्त्री., तत्पु. स. [आजीवविशुद्धि], जीविका की शुद्धि - आजीवविसुद्धिपरियोसानस्स सीलस्स उपनिस्सयो होति, परि. अट्ठ. 210-11. आजीवत्ति स्त्री., जीविका का साधन, व्यवसाय, जीवनयापन के लिए आवश्यक कामधंधा - सतानि नपुं.. प्र. वि., ब. व. - एक सौ प्रकार के जीविकोपार्जन के साधन, एक सौ प्रकार के व्यवसाय - एकूनपास आजीवकसतेति एकूनपासआजीवकवुत्तिसतानि, दी. नि. अट्ठ 1.134; म. नि. अट्ठ. (म.प.) 2.165. आजीवसंवर पु.. तत्पु. स., जीवनवृत्ति के विशय में ग्रहण किया गया संयम, जीवकोपार्जन में संयम - रो पु.. प्र. वि., ए. व. - दसयिमे, भिक्खवे, धम्मा सरीरद्धा.... कायसंवरो, वचीसंवरो, आजीवसंवरो, पोनोभविको भवढारो, अ. नि. 3(2).73. आजीवसम्पदा स्त्री., तत्पु. स. [आजीवसम्पत्], उत्तम जीवनवृत्ति, जीविका कमाने के अच्छे तरीकों की प्राप्ति, सम्यक् आजीवता, सम्यक आजीव होकर जीवन जीना - इध, भिक्खवे, एकच्चो सम्माआजीवो होति, सम्माआजीवेन जीविकं कप्पेति अयं वुच्चति, भिक्खवे, आजीवसम्पदा, अ. नि. 1(1).306, कम्मन्तसम्पदा, आजीवसम्पदा दिद्विसम्पदा, अ. नि. 1(1).305; का सम्पत्तीति या चस्स सीलसम्पदा चेव आजीवसम्पदा च दी. नि. अट्ठ. 1.190; या चरस सीलसम्पदा च आजीवसम्पदा च, सा सम्पत्ति, अ. नि. अट्ठ 2.21. आजीवसीलाचारविपन्न त्रि., तत्पु. स., सम्यक् आजीव, शीलों एवं उत्तम आचरण से रहित – न्नो पु., प्र. वि., ए. व. - आजीवसीलाचारविपन्नोपि ब्राह्मणो भवेय्य, म. नि. अट्ठ. (म.प.) 2.306. आजीवसुद्धि स्त्री., तत्पु. स. [आजीवशुद्धि], सम्यक् आजीव होने की दशा, विशुद्ध जीवनवृत्ति, जीविका उपार्जन के
लिए अपनाए गए साधनों की पवित्रता --द्धि द्वि. वि., ए. व. - सम्पस्सतन्ति सम्मा आजीवसुद्धि पस्सतं. सु. नि. अट्ठ. 1.119, आजीवसुद्धि रक्खेय्य अकरोन्तो अनेसनं. सद्धम्मो. 392. आजीवहेतु अ, च. वि., प्रतिरू. निपा., जीविका पाने के निमित्त - आजीवहेतूति जीविकनिमित्तं, विसुद्धि. महाटी. 1.48; आजीवहेतु आजीवकारणा पापिच्छो इच्छापकतो असन्तं अभूतं उत्तरिमनुस्सधम्म उल्लपति, परि. 202; विसुद्धि. 1.22; आजीवहेतु आजीवकारणा - भिक्खु उत्तरिमनुस्सधम्म ... नयेन परिवारे पञ्जत्तानि छ सिक्खापदानि, म. नि. अट्ठ. (उप.प.) 3.24; - क त्रि., जीविकोपार्जन के कारण उत्पन्न या उदित - यं पन नआजीवहेतुकं चतुब्बिधं वचीदुच्चरितं भासन्ति, ध. स. अट्ठ. 264; - पञत्त त्रि., जीविका कमाने के सन्दर्भ में कहा गया या बतलाया गया (शिक्षापद)- त्तानं नपुं.. ष. वि०. ब. व. - या पन आजीवहेतुपञ्जत्तानं छन्नं सिक्खापदानं वीतिक्कमस्स, विसुद्धि. 1.16; - त्तेहि नपुं., तृ. वि., ब. व. - आजीवेनपि चोदेतीति आजीवहेतपञत्तेहि छहि सिक्खापदेहि चोदेति, परि. अट्ठ. 204. आजीविक'/आजीविका नपुं., (स.प. में)/स्त्री., [बौ.
सं. आजीवक/आजीवका], जीविका कमाने के आवश्यक साधन - य तृ. वि., ए. व. - आजीविकाय पकतो अभिभूतोति अत्थो. म. नि. अट्ठ. (म.प.) 2.129; आजीविकापकताति आजीविकाय उपडुता अभिभूता, स. नि. अट्ठ. 2.267; - पकत त्रि., अट्ठ. में प्रायः आजीविका + अपकत रूप में व्याख्यात, वह, जिसका प्रत्येक व्यवहार केवल जीविका कमाने मात्र के लिए है, दरिद्र, दुर्गतिग्रस्त, केवल जीविका कमाने में लगा हुआ - तो पु., प्र. वि., ए. व. - आजीविकाय पकतो अभिभूतोति अत्थो, म. नि. अट्ठ. (म.प.) 2.129; - ता ब. व. - ते ... राजाभिनीता ... नाजीविकापकता अगारस्मा अनगारियं पब्बजिता. म. नि. 2.136. आजीविक' पु., द्रष्ट. आजीवक के अन्त.. आजीविकपब्बजा स्त्री., द्रष्ट. आजीवक के अन्त.. आजीविकभय नपुं., तत्पु. स. [आजीविकाभय, बौ. सं.
आजीविकभय], पांच प्रकार के भयों में से एक, जीविका कमाने के सन्दर्भ से उत्पन्न जीविकोपार्जन-सम्बन्धी भय, जीविकोपार्जन के कारण उत्पन्न भय - यं प्र. वि., ए. व. - आजीविकभयं, असिलोकभयं, परिससारज्जभयं,
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