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आकासानञ्चायतन
आकासानन्त
विआणञ्चायतनभूमि... चेति अरूपभूमि चतुबिधा होति, अभि. ध. स. 32; - विपाकचित्त नपुं., तत्पु. स. [बौ. सं. आकाशानन्त्यायतनविपाकचित्त], वह चित्त, जो आकाश की अनन्तता को अपना आलम्बन बनाकर की गई ध्यानभावना के विपाक के रूप में उदित होता है, अरूपभूमि के चार प्रकार के विपाकचित्तों में प्रथम - आकासानञ्चायतनविपाकचित्तं, ... इमानि चत्तारिपि अरूपावचरविपाकचित्तानि नाम, अभि. ध. स. 5; - सञ्जा स्त्री., तत्पु. स. [बौ. सं. आकाशानन्त्यायतनसंज्ञा], आकाश की अनन्तता पर ध्यान करते हुए प्राप्त होने वाला संज्ञाज्ञान - अं द्वि. वि., ए. व. - ... पथवीसनं, आकासानञ्चायतनसझं पटिच्च मनसि करोति एकत्तं, तस्स आकासानञ्चायतनसाय चित्तं पक्खन्दति पसीदति सन्तिट्ठति अधिमुच्चति, म. नि. 3.149; - य तृ. वि., ए. व. - आकासानञ्चायतनसाय पथवीसझं..., म. नि. अट्ठ. (उप.प.) 3.112; - सञी त्रि., [बौ. सं. आकाशानन्त्यायतनसंज्ञिन], आकाश की अनन्तता के विषय में संज्ञा ज्ञान को प्राप्त कर चुका - जी पु., प्र. वि., ए. व. - तथारूपो समाधिपटिलाभो यथा ... न आकासानञ्चायतने आकासानञ्चायतनसञी अस्स, अ. नि. 3(2).6; - समापत्ताधिमुत्त त्रि०, तत्पु. स. [आकाशानन्त्यायतनसमापत्यधिमुक्त], आकाशानन्त्यायतन नामक अरूप ध्यान की प्राप्ति के निमित्त स्वयं को पूरी तरह से लगाया हुआ - त्तो पु., प्र. वि., ए. व. - चतुत्थज्झानाधिमुत्तोआकासानञ्चायतनसमापत्ताधिमुत्तो ... धिमुत्तं, चूळनि. 154; - समापत्ति स्त्री., तत्पु. स. [बौ. सं. आकाशानन्त्यायतनसमापत्ति], 1. प्रथम अरूपध्यान की प्राप्ति, आकाश की अनन्तता पर चित्त की समता एवं एकाग्रता की प्राप्ति - अयम्पि खो आकासानञ्चायतनसमापत्ति अभिसङ्घता अभिसञ्चेतयिता, म. नि. 2.15; आकासानञ्चायतनमेव समापत्ति आकासानञ्चायतनसमापत्ति, पटि. म. अट्ठ. 1.78; 2. नौ प्रकार की समाधि-चर्याओं अथवा ध्यानाभ्यासों में आठवीं - नवहि समाधिचरियाहीति ... आकासानञ्चायतनसमापत्ति ... समाधिचरिया, पटि. म. 91; - समापत्तिपटिलाभत्थ पु., तत्पु. स. [आकाशानन्त्यायतनप्रतिलाभार्थ]. आकाशानन्त्यायतन नामक अरूपध्यान की प्राप्ति का प्रयोजन - त्थाय च. वि., ए. व. - सो ... अनङ्गणे ... आकासानञ्चायतनसमापत्तिपटिलाभत्थाय चित्तं अभिनीहरति
अभिनिन्नामेति आरुप्पमग्गसङ्गीति, महानि. 204; - समापत्तिविमोक्ख पु., तत्पु. स. [बौ. सं. आकाशानन्त्यायतनसमापत्तिविमोक्ष], आकाशानन्त्यायतन नामक अरूप ध्यान की प्राप्ति से मिलने वाला विमोक्ष - अयं आकासानञ्चायतनसमापत्तिविमोक्खो, पटि. म. 225; - सहगत त्रि, तत्पु स. [बौ. सं आकाशानन्त्यायतनसहगत], आकाशानन्त्यायतन नामक अरूपध्यान से युक्त या परिपूर्ण - ता पु.. प्र. वि., ब. व. - ... आकासानञ्चायतनसहगता सामनसिकारा समुदाचरन्ति, अ. नि. 3(1).248; - सुखुमसच्चसञी त्रि., [बौ. सं. आकाशानन्त्यायतनसूक्ष्मसत्यसंज्ञिन्], आकाशानन्त्यायतन नामक अरूपध्यान में सूक्ष्म सत्य का संज्ञा-ज्ञान प्राप्त किया हुआ - जी पु., प्र. वि., ए. व. - आकासानञ्चायतन सुखुमसच्चसजीयेव तस्मिं समये होति. दी. नि. 1.164. आकासानञ्चायतनू पग त्रि., [बौ. सं. आकाशानन्त्यायतनोपग], आकाशानन्त्यायतन नामक प्रथम अरूपध्यान के विपाक के बल से अरूपी ब्रह्मलोक में उत्पन्न (देव) - गो पु., प्र. वि., ए. व. - अओ अत्ता .... "अनन्तो आकासो ति आकासानञ्चायतनूपगो, दी. नि. 1.30; आकासानञ्चायतनूपगोतिआदीसु पन
आकासानञ्चायतनभवं उपगतोति, एवमत्थो वेदितब्बो, दी. नि. अट्ट, 1.103; – गं नपुं., प्र. वि., ए. व. - अस्थि आकासानञ्चायतनूपगं कम्मन्ति? आमन्ता, कथा. 272;गा पु., प्र. वि., ब. क. - आकासानञ्चायतनूपगा देवा दीघायुका चिरहितिका सुखबहुलाति, म. नि. 3.146; अत्थि आकासानञ्चायतनूपगा सत्ताति, कथा. 272; आकासानञ्चायतनं उपगच्छन्तीति आकासानञ्चायतनूपगा, अभि. ध. वि. टी. 153; - गे पु. वि. वि., ब. व. - हेट्टतो आकासानञ्चायतनूपगे देवे परियन्तं करित्वा उपरितो नेवसञ्जानासायतनूपगे देवे अन्तोकरित्वा यं एतस्मि ..., पटि. म. 77; आकासानञ्चायतनूपगेति आकासानञ्चायतनसङ्खातं भवं उपगते. पटि. म. अट्ठ. 1.245; - गानं पु. प. वि., ब. व. - ... आकासानञ्चायतनूपगानं देवानं सहव्यतं उपपज्जति, अ. नि. 1(1).301; आकासानञ्चायतनूपगानं, भिक्खवे, देवानं वीसति कप्पसहस्सानि आयुप्पमाणं, अ. नि. 1(1).301. आकासानन्त पु./नपुं., कर्म. स. [अनन्ताकाश], अनन्त आकाश, आकाश के तीन प्रभेदों में कसिणुग्घातमाकाश
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