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आगन्तु
इत्यत्तन्ति, म. नि. 2.339; रो ब० व. अनागन्तारो इत्थत्तं म. नि. 2.338. आगन्तु पु. केवल गाथाओं में ही प्राप्त प्रायः आगन्तुक शब्द द्वारा व्याख्यात, क. नया-नया आने वाला, अपरिचित, अतिथि पुगे अतिथि आगन्तु पाहुना बेसिकाप्यथ अभि. प. 424 न्तुं द्वि. वि. ए. क. एवं यो सं निरंकत्वा, आगन्तु कुरुते पियं, जा. अड. 3.355... यो सकं पोराणं अज्झत्तिकं जनं नीहरित्या पहाय... आगन्तुकं पियं करोति जा. अड. 3,356, ख. बाहरी स्थूल, आकस्मिक ना पु. / नपुं. तृ. वि. ए. व. आगन्तुना दुक्खसुखेन फुट्टो जा. अ. 6.186, आगन्तुनाति न अज्झत्तिकेन, तदे... आगन्तुक त्रि.. आगन्तु से व्यु [आगन्तुक ]. शा. अ.. अकस्मात या अपने आप आ पहुंचने वाला, बिना बुलाए आने वाला, भूला भटका एकस्मि आगन्तुकमनुस्सानं वसनद्वान जा. अह 6.159 ला. अ.1. नवागन्तुक अपरिचित अतिथि, अभ्यागत का पु. प्र. वि. ब. व. - अथस्स... गतस्स आगन्तुका लद्धसक्कारा युज्झिरसन्तीति पोराणकयोधा न युज्झिंसु, जा. अट्ठ. 3.354; अतिथि नो ते होन्तीति ते अम्हाकं आगन्तुका नवका पाहुनका होन्तीति अत्थो दी. नि. अट्ट. 1.232; दुविधा हि आगन्तुका अतिथि अब्भागतोति. वि. व. अ. 18 - कागार / घर पु.. तत्पु. स० [आगन्तुकागार], अतिथियों या यात्रियों के ठहरने का स्थान, यात्री निवास, मुसाफिर खाना, धर्मशाला रं द्वि० वि. ए. व. सेप्यथापि, भिक्खवे, आगन्तुकागारं स. नि. 2 (2). 215; आगन्तुकागारन्ति पुञ्ञत्थिकेहि नगरमज्झे कतं आगन्तुकघरं यत्थ राजराजमहामत्तेहिपि सक्का होति निवासं उपगन्तुं स नि, अड. 3.173 दण्डक पु तत्पु, स. [ आगन्तुकदण्डक]. यात्रियों का डण्डा या छड़ी, चलनेफिरने के समय प्रयुक्त छड़ी के सप्त. वि. ए. व.
महापातिष्यमाणं पुष्क आगन्तुकदण्डके उपेत्या छत्तं विय गहेत्या दी. नि. अड. 2.170 - पुरिस पु.. कर्म. स. [ अगन्तुकपुरुष] अकस्मात् आ गया पुरुष, पथिक राहगीर सो प्र. वि. ए. व. यथा व आगन्तुकपुरिसो अगतपुब्ब पदेसं गतो. विभ अड. 22 तं पुब्बे उप्पन्नानं आवज्जनादीनं गेहभूते चक्खुद्वारे आगन्तुकपुरिसो विय होति विभ. अट्ट 337; - भाव पु., [आगन्तुकभाव], अकस्मात् आ जाने की अवस्था, अपने आप पहुंच जाना- एवं 'आगन्तुकभाववसेन असम्मोहसम्पजज्जं वेदितब विभ. अड. 337; स. नि. अह. 3.224 ला. अ. 2. (विनय के विशेष सन्दर्भ में)
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देवा
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आगन्तुक
किसी विहार में आ पहुंचने वाला वह भिक्षु जो दूसरी सीमा में रहता है, तथा जो आवासिक, नेवासिक या गामिक भिक्षु नहीं है को पु.. प्र. वि. ए. व. आगन्त्वा गच्छती ति आगन्तुको (भिक्खु) क. व्या. 571 का ब.व.आगन्तुका भिक्खू उज्झायन्ति खिय्यन्ति विषाचेन्ति महाव, 147, 148; ते आगन्तुका भिक्खू नेवासिकेहि भिक्खुहि सद्धिं पटिसम्मोदमाना... म. नि. 2.129 कस्स पु... वि., ए. व. आगन्तुकस्स दानं देति गमिकस्स दानं देति, गिलानस्स दानं देति... अ. नि. 2 (1).36:- कानं ष. वि., आवासिका भिक्खू पस्सन्ति आगन्तुक न ... महाव. 173 किलमथो पु. प्र. वि. ए. व. तत्पु. स. [ आगन्तुकक्लमथ] मार्ग से चल कर आने में प्राप्त कष्ट या थकावट यो खो इमेसं आगन्तुकानं भिक्खून आगन्तुक किलमथो सो पटिप्पस्सद्धो महाव. 407 - थेर पु.. कर्म. स. [ आगन्तुकस्थविर] दूसरी सीमा से आने वाला अर्थात् उस विहार में निवास न करने वाला स्थविर
ब. व.
रानं च. वि. ब. व ते आगन्तुकथेरानं ओवादे ठत्वा सह पटिसम्भिदाहि अरहतं पापुणन्ति अ. नि. अड्ड. 3.161 - दान नपुं तत्पु. स. [आगन्तुकदान ] विहार के बाहर से आने वाले भिक्षुओं को दिया जाने वाला दान नं द्वि० वि., ए. व. राजगहवासिनो द्वेपि तयोपि बहूपि एकतो
हुत्वा आगन्तुकदानं अदंसु, ध. प. अट्ठ. 1.46; पे. व. अ. 46; नानि प्र. वि. ब. व सत्तमे आतिथेय्यानीति आगन्तुकदानानि अ. नि. अड. 2.62 पटिसन्धार पु., तत्पु, स, आने वाले भिक्षु या अतिथि का सौहार्दपूर्ण प्र. वि., ए. व. आगन्तुकं पन भिक्खु दिस्वा आगन्तुकपटिसन्धारो कातब्बोव, विसुद्धि. 1.180 - भत्त नपुं तत्पु, स., विहार में बाहर से आए हुए भिक्षुओं के लिए दान में दिया गया भोजन तं प्र. वि. ए. व.
स्वागत
तेन पन पिण्डपातिकेन सङ्घभत्तं उद्देसभत्तं. आगन्तुकभत्तं वारकभत्तन्ति एतानि चुइस भत्तानि न सादितब्बानि विसुद्धि. 1.63 तं द्वि. वि. ए. व. इच्छामहं भन्ते, - सङ्घस्स यावजीवं वरिसकसाटिकं दातुं आगन्तुकभत्तं दातुं गमिकमत्तं दातुं महाव. 382: 'अधिवासेन्तु मे, भन्ते, थेरा स्वातनाय आगन्तुकभत्तन्ति चूलव 35:महाथेर पु.. कर्म. स. [आगन्तुकमहास्थविर] विहार में बाहर से आया हुआ महास्थविर, बाहर से आया हुआ वरिष्ठ सम्माननीय मिक्षुरा प्र. वि. व. व. आवासिका मयं एत्थुष्यन्न लाभं न लभाम्, निच्च आगन्तुकमहाघेराव लभन्ति चूळव
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