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आचरियन्तेवासिक
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आचरियन्तेवासिक पु. इ. स. भिक्षु आचार्य एवं उसकी देखरेख में रहने वाला भिक्षु शिश्य केसु सप्त वि.. ब. व. एस नयो आचरियन्तेवासिकेसुपि, पारा. अट्ठ. 2.60; आचरियन्तेवासिकेसु हि यो यो न सम्मा वत्तति तस्स तरस आपत्ति, महाव. अ. 254. आचरियन्तेवासी पु. द्व. स.. आचार्य एवं शिष्य सी प्र. वि., ब. व. इतिह ते उभो आचरियन्तेवासी अञ्ञमञ्ञस्स उजुविपच्चनीकवादा दी. नि. 1.2. आचरियपरम्परा स्त्री०, तत्पु० स० [आचार्यपरम्परा], आचार्यो की परम्परा, शिक्षकों की लगातार चली आ रही पीढ़ियों में सुरक्षित सिद्धान्त, परम्परा से प्राप्त मतवादरा प्र. वि.. ए. व. आचरियपरम्परा खो पनस्स न सुग्गहिता होति न सुमनसिकता न सूपधारिताति इदं ततियं परि. 255; पारा. अड. 1.183: एत्थ आचरियपरम्पराति आचरियान विनिच्छ्यपरम्परा सारत्थ. टी. 2.43 य तृ. वि. ए. व. उपालित्थेरमादिं कत्वा आचरियपरम्पराय याव ततियसङ्गीति ताव आभतं पारा अड. 1.24 एकसरो गहितोति अनुरसवेन वा आचरियपरम्पराय वा इतिकिराय वा. स. नि, आड. 3.238 खुदकपाठो आदि आचरियपरम्पराय वाचनामग्गं आरोपितवसेन न भगवता वृत्तवसेन, खु पा० अड. 3. आचरियपाचरिय पु.. [आचार्यप्राचार्य] 1. शिक्षक एवं शिक्षकों का भी शिक्षक, आचार्य एवं प्राचार्य, वह, जो स्वयं आचार्य है तथा आचार्यों का भी आचार्य है, 2. बहुत से देवों एवं मनुष्यों को बुद्ध के धर्मामृत का पान कराने के कारण आचार्य तथा श्रद्धावान् श्रावकों के लिए प्राचार्य यो प्र. वि., ए. व. सोणदण्डो बहून आचरियपाचरियो तीणि माणवकसतानि मन्ते वाचेति दी. नि. 1.99; भवञ्हि चड्डी बहून आचरियपाचरियो, म. नि. नि. 2.385 बहूनं आचरियपाचरियोति भगवतो एकेकाय धम्मदेसनाय चतुरासीतिपाणसहस्सानि अपरिमाणापि देवमनुस्सा मग्गफलामतं पिवन्ति तरमा बहून आचरियो, सावकविनेय्यानं पाचरियोति, म. नि. अड. (म.प.) 2.296 दी. नि. अड्ड. 1.230; येहि तृ. वि., ब. व॰ ब्राह्मणेहि वुद्धेहि महल्लकेहि आचरियपाचरियेहि सद्धिं कथासल्लापो होति, दी. नि. 1.78; आचरियपाचरियेहीति आचरियेहि घ तेसं आचरियेहि च दी. नि. अ. 1.205 - यानं ष. वि. व. व. पुब्बकानं आचरियपाचरियान नटानं भासमानानं स. नि. 2 (2) 295; आचरियपाचरियानन्ति आधरियानञ्चेव आचरियाचरियानञ्च सु. नि. अड. 2.156 येसु सप्त
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आचरियमति
वि. ब. व. मज्झिमोपीति मज्झिमेसु आचरियपाचरियेसु एकोपि ... दी. नि. अट्ठ. 1.302.
आचरियपुत्त / आचेरपुत्त पु. एक पुरोहित का पुत्र (सरभङ्ग) तो प्र. वि. ए. व. आचेरपुत्तो सुविनीतरूपो सो नेसं पञ्हानि वियाकरिरसतीति जा. अड. 5.134. आचरियपूजक त्रि.. [आचार्यपूजक] आचार्यों या गुरुजनों का सम्मान करने वाला, आचार्यों के प्रति सम्मानभाव से जुड़ा हुआ को पु. प्र. वि. ए. व. अहं ते सरणं होमि, अहमाचरियपूजको वि. व. 328 जा. अह. 2211; उपतिस्सों सब्बकालम्पि आधरियपूजकोव, थेरगा. अड. 2.319. आचरियब्राह्मण पु. कर्म. स. [आचार्यब्राह्मण]. ब्राह्मण जाति में उत्पन्न शिक्षक, ब्राह्मण आचार्य णं द्वि. वि., ए. व. आचरियब्राह्मणं एतदवोच 'सज्झापेहि खो. त्वं ब्राह्मण, इमं दारकं मन्तानीति, मि. प. 9. आचरियमरिया स्त्री. तत्पु, स. [आचार्यभार्या] आचार्य की पत्नी, शिक्षक की पत्नी या प्र. वि. ए. व. - माताति वा मातुच्छाति वा मातुलानीति वा आचरियमरियाति वा गरून दाराति वा दी. नि. 3.53 अ. नि. 1(1).68; - यं द्वि. वि. ए. व. - आचरियभरियं सखि, मातुलानिं पितुच्छवि यदा लोके गमिस्सन्ति जा. अड. 4.164 य च. वि., ए. व. अधिवासेतु अम्हार्क आचरियभरियाय वेरहच्चानिगोत्ताय ब्राह्मणिया स्वातनाय भत्तन्ति, स. नि. 2(2).127.
आचरियभाग पु. तत्पु. स. [आचार्यभाग] शिक्षक को दिया जाने वाला शुल्क, आचार्य को देय दक्षिणागो प्र. वि., ए. व. थेरो 'आचरियभागो नामायन्ति कप्पियवसेन गाहापेत्वा पुष्कपूर्ण अकासि पारा. अड्ड. 261; 'अयं ते आचरियभागोति सहस्सं अदासि प. प. अ. 1.143 - गं डि. बि. ए. व. - आचरियधनन्ति आचरियदक्खिणं आचरियभागं अ. नि. अड. 3.67. आचरियमग्ग पु०, तत्पु० स० [आचार्यमार्ग ], आचार्यों द्वारा ग्रहण किया गया मार्ग या आचार-व्यवहार, आचार्यों के कथन का प्रकार ग्गो प्र. वि. ए. व.- "आवुसो, तया पठनं कथितो एवं आचरियमग्गो विसुद्धि. 1.94 आचरियमग्गोति आवरियान कथामग्गो विसुद्धि. महाटी.
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1.110.
आचरियमति स्त्री. तत्पु. स. [आचार्यमति] शिक्षक का विचार अथवा आचार्य का स्पष्टीकरण या तृ. वि. ए. व.- तस्मा आचरियमतिया सुत्तं अपटिबाहेत्वा सुत्तमेव