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आकिञ्चञसुत्त
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आकिञ्चायतनपटिसंयुत्त
तत्पु. स. [आकिञ्चन्यायतनसंभव], आकिंचन्य के आलम्बन समुदाचरन्ति, पटि. म. 32; - कम्मद्वान नपुं., तत्पु. स. को उत्पन्न करने वाला कर्माभिसंस्कार - वो प्र. वि., ए. [आकिञ्चन्यायतनकर्मस्थान], अकिंचनता का कर्मस्थान, व. - आकिञ्चासम्भवोति वुच्चति । कर्मस्थान या आलम्बन के रूप में विज्ञान का अकिंचनआकिञ्चायतनसंवत्तनिको कम्माभिसङ्घारो, चूळनि. 155%; भाव - ने सप्त. वि., ए. व. - अय - वं द्वि. वि., ए. व. - आकिञ्चञसम्भवं ञत्वा, ..., सु. आकिञ्चायतनकम्मट्टाने वित्थारकथा, विसुद्धि. 1.324. नि. 1121; आकिञ्च सम्भवं अत्वाति आकिञ्चायतनकिरियाचित्त नपुं., तत्पु. सं. [बौ. सं. शकिञ्चज्ञायतनजनकं कम्माभिसङ्घारं अत्वा 'किन्ति आकिञ्चन्यायतनक्रियाचित्त], अरूपावचर भूमि के चार पलिबोधो अयन्ति, सु. नि. अट्ठ. 2.293.
प्रकार के क्रियाचित्तों में अकिंचनभाव को ध्यान का आलम्बन आकिञ्चञसुत्त नपुं., स. नि. के दो सुत्तों का शीर्षक, स. बनाने वाला तथा विपाक उत्पन्न न करने वाला तृतीय नि. 2(1).234; 2(2),261.
चित्त - आकासानञ्चायतनकिरियचित्त आकिञ्चञाभिनिवेस त्रि., ब. स. [आकिञ्चन्याभिनिवेश], विाणञ्चायतनकिरियचित्तं आकिञ्चायतनकिरियचित्तं, अकिंचनभाव में अथवा शून्यता में चित्त की प्रवृत्ति या नेवसानासआयतनकिरियचित्तञ्चेति इमानि चत्तारिपि झुकाव रखने वाला - सा पु., प्र. वि., ब. व. - अकिञ्चनभावे अरूपावचरकिरियचित्तानि नाम, अभि. ध. स. 5. निग्गहणभावे चित्तं एतेसं अभिनिविसतीति आकिञ्चचायतनकुसलचित्त नपुं.. तत्पु. स. [बौ. सं. आकिञ्चाभिनिवेसा, अ. नि. अट्ठ. 3.122.
आकिञ्चन्यायतनकुशलचित्त], अरूपावचर भूमि का तीसरा आकिञ्चजायतन नपुं., [बौ. सं. आकिञ्चन्यायतन], 1. कुशलचित्त, जिसका आलम्बन अकिंचनभाव होता है - त्तं अरूपध्यान के चार आलम्बनों में तीसरा आलम्बन, जिसमें प्र. वि., ए. व. - आकासानञ्चायतनकुसलचित्तं, अनन्त विज्ञान के अकिंचनभाव को चित्त का आलम्बन विआणञ्चायतनकुसलचित्तं, आकिञ्चायतनकुसलचित्तं बनाया जाता है, 2. अकिंचनभाव कर्मस्थान वाला तीसरा नेवसानास आयतनकुसलचित्तञ्चेति इमानि चत्तारिपि अरूपध्यान - नं' प्र. वि., ए. व. ... एत्थ पन नास्स अरूपावचरकुसलचित्तानि नाम, अभि. ध. स. 5. किञ्चनन्ति अकिञ्चनं, ... अकिञ्चनस्स भावो आकिञ्चायतनचित्त नपुं.. कर्म. स. आकिञ्चनं आकासानञ्चायतनविाणापगमस्सेत [आकिञ्चन्यायतनचित्त], अरूपावचरभूमि का तृतीय चित्त अधिवचनं तं आकिञ्चनं अधिट्टानडेन आयतनमस्स झानस्स - त्तं प्र. वि., ए. व. - महग्गतविज्ञआणस्स .... आकिञ्चआयतनं विसुद्धि. 1.324; नत्थि किञ्ची ति सुञविवित्तनत्थिभावे आकिञ्चायतनचित्तं अप्पेति, विसुद्धि.
आकिञ्चआयतनं नेय्यान्ति, म. नि. 1.372; - नं द्वि. 1.323. वि., ए. व. - सब्बसो विआणञ्चायतनं समतिक्कम्म आकिञ्चञआयतनधातु स्त्री., बौ. सं. 'नत्थि किञ्ची ति आकिञ्चायतनं उपसम्पज्ज विहरेय्य, आकिञ्चायतनधातु], धातु के रूप में अकिंचनभाव म. नि. 1.52; आकिञ्च आयतन ... का क्षेत्र - याय, भिक्खु, आकिञ्चायतनधातु - अयं आकिञ्चञायतनपरियोसाना सत्त समापत्तियो में जानापेसि. धातु विज्ञाणञ्चायतनं पटिच्च पञआयति, स. नि. म. नि. अट्ठ. (मू.प.) 1(2).75; - सजग्गन्ति 1(2).132. आकिञ्चआयतन वुच्चति, कस्मा? लोकियान आकिञ्चआयतननिस्सित त्रि., तत्पु. स. किच्चकारक समापत्तीन
अग्गत्ता, [आकिञ्चन्यायतननिःश्रित], अकिंचनभाव पर आश्रित या आकिञ्चआयतनसमापत्तियहि ठत्वा नेवस आना उस से सम्बद्ध - ता स्त्री, प्र. वि., ए. व. - अस्थि, सञ्जायतनम्पि निरोधम्पि समापज्जन्ति, दी. नि. अट्ठ. भिक्खवे, उपेक्खा आकासानञ्चायतननिस्सिता ... अस्थि 1.277; आकिञ्चायतनन्ति इदमस्स चतुबिधमारम्मणं, आकिञ्चिायतननिस्सिता, म. नि. 3.268. अभि. अव.6; चतुत्थस्स झानस्स विपाको, आकासानञ्चायतनं आकिञ्चायतनपटि संयुत्त त्रि., तत्पु. स. आकिञ्चायतनं कुसलतो च विपाकतो च किरियतो च, [आकिञ्चन्यायतनप्रतिसंयुक्त], उपरिवत् -- त्ताय स्त्री., इमे धम्मा नवत्तब्बारम्मणाति हि वृत्तं, अभि. अव. 104; स्स ष. वि., ए. व. - आकिञ्चायतनपटिसंयुत्ताय च पन ष. वि., ए. व. - आकिञ्चायतनस्स लाभिं ... कथाय कच्छमानाय न सुस्सूसति, म. नि. 3.40.
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