Book Title: Namo Purisavaragandh Hatthinam
Author(s): Dharmchand Jain and Others
Publisher: Akhil Bharatiya Jain Ratna Hiteshi Shravak Sangh
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विषयानुक्रमणिका
भरतपुर होकर आगरा : पल्लीवाल समाज में धर्म जागरण १७८. सवाईमाधोपुर में पोरवाल समाज की जागृति १७९, सवाईमाधोपुर चातुर्मास (संवत् २०३१) १८०, जयपुर में तप-महोत्सव १८२, जोधपुर में दीक्षा प्रसंग १८३, ब्यावर चातुर्मास (संवत् २०३२) १८४, बाड़मेर की ओर १८५, माणकमुनिजी का संथारा १८५, भोपालगढ में दीक्षाएँ १८६, बालोतरा चातुर्मास (संवत् २०३३) १८७, अजमेर चातुर्मास (संवत् २०३४) १८९, भोपालगढ में आचार्य श्री नानालालजी म. से मिलन १८९, पालासनी में दीक्षा
१९०, विजयनगर, गुलाबपुरा होकर भीलवाड़ा १९२, चित्तौड़ स्पर्शन १९३ । मध्यप्रदेश, महाराष्ट, तमिलनाड, आन्ध्रप्रदेश एवं कर्नाटक में धोद्योत (संवत् २०३५ से २०३९)
राजस्थान से मालव भूमि की ओर १९४, मन्दसौर में दीक्षा प्रसंग १९५, सैलाना में समरसता का संचार कर रतलाम पदार्पण १९६, इन्दौर चातुर्मास (संवत् २०३५) १९७, उज्जैन में धर्मजागरण १९९, धुलिया की ओर २००, लासलगाँव होकर खानदेश में प्रवेश २०२, जलगांव चातुर्मास (संवत् २०३६) २०५, महाराष्ट्र भ्रमण २०८, कर्नाटक में प्रवेश २११, पूज्यपाद का पदार्पण आन्ध्र की धरती पर २१४, पुन: कर्नाटक में २१५, मद्रास चातुर्मास (संवत् २०३७) २१८, बैंगलोर की ओर २२१, आन्ध्र की सीमा में प्रवेश कर पुन: कर्नाटक की धरा पर २२४, भागवती दीक्षा का आयोजन २२५, रायचूर चातुर्मास (संवत् २०३८) २२६, हैदराबाद की ओर २२८, आन्ध्र से महाराष्ट्र की सीमा में २२८, जलगांव चातुर्मास
(संवत् २०३९) २३१, इन्दौर की ओर २३२, उज्जैन होकर राजस्थान की ओर २३४ २३. राजस्थान की धरा पर पुन: प्रवेश (संवत् २०४० से २०४२)
आवर होकर कोटा सवाईमाधोपुर २३५, टोंक, निवाई होकर जयपुर २३८, जयपुर चातुर्मास (संवत् २०४०) २३९, मुमुक्षु प्रमोद कुमार जी की दीक्षा २४१, अजमेर की ओर २४२, मेड़ता होकर मारवाड़ भूमि में २४३, दीक्षा प्रसङ्ग २४४, पीपाड़ सिटी में अक्षयतृतीया २४४,, भोपालगढ में कुशलचन्दजी म. का द्विशताब्दी पुण्यतिथि समारोह २४५, जोधपुर की ओर २४६, जोधपुर चातुर्मास (संवत् २०४१) २४७, हीरक जयन्ती एवं ६५ वी दीक्षा जयन्ती २५२, पाँच मुमुक्षुओं की दीक्षा २५३, बालोतरा होकर
पाली २५३, भोपालगढ चातुर्मास (संवत् २०४२) २५५ अन्तिम पाँच चातुर्मास (संवत् २०४३ से २०४७)
मेड़ता, अजमेर , ब्यावर, पाली होकर जोधपुर २५८, पीपाड़ चातुर्मास (संवत् २०४३) २५९, जोधपुर पदार्पण २६१, दो दीक्षाएँ २६२, अजमेर चातुर्मास (संवत् २०४४) २६४,किशनगढ़ में पार्श्वनाथ जयन्ती २६६, जयपुर प्रवास २६७, आचार्य श्री रलचन्दजी म.सा. की १४३ वीं पुण्यतिथि २६८, सवाई माधोपुर की ओर २६८, सवाईमाधोपुर चातुर्मास (संवत् २०४५) २६९, अलीगढ - रामपुरा, देई होकर कोटा २७०, कोटा में जयन्ती का अद्भुत रूप २७१, तीन महापुरुषों का स्मरण २७२, बूंदी, देवली, दूनी होकर टोंक २७२, मदनगंज में अक्षय तृतीया एवं भागवती दीक्षा २७४, कोसाणा चातुर्मास (संवत् २०४६) २७५, पीपाड़ पदार्पण २७७, जोधपुर पदार्पण २७९, अन्तिम चातुर्मास पाली में (संवत्
२०४७) २८२,८१ वाँ जन्म-दिवस २८३ २५. अध्यात्मयोगी : महाप्रयाण की ओर
जोधपुर संघ की स्थिरवास हेतु विनति २८५, पाली से पदार्पण २८५, सोजत सिटी में फाल्गुनी पूर्णिमा २८६, अब मुझे जीवन का ज्यादा समय नहीं लगता २८७, मुझे निमाज पहुँचना है २८९, मुझे मेरा समय सामने दिख रहा है २८९, निमाज में पदार्पण :निमाजवासी पुलकित २९०, साधना के शिखर की ओर २९१, तेले की तपस्या २९६, संथारा - समारोहण २९७, उमड़ पड़ा श्रावक-समुदाय ३०१, अखण्ड जाप ३०२, मुसलमान भाइयों की अनूठी श्रद्धा-भक्ति ३०३, निमाज बना तीर्थधाम ३०४, सन्त-सन्निधि ३०५, आत्मरमण में लीन योगी ३०५, चौविहार-त्याग ३०७,विनश्वर देह का त्याग ३०७, महाप्रयाण की अंतिम यात्रा ३०८
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