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लब्धिसार
सबसे जघन्य उत्कीरण काल ग्रहण करना चाहिये ॥१॥ उससे अनुभागकाण्डकका उत्कृष्ट उत्कीरणकाल विशेष अधिक है, क्योंकि अपूर्वकरणके प्रथम समयसे होनेवाले सब कर्मोसम्बन्धी अनुभागकाण्डकका उत्कीरण काल यहाँ ग्रहण किया गया है ॥२॥ उससे स्थितिकाण्डकका जघन्य उत्कीरणकाल और जघन्य स्थितिबन्धकाल ये दोनों परस्पर समान होकर भी संख्यातगुणे हैं । ये सम्यक्त्वके अन्तिम स्थितिकाण्डक उत्कीरणकालके प्राप्त होने पर वहीं शेष कर्मोके स्थितिकाण्डक उत्कीरणकाल और स्थितिबन्धकालको लेना चाहिये ।। ३ ।। उससे इनका उत्कृष्ट काल विशेष अधिक है, क्योंकि इन सभीका उत्कृष्ट अपूर्वकरणके प्रथम समयमें प्राप्त होता है ।। ४ ॥ उनसे कृतकृत्य वेदक सम्यग्दृष्टिका काल संख्यातगुणा है, क्योंकि इस कालके भीतर संख्यात हजार स्थितिबन्धोंका अपसरण देखा जाता है ।। ५ ।। उससे सम्यक्त्वका क्षपण होनेका काल संख्यातगुणा है, क्योंकि मिथ्यात्व और सम्यमिथ्यात्वकी क्षपणा होनेके बाद सम्यक्त्वकी आठ वर्षप्रमाण स्थितिके क्षपण होनेमें इतना काल लगता है ॥ ६ ॥ उससे अनिवृत्तिकरणका काल संख्यातगुणा है, क्योंकि अनिवृत्तिकरणके कालके संख्यात बहुभाग जानेपर तथा उसके एक भाग रहने पर सम्यक्त्वकी क्षपणाका प्रारम्भ होता है ।। ७ ॥ उससे अपूर्वकरणका काल संख्यातगुणा है, क्योंकि ऐसा स्वभावसे ही है ॥ ८॥ उससे गुणश्रेणिनिक्षेप विशेष अधिक है, क्योंकि इसमें कुछ अधिक अनिवृत्तिकरणका काल सम्मिलित है। यह इसलिये है कि अपूर्वकरणके प्रथम समयमें प्रारम्भ हुई गुणश्रेणिरचना अपूर्वकरण और अनिवृत्तिकरणके कालसे कुछ अधिक होती है ॥९॥
उससे सम्यक्त्वका द्विचरम स्थितिकांडक संख्यातगुणा है। यह अन्तमुहूर्तप्रमाण होता है, फिर भी गुणश्रेणिनिक्ष पके कालसे यह संख्यातगुणा होता है ।। १० ।। उससे सम्यक्त्वका अन्तिम स्थितिकांडक संख्यातगुणा है। यह यद्यपि अन्तमुहूर्तमात्र है, फिर भी पिछले पदसे संख्यातगुणा है इस विषयमें पहले ही स्पष्टीकरण कर आये हैं ॥ ११ ॥ उससे सम्यक्त्वकी आठ वर्षप्रमाण स्थिति शेष रहनेपर जो स्थितिकांडक होता है वह संख्यातगुणा है। यहाँ गुणकार संख्यात समय है ॥ १२ ॥ उससे जघन्य आबाधा संख्यातगुणी है। यहाँ कृतकृत्यवेदकके प्रथम समयमें बन्धको प्राप्त होनेवाले ज्ञानावरणादि कर्मोकी आबाधा ली गई है ॥ १३ ।। उससे उत्कृष्ट आबाधा संख्यातगणी है। यहाँ अपूर्वकरणके प्रथम समयमें बन्धको प्राप्त ज्ञानावरणादि कर्मोंकी आबाधा ली गई है ।। १४ ।। उससे प्रत्येक समयमें अनुभागकी अपवर्तना करनेवाले जीवके सम्यवत्वका प्रथम समयमें प्राप्त आठ वर्षप्रमाण स्थितिसत्कर्म संख्यातगुणा है, क्योंकि आठ वर्षमें अन्तमुहूर्त ही प्राप्त होते हैं ॥ १५ ॥ उससे सम्यक्त्वका असंख्यात वर्षप्रमाण अन्तिम स्थितिकांडक असंख्यातगुणा है, क्योंकि यह पल्योपमके असंख्यातवें भागप्रमाण है ॥ १६ ।। उससे सम्यग्मिथ्यात्वका असंख्यात वर्षप्रमाण अन्तिम स्थितिकाण्डक विशेष अधिक है। यहाँ विशेषका प्रमाण एक आवलि कम आठ वर्ष है ॥ १७ ॥ उससे मिथ्यात्वका क्षय होनेपर सम्यक्त्व और सम्यग्मिथ्यात्वका प्रथम स्थितिकाण्डक प्राप्त होता है वह असंख्यातगुणा है। कारण यह है कि सम्यक्त्व और सम्यग्मिथ्यात्वका जो अन्तिम स्थितिकाण्डक है उससे द्विचरम स्थितिकाण्डक असंख्यातगुणा है। उससे त्रिचरम और चतुःचरम आदि स्थितिकाण्डक उत्तरोत्तर असंख्यातगुणे हैं। इस प्रकार संख्यात हजार स्थितिकाण्डक प्रमाण स्थान पीछे जाकर मिथ्यात्वके क्षय होनेपर सम्यक्त्व और सम्यग्मिथ्यात्वका जो स्थितिकाण्डक प्राप्त होता है वह इन दोनोंका प्रथम स्थितिकाण्डक है। इस कारण वह असंख्यातगुणा है यह सिद्ध होता है ।। १८ ॥ उससे मिथ्यात्वकी सत्तावाले जीवके
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