________________
अर्थसंदृष्टि अधिकार
५९३
द्वितीयस्थितिः
२४ ओta
अन्तर
प्रथस्थितिः
.१२१३
२४ भो
इहां प्रथम स्थितिकी बंधता क्रमरूप संदृष्टिकरि तिनिके वीचि उच्छिष्टावली वा अतिस्थापनावलीका विभागके अर्थि संदृष्टि करी है। आगें दीया द्रव्यका प्रमाण लिख्या है। बहुरि कृष्टिकारकका प्रथम समयविर्षे कीनी कृष्टिका प्रमाण ऐसा ४ ताविर्षे अन्य
समयनिविर्षे कीनी कृष्टिनिकौं मिलावनेके अथि अधिकको संदृष्टि कीएं सर्व कृष्टिनिका
प्रमाण ऐसा / ताकौं चौवीसका भाग देइ तेरहरि गुणें क्रोधको प्रथम संग्रह कृष्टि ऐसी
४ । १३ याकौं पल्यका असंख्यातवां भागका भाग देइ बहुभाग ऐसें ४ । १३ । प कृष्टि खा।२४
a रु । २४ | प
वेदकका प्रथम समयविर्षे बंध उदय रूप जे वीचिकी उभय कृष्टि तिनका प्रमाण है। बहुरि एक भाग ऐसा ४ । १३ ताकौं अंक संदृष्टि अपेक्षा शलाकानिका जोड सोलहका अंक ताका
ख । २४ | प
भाग देइ दोय शलाकाकरि गुणें तो नीचैकी बंध उदय रहित अनुभय कृष्टिनिका अर तीन शलाकानिकरि गुणें तितके ऊपरि जे नीचेकी उदय कृष्टि तिनिका च्यारि शलाकानिकरि गुण ऊपरिका अनुभय कृष्टिनिका सात शलाकानिकरि गुणें तिनके नीचे जे कपरिकी उदय कृष्टि तिनका प्रमाण है। तिनकी संदृष्टि ऐसी
७५
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org