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लब्धिसार-क्षपणासार
कृष्टिनिका प्रमाण ऐसा ४ । २३ ताका भाग अवशेष आय द्रव्यकौं दीएं एक खंड होइ ताकौं तिस
ख । २४ | ओ हीकरि गुणें अपने अवशेष आय द्रव्यमात्र संक्रमणांतर कृष्टि समान खंड द्रव्य हो है। द्वितीय संग्रहविर्षे आय द्रव्यके अभावतें ऐसा द्रव्य नाही है । तहां शून्य जाननी । इनकी संदृष्टि ऐसी
नाम | लोभकी तृतीय संग्रह लोभकी द्वितीय संग्रह
अधस्तन शीर्ष वि। ४।
४ वि । ४।४। ५७५ पूर्वविशेष द्रव्य ख । २४ । ख। २४।२ख । २४ । ख । २४ । २ व। १२४
व । १२ । ४ । २३ । मध्यम खंड ४। ओlal ख । २४४ । ओraख । २४
उभय द्रव्य वि।४।४। ४७ : वि।४।४। ५२९ विशेष द्रव्य ख। २४ । ख। २४ । २ ख । २४ । ख । २४ । २| संक्रमणांतर कृष्टिाव १२ । २३ संबंधीसमानद्रव्य २४ । ओ।
बहुरि बंध द्रव्यविर्षे विभाग कहिए है
अंतकी बंधांतर कृष्टि सहित याके ऊपरि पूर्व कृष्टिनिका प्रमाणमात्र विशेष आदि ऐसावि । ४ । २३ । १ अर एक अधिक गुणहानिका सोलहवां भागकरि हीन ड्योढ गुणहानिमात्र ख। २४ | प। १६
विशेष ऐसे-वि। ८ । २३ । सो उत्तर अर पूर्व सर्व कृष्टि प्रमाणकौं द्वयर्ध गुणहानिका भाग दीए
१६
सर्व नवीन भई बंधांतर कृष्टिमात्र गच्छ ऐसा ४ । ८ । ३ इहां गुणहानिकी संदृष्टि आठका अंक
ख । २ है । ऐसें स्थापि तहां संकलन धनमात्र बंधांतर कृष्टि विशेष नामा द्रव्य हो है। सो इसकी संदृष्टिके विधानका मोकौं ज्ञान न भया तारौं नाही लिख्या है । बहुरि समयप्रबद्धका अनंतवां भाग जुदा जुदा स्था अवशेष किंचिदून समयप्रबद्ध ऐसा ( स - ) ताकौं द्वयर्ध गुणहानि गुणित समय प्रबद्धमात्र द्रव्यकौं कृष्टि प्रमाणका भाग दीए एक बंधांतर कृष्टिका द्रव्य ऐसा स १२ ताका भाग
दीए बंधांतर कृष्टिनिका प्रमाण ऐसा स-इहां किंचिदून न गिणि समयप्रबद्धका अपवर्तन कीए
स १२
४
अर ऐसा ४ जो भागहारका भागहार था ताकौं राशि कीएं ऐसी नवीन निपजी कृष्टिनिका प्रमाण
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