Book Title: Labdhisar
Author(s): Nemichandra Shastri
Publisher: Paramshrut Prabhavak Mandal

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Page 713
________________ Jain Education International - लब्धिसार-क्षपणासार अर्थसंदृष्टि अधिकार पृष्ठ संख्या ५९१ लोभकी संग्रहकृष्टि मायाकी संग्रहकृष्टि मानकी संग्रहकृष्टि क्रोधी संग्रहकृष्टि प्रथम, द्वितीय, तृतीय, प्रथम, द्वितीय, तृतीय । प्रथम, द्वितीय तृतीय | प्रथम, द्वितीय तृतीय For Private & Personal Use Only लब्धिसार-क्षपणासार अर्थसंदृष्टि अधिकार पृष्ठ संख्या ५९५ उदयभई उभयमई । उभयभई उभपरही उदयपई अनुभयभई अनुपयमई अनुपयाही द्विवीयनिक ख २४ ५ १६ पु.५ से २४ ५ १६५। । ४१३२। २ ४१३ २ ३ ४१३२५ ४१३३४१३५१६५-११ ५१३ ७ ४१३४ ४१३७ a aa ख२४११६५५ स२४५१६५५ ख २४ ११६ख २४११६ ख २४११६.१ ख २४११६१ ख २४५१६५ । ख २४११६ ख २४११६१ aaaaa ___ । उदय उदप | मनुमय । जन्य ............ पत्कृष्ट ज . . . ] न...उ ज... aa भयमानेपेक www.jainelibrary.org

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