Book Title: Labdhisar
Author(s): Nemichandra Shastri
Publisher: Paramshrut Prabhavak Mandal

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Page 742
________________ [ ३ ] (१६) सभाष्यतत्त्वार्थाधिगमसूत्र (मोक्षशास्त्र) श्री उमास्वातिकृत मूलसूत्र और स्वोपज्ञ भाष्य तथा पं० खूबचन्द्र जी सिद्धान्तशास्त्रीकृत विस्तृत भाषाटीका । तत्त्वोंका हृदयग्राह्य गम्भीर विश्लेषण । द्वितीयावृत्ति ।। मूल्य-छः रुपये। (१७) सप्तभंगीतरंगिणी श्री विमलदासकृत मल और पंडित ठाकुरप्रसादजी शर्मा कृत भाषाटीका । न्यायका महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ । तृतीयावृत्ति। मूल्य-छः रुपये। (१८) समयसार __ आचार्य श्री कुन्दकुन्दाचार्य विरचित महान् अध्यात्म ग्रन्थ, तीन टीकाओं सहित नयी आवत्ति । (अप्राप्य ) (१९) इष्टोपदेश मात्र अंग्रेजी टीका व पद्यानुवाद । मूल्य-पचहत्तर पैसे (२०) परमात्मप्रकाश मात्र अंग्रेजी प्रस्तावना व मूल गाथाएँ । मूल्य-दो रुपये। (२१) योगसार मूल गाथाएँ व हिन्दी सार । मूल्य-पचहत्तर पैसे। (२२) कार्तिकेयानुप्रेक्षा मूल गाथाएँ और अंग्रेजी प्रस्तावना । मूल्य-दो रुपये पचास पैसे । (२३) प्रवचनसार अंग्रेजी प्रस्तावना, प्राकृत मूल, अंग्रेजी अनुवाद तथा पाठांतर सहित । मूल्य-पांच रुपये । (२४) अष्टप्राभूत श्री कुन्दकुन्दाचार्य विरचित मूल गाथाओंपर श्री रावजीभाई देसाई द्वारा गुजराती गद्य-पद्यात्मक भाषान्तर । मूल्य-दो रुपये। (२५) मोक्षमाला (भावनाबोध सहित) श्रीमद् राजचन्द्रकृत मूल गुजराती ग्रन्थका श्री हंसराजजीकृत हिन्दी अनुवाद । इसमें जैन धर्मको यथार्थ समझाने का प्रयास किया गया है । भाषाशैली बहुत सुन्दर और सरल है। इसमें १०८ शिक्षापाठ हैं। साथमें भावनाबोधमें बारह भावनाओंका सुन्दर दृष्टान्तसहित वर्णन है। पुनः छप रहा है । (२६) श्रीमद् राजचन्द्र श्रीमद् राजचन्द्र के मूल गुजराती पत्रों व रचनाओंका श्री हंसराजजीकृत हिन्दी अनुवाद । तत्त्वज्ञानपूर्ण महान् ग्रन्थ है। मूल्य-बाईस रुपये पचास पैसे । अधिक मूल्यके ग्रन्थ मँगानेवालोंको कमिशन दिया जायेगा। इसके लिये वे हमसे पत्रव्यवहार करें। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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