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अर्थसंदृष्टि अधिकार
६१३
अतिस्थापना
बली
सूक्ष्मसांपराय प्रथम कांडक प्रथम समय रचना
स ११२१६ १६-२१८० १. ७ ओ २०२११६ १६ - २१८० स१ १२ १६ १६ १० ७मो २०२५८० १६-२७८०
द्वितीयस्थिति
अंतरायाय
स०१२४१६- २०७४ १. ७ ओ २०२१४ १६-२१८०
स१२४१६ ७ ओ २० २१४१६ - २१४
स १२६४ ७ ओप८५ .
गुणश्रेणि
आयाम
स. १२६ ७ भो प८५
a . इहां नीचें गुणश्रेणि आयामकी क्रम अधिक रूप ऊपरि अंतरायामकी ताके ऊपरि द्वितीय स्थितिकी क्रम हीन रूप संदृष्टि करि तहां आदि अंत निषेकविर्षे दीया द्रव्य आगें लिख्या है। मध्य निषेकनिकी विंदी सहनानी करी है। इनिके ऊपरि अतिस्थापनावलीकी सहनानी च्यारिका अंक कीया है। अर इहां अंतरायामविर्षे पूर्व द्रव्यका अभाव था, नवीन ही द्रव्य दीया, तातें दो बडी लीक करी। द्वितीय स्थितिविर्षे पूर्व द्रव्य था, नवीन ही दीया, तातें दो बड़ी लीक करी। बहरि द्वितीयादि समयविर्षे भी ऐसा क्रम जानना।
बहरि प्रथम स्थितिकांडककी अंत फालिका पतनसमयविर्षे विधान कहिए है-द्वितीय स्थितिका प्रथम निषेकविर्षे एक घाटि द्वित्तीय स्थितिमात्र विशेष घटाएं चरम फालिका अंत निषेक ऐसा स । ३ । १२ इहां सत्त्व द्रव्यकौं द्वितीय स्थितिका भाग दीऐं मध्य निषेक हो है । ताविर्षे
७।२२।४ । २० जो विशेष हीन है तिनकौं द्रव्यका प्रमाण किंचित जानि नाही गिन्या है । बहुरि ताकौं अंतरायाममात्र जो चरम फालिके निषेकनिका प्रमाण ताकरि गुणें चरम फालिका सर्व द्रव्य ऐसा स।। १२ । २२।४ । ४ इहां विशेष अधिक है तिनिका द्रव्यकौं किंचित जानि नाही गिन्या ७।२ ।४।२० है । इहां ऐसें २ २।४ का अपवर्तन कीए ऐसा स । । । १२ । ४ याविर्षे गुणश्रेणिके अथि अपकर्षण कीया द्रव्य मिलावना, ताकौं किंचित् जानि संदष्टिविर्षे नाही गिन्या है। बहरि याकौं पल्यका असंख्यातवां भागका भाग देइ एक भाग ऐसा-स 12 1 १२ । ४ गुणश्रेणि आयामविर्षे पूर्वोक्त
७।२०।प
७। २०
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