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लब्धिसार-क्षपणासार
निद्रादिक प्रथमादिफालि
चौदह घातियानिकी प्रथमादिफालिनिद्रादिककी अंतफालि
अन्तफालि
बहुरि तीन वेद च्यारि कषायनिविर्षे एक सहित चढनेकी अपेक्षा क्षपक जीव बारह प्रकार हैं। तहां पुरुषवेद क्रोध सहित चढनेवालेकै नपुंसक स्त्री सात नोकषाय क्षपणा अश्वकरण कृष्टिकरण क्रोध मान माया लोभ क्षपणा क्रमतें हो है। बहुरि मान माया लोभ सहित चढ्याकै नोकषाय क्षपणा पर्यंत तो समान है, पी, क्रोधकी अर क्रोध मानकी अर क्रोध मायाकी क्रमतें क्षपणा हो है। पीछे अश्वकरण कृष्टिकरण हो है, पीछे क्रम” अवशेष कषायनिकी क्षपणा हो है । बहुरि अंतकरण पीछे कृष्टिकरण पर्यंत तो जिस कषाय सहित चढ्या ताकी प्रथम स्थिति स्थापै है। पीछे अवशेष कषायनिकी जुदी जुदी प्रथम स्थिति स्थापै है, सो प्रथम स्थिति गुणश्रेण्यायामरूप है तारौं तिनकी अधिक क्रमरूप रचना जाननी। बहुरि नपुंसक स्त्रीवेद सहित चढ्या जीवक स्त्रीवेदका क्षपणा कालविर्षे दोऊ वेदनिकी क्षपणा हो है। इहां जिस वेद सहित चढ्या ताहीकी प्रथम स्थिति स्थापै है ऐसा जानना। ऐसैं ए नव कालके प्रत्येक यथायोग्य अंतर्मुहूर्तमात्र जानने तिनकी संदृष्टि रचना ऐसी
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