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स्त्रीवदक्षपणा-विधि
स्रोअद्धासंख्येयभागेऽपगते त्रिघातिस्थितिबंधः ।
वर्षाणां संख्येयं स्त्रीसंक्रमापगतार्धान्ते ॥४४४॥ स० चं-तहां संख्यात हजार स्थितिकांडकनिकरि स्त्रीवेद क्षपणा कालका संख्यातवां भाग व्यतीत भए' ज्ञानावरण दर्शनावरण अंतराय इन तीन धातियानिका स्थितिबन्ध पल्यका असंख्यातवां भागमात्र होता था ताकौं समाप्तकरि संख्यात हजार वर्षप्रमाण स्थितिबन्ध करै है। तातै परै संख्यात हजार स्थितिकांडक व्यतीत भए स्त्रीवेद क्षपणा कालके अवशेष बहुभाग व्यतीत भए जो घात कीए पीछे स्त्रीवेदका स्थितिसत्त्व अवशेष पल्यका असंख्यातवां भागमात्र रहया ताकौं अंत स्थिति कांडकरूप करै है तिस ही काल विर्षे अवशेष कर्मनिका स्थितिकांडकका पल्यका असंख्यातवां भागमात्र स्थितिसत्त्वके असंख्यातवें भागमात्र था सो ताका असंख्यात भागमात्र आयाम धरै है, तहां अंत कांडककौं सम्पूर्ण भए स्त्रीवेद भी संक्रमणरूप भया। द्वितीय स्थितिविषै तिष्ठता ऐसा पल्यका असंख्यातवां भागमात्र आयाम धरैं जो अन्त स्थितिकांडक ताकी अन्त फालिकौं पुरुषवेदविषै संक्रमणकरि स्त्रीवेदकी सत्ताका नाश करै है ।।४४४॥
ताहे संखसहस्सं वस्साणं मोहणीयठिदिसंतं । से कले संकमगो सत्तण्हं णोकसायाणं' ॥४४५।। तस्मिन् (अ) संख्यसहस्र वर्षाणां मोहनीयस्थितिसत्त्वम् ।
स्वे काले संक्रमकः सप्तानां नोकषायाणाम् ॥४४५॥ स० चं-तहां स्त्रीधेद क्षपणाकालका अंतविषै मोहनीयका स्थितिसत्व असंख्यात वर्ष प्रमाण हो है । बहुरि ताके अनंतरि अपने कालविर्ष सात नोकषायनिका संक्रमक कहिए संज्वलन क्रोधरूप परणमाइ नाश करणहारा हो है ।।४४५॥
ताहे मोहो थोवो संखेज्जगुणं तिघादिठिदिबंधो । तत्तो संखगुणियो णामदुगं साहियं तु वेयणियं ॥४४६ ।। तत्र मोहः स्तोकः संख्येयगुणं त्रिघातिस्थितिबन्धः ।
ततोऽसंख्येयगुणितो नामद्विकं साधिकं तु वेदनीयम् ॥४४६॥ स. चं०-तहां प्रथम समयविर्ष मोहका स्तोक तातै तीन घातियानिका संख्यातगुणा बहुरि तातै नाम गोत्रका पल्यका असंख्यातवां भागमात्र है तातै बहुरि असंख्यातगुणा तातै वेदनीयका त्रैराशिकतै आधा प्रमाणकरि साधिक स्थितिबंध हो है ॥४४६॥
१. ताधे चेव मोहणीयस्स द्विदिसंतकम्मं संखेज्जाणि वस्साणि । से काले सत्तण्हं णोकसायाणं पढमसमयसंकामगो। क० चु० पृ० ७५४ ।
२. सत्तण्हं णोकसायाणं पढमसमयसंकामगस्स दिदिबंधो मोहणीयस्स थोवो। णाणावरण-दसणावरणअंतराइयाणं दिदिबंधो संखेज्जगुणो । णामा-गोदाणं दिदिबंधो असंखेज्जगुणो। वेदणीयस्स दिदिबंधो विसेसाहिओ । क० चु० पृ० ७५४ ।
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