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क्षपणासार
जानना । बहुरि ताके ऊपरि जो पूर्व कृष्टि तिसविर्ष भई पूर्व कृष्टिनिका प्रमाणमात्र अधस्तन शीर्षके विशेष अर एक मध्यम खण्ड अर भई पूर्व अपूर्व कृष्टिनिका प्रमाणकरि हीन सर्व कृष्टिनिका प्रमाणमात्र उभय द्रव्यके विशेष दीजिए है सो यहु संक्रमणकी अन्तरकृष्टिविष दीया द्रव्यतै असंख्यातगुणा घटता है, जातै इहाँ मिलें अधस्तन शीर्ष विशेष अर मध्यम खण्डका द्रव्य है सो इनकरि हीन अन्तरकृष्टिसम्बन्धी समान खण्डका द्रव्य पूर्वकृष्टिके समान है, तात असंख्यातगुणा घटता है । बहुरि ताके ऊपरि पूर्व कृष्टिनिविर्षे एक एक अधस्तन शीर्ष बंधता अर एक एक मध्यम खण्ड समानरूप अर एक एक उभय द्रव्य विशेष घटता ऐसै क्रमतें यावत् आधा अपकर्षण भागहारमात्र पूर्वकृष्टि होइ तावत् निक्षेपण करिए है। बहुरि तिनके ऊपरि संक्रमणकी अपूर्व अन्तरकृष्टि है तिसविर्षे संक्रमण अन्तरकृष्टिसम्बन्धी समान खण्ड द्रव्यतै एक खण्ड उभय द्रव्य विशेषतै भईं कृष्टिनिकरि हीन सर्व कृष्टि प्रमाणमात्र विशेषनिकौं ग्रहि निक्षेपण करै है। सो यह या नीचली पूर्व कृष्टिविर्षे दीया द्रव्यतै पूर्वोक्त प्रकार असंख्यातगुणा है। बहुरि याके ऊपरि पूर्व कृष्टि तिसविर्षे भई अपूर्व कृष्टिनिका प्रमाण मात्र अधस्तन शीर्षके विशेष अर एक एक मध्यम खण्ड अर भई कृष्टिनिकरि हीन सर्व कृष्टिनिका प्रमाणमात्र उभय द्रव्यके विशेष दीजिए है। सो यहु तिनि अन्तर कृष्टिनिविर्षे दीया द्रव्यतै पूर्वोक्त प्रकार असंख्यातगुणा घट ता जानना। याही प्रकार अपूर्व कृष्टितें पूर्व कृष्टिविर्षे असंख्यातगुणा घटता अर पूर्व कृष्टिनैं अपूर्व कृष्टिविर्षे असंख्यातगुणा बधता क्रमकरि लोभकी तृतीय कृष्टिकी अन्तकृष्टि पर्यन्त द्रव्य देनेका विधान जानना । बहुरि ताके ऊपरि लोभकी द्वितीय संग्रह कृष्टि तिसके पंच प्रकार द्रव्य स्थापि तहाँ ताके नोचे संक्रमण द्रव्य करि करी जो अधस्तन अपूर्व कृष्टि तिनकी जघन्य कृष्टिविर्षे अधस्तन खण्डतै एक खण्ड मध्यम खंडनै एक खण्ड उभय द्रव्य विशेषत भई कृष्टिनिकरि हीन सर्व कृष्टिनिका प्रमाणमात्र विशेष ग्रहि निक्षेपण करै है। सो यहु लोभकी तृतीय संग्रह कृष्टिकी अन्त कृष्टिविर्षे दीया द्रव्यतें असंख्यातगुणा है। कारण पूर्वोक्त प्रकार जानना । बहुरि या ऊपरि
अधस्तन खण्ड एक मध्यम खण्ड समानरूप एक एक उभय द्रव्यविशेष घटता क्रमलीएं अधस्तन अपूर्व कृष्टिकी चरम कृष्टि पर्यन्त द्रव्य देना । इहां अधस्तन कृष्टि द्रव्य समाप्त भया।
बहुरि इनके ऊपरि पूर्व कृष्टिकी आदि कृष्टि तिस विषै भई पूर्व कृष्टिनिका प्रमाणमात्र अधस्तन शीर्षके विशेष अर एक मध्यम खण्ड अर भई कृष्टिनिकरि हीन सर्व कृष्टिनिका प्रमाण मात्र उभय द्रव्यके विशेष दीजिए है सो यहु अपूर्व कृष्टिको अन्त कृष्टिविर्षं 'दीया द्रव्यतै असंख्यातगुणा घटता है। कारण पूर्वोक्त प्रकार जानना। तातें आग जैसे लोभकी तृतीय संग्रह कृष्टिविर्षे विधान कह्या है तैसेंही सर्व जानना । विशेष इतना
इहां अपकर्षण भागहारमात्र वीचिमें पूर्व कृष्टि भएं अपूर्व कृष्टिकौं निपजावै है। बहुरि ताके ऊपरि लोभकी प्रथम संग्रह कृष्टि है सो याका वंध भी है अर याकै आय द्रव्य भी है । तातै इहां पंच प्रकार संक्रमण द्रव्य अर च्यारि प्रकार बंध द्रव्य स्थापि देनेका विधान कहिए है। संक्रमण द्रव्यकरि करी नीचें अधस्तन अपूर्व कृष्टि ताकी जघन्य कृष्टिविर्षे एक एक अधस्तन खण्ड अर एक मध्यम खण्ड अर भई कृष्टिनिकरि हीन सर्व कृष्टिनिका प्रमाणमात्र उभय द्रव्यके विशेष निक्षेपण करिए हैं । सो यहु लोभकी द्वितीय संग्रह कृष्टिको अन्त कृष्टि विर्षे दीया द्रव्यतै असंख्यातगुणा है । बहुरि ताके ऊपरि द्वितीयादि अन्त पर्यन्त अधस्तन कृष्टिनिविर्षे एक एक
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