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अर्थसंदृष्टि अधिकार
५६५ इहां प्रथम स्थिति अंतरायाम द्वितीय स्थितिका पूर्ववत् रचनाकरि प्रथम स्थितिका प्रथम समयसंबंधी निषेकनिकी कृष्टिनिविर्षे आदिकी जधन्यादि अनुदय कृष्टिका अर उदय आवने योग्य वीचिकी कृष्टिनिका अर अंतकी उत्कृष्ट पर्यंत अनुदय कृष्टिनिका प्रमाण लिखा है। बहुरि सूक्ष्मसांपरायका द्वितीय समयविर्षे पूर्वोक्त अंतकी अनुदय कृष्टिनिकौं पल्यका असंख्यातवां
।
भागका भाग दोएं एक भागमात्र कृष्टि ऐसो ४ । ३ नवीन अनुदयरूप हो हैं। ते ए
ख । प। ५ । प
aa कृष्टि प्रथम समयकी उदय कृष्टिनिविर्षे अंतकी कृष्टि जासना । बहुरि पूर्वोक्त आदिकी अनुदय कृष्टिनिका पल्यका असंख्यातवां भागमात्र कृष्टि ऐसी ४ । २ नवीन उदयरूप कृष्टि हो
ख।प।५।प
aa हैं। ते ए कृथ्टि प्रथम समयकी अनुदय कृष्टिनिविर्षे अंतकी कृष्टि जाननी। बहुरि इहां नवोन अनुदय कृष्टिनिविर्षे नवीन उदय कृष्टिनिका प्रमाण घटाएं ऐसा ४११ विशेषकरि घटता
ख।प।५।प
aa द्वितीय समयविष उदय कृष्टिनिका प्रमाण हो है । ऐसे ही तृतीयादि समयनिबिर्षे विधाव जानना, तिनकी रचना कथन अनुसार ऐसी
अंतसपर
अतु
द्वितीयसमय
मनुदप
अनुदय
प्रथमसमय
भनदय
। अनुदय
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