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अर्थसंदृष्टि अधिकार
५७१ दीऐं चय होइ - १ ताकौं दो गुणहानिकरि गुण प्रथम गुणहानिका प्रथम निषेक अर याकौं आधा अन्योन्याभ्यस्तराशि औसा प का भाग दीए अर तिस दो गुणहानिका गुणकारविर्षे एक
धाटि गुणहानि आयाम औसा- ८ घटाएं अंत निषेकका द्रव्य हो है । तहां संदृष्टि रचना असी
स०१२-१६-८ ७५ो १६ ११६
.१२
स १२- १६ ७ ८ ओ १२ १६
स १ १२- २०१६ ७ ८२१ १६-२१ स.१२-२०१६-३० ७ ८ २१ १६-२०
सa१२-६४ ७८ओ १८५
.
स। १२-१ ७८ओ १८५
इहां नीचें गुणश्रेणिके बीचि अंतरायामको उपरितन स्थितिकी अंतविर्षे अतिस्थापनावलीको संदृष्टिकरि आगें दीए द्रव्यनिकी संदृष्टि करी है । बहुरि संज्वलन मानादिक तीनका द्रव्य असा - स।। १२ - ३ याविर्षे अप्रत्याख्यान प्रत्याख्यानका द्रव्य अंसा- स । । । १२ - ८ ७।८
७। ख। १७
मिलावनेकौं साधिककी संदृिष्ट कीएं औसी स । 2 ।- १२ - ३ । याकौं अपकर्षणकरि उदयावली
७
।
८
बाह्य गुणश्रेणी आयामविर्षे अर अंतरायामविर्षे अर उपरितन स्थितिवि. ....."असी......" विधान जानि संदृष्टि जाननी । बहुरि स्थिति बंधादिकी संदृष्टि सुगम है। तहां संख्यातकी सहनानी पांचकाःअंक इत्यादि यथासंभव जानि लेना। बहुरि उतरनेवाले सूक्ष्मसांपरायका प्रथम समयविर्षे प्रारभो गलितावशेष गुणश्रेणिका आयामतें अधःकरणका प्रथम समयविर्षे आरंभी अवस्थित गुणश्रेणि आयम संख्यातगुणी है । तहां संदृष्टि असी
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