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लब्धिसार-क्षपणासार ऐसा १ । २ । ३। बहुरि पूर्व स्पर्धककी आदि अर्गणाके अविभागप्रतिच्छेदनिकौं अनन्तका भाग
ख । ख । ख दीए अपूर्व स्पर्धककी अंत वगंणाके अविभागप्रतिच्छेद च्यारयों कषायनिके समान हैं। तिनकी संदृष्टि ऐसी व । याकौं अपने अपने अपूर्व स्पर्धकनिके प्रमाणका भाग दीए आदिवर्गणा हो है।
याहीकौं जघन्य वर्गणा कहिए । बहुरि याकौं दोय तीन आदि क्रम" एक एक बंधता गुणकार करि गुणें जहां अपने अपने कांडक प्रमाणका गुणकार होइ तहां च्यारयों कषायनिकी वर्गणानिके समान अविभागप्रतिच्छेद हो हैं। बहुरि ताके ऊपरि तेसैं ही एक एक बंधता गुणकाररूप क्रमतै तिन समान वर्गणानिके अविभागप्रतिच्छेदनितें दूणा प्रमाण भए समान वर्गणा हो है। ऐसे ही तिनतै तिगुणा चौगुणा आदि एक घाटि अनन्तगुणा पर्यंत प्रमाण होइ। ताके उपरि अंत स्पर्धकविर्षं पूर्वोक्त ऐसा व च्यारयो कषायनिकी आदि वर्गणानिविर्ष समान अविभागप्रतिच्छेद
हो है । तिनकी संदृष्टि ऐसी
माया
०
०
२-१० ज। ख ख
३-१० ज ख ख
ज ख । ख
ज । ख
ख
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२ज । ख २
ज । ख । २
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ज। ख २
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ख
२
२ज। ० ख ज । ख ज । ख
ज। ख ० व ०१
व. ख। ९। ख। ९ । ख ख ९ख ख ९ ख ओ
ओख । ओख ओख तहां मध्य भेदनिकी संदृष्टि विंदी जाननी । - बहुरि प्रथम वर्गणाकी अनुभागसंबंधी ड्योढ गुणहानिकरि मुणे मोहका सत्त्व द्रव्य
ऐसा व । १२ । याकौं आवलीका असंख्यातवां भागकी सहनानी नवका अंक ताका भाग देइ एक भाग जुदा राखि बहुभागनिके दोय भाग करने। तहां एक भागविर्षे जुदा राख्या भाग मिलाए साधिक आधा द्रव्य कषायनिका ऐसा व १२ । किचिदून आधा द्रव्य नोकषायनिका ऐसा
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