________________
अर्थसंदृष्टि अधिकार
ऐसी ४ प उदयकृष्टि है। बहुरि एक भागकौं अंकसंदृष्टि अपेक्षा पांचका भाग देइ दोय
a खप भागमात्र आदि कृष्टिविर्षे अनुदयरूप है। तीन भागमात्र अंत कृष्टिविर्षे अनुदयरूप हैं ते ऐसी४ । २ ४ । ३ बहुरि द्वितीय समयविर्षे आदि कृष्टिनिकौं पल्यका असंख्यातवां भागका भाग ख। प५ख । प । ५
दोएं एक भागमात्र उदय कृष्टिनिविर्षे आदिकी नवीन कृष्टि अनुदयकृष्टिरूप हो है। बहुरि अंतकी अनुदय कृष्टिनिकौं तैसैं ही भाग दीए एक भागमात्र अंतकी अनुदय कृष्टिनिविर्षे नवीन
कृष्टि उदयरूप ह। हैं । इहां पूर्व उदय कृष्टिनिविर्षे घटी कृष्टि ऐसी ४ । २ अर बंधी कृष्टि
ख ।प। ५।प aa
ऐसी ४ । ३ वंधीमैं घटाएं इतनो ४ । १ इहां पूर्व उदयकृष्टिनै अधिक इहां उदय ख।प।५।प
ख। प ।५।प aa
aa कृष्टि जाननी । ऐसे ही तृतीयादि समयनिविर्षे क्रम जानना । तहां संदृष्टि रचना ऐसी
आदिकी अनुदयकृष्टि | मध्यकी उदयकृष्टि | अन्तकी अनुदयकृष्टि
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org