Book Title: Labdhisar
Author(s): Nemichandra Shastri
Publisher: Paramshrut Prabhavak Mandal

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Page 554
________________ दृश्य द्रव्यका विधान अंतरपढमठिदित्तिय असंखगुणिदक्कमेण दिस्सदि हु हीण कमेण असंखेज्जेण गुणं तो विहीणकर्म ॥ अंतरप्रथमस्थित्यंतं च असंख्य गुणितक्रमेण दृश्यते हि । क्रमेण असंख्येयेन गुणमतो विहीनक्रमम् ॥ ५८७॥ स० चं०--पूर्व द्रव्य वा दीया द्रव्य मिलि जो दृश्यमान होइ ताका विधान कहिए हैवर्तमान समयसम्बन्धी निषेकविषै दृश्यमान द्रव्य स्तोक है, तातें अन्तरायामका प्रथम निषेक पर्यन्त असंख्यातगुणा क्रम लीएं है । बहुरि ताके ऊपरि अन्तरायामका अन्त निषेकपर्यन्त विशेष घटता क्रम ली है । इहां पर्यन्त देय द्रव्यका जैसें क्रम कह्या तैसें ही दृश्यमान द्रव्यका भी क्रम जानना । बहुरि तातैं ताके उपरि द्वितीय स्थितिके प्रथम निषेकका दृश्यमान द्रव्य असंख्यातगुणा है । बहुरि ताके ऊपर ताका अन्त निषेकपर्यंन्त विशेष घटता क्रमलीए दृश्यमान द्रव्य है । याप्रकार सूक्ष्मसां परायका प्रथम समय लगाय प्रथम स्थितिकांडकका घात यावत् न होइ निबरै तावत् ऐसा क्रम जानना । विशेष इतना अपकर्षण कीया द्रव्यका प्रमाण समय समय असंख्यात - गुणा जानना || ५८७ ॥ तहां प्रथम कांडककी अन्त फालिके द्रव्यका प्रमाण ल्यावने निमित्ति कहिए है कंड गुणचरिमठिदी सविसेसा चरिमफालिया तस्स । संखेज्जभागमंतर ठिदिम्हि सव्वे तु बहुभागं ।। ५८८ ॥ कांडकगुणचरम स्थितिः सविशेषा चरमस्फालिका तस्य । संख्येयभागमंतरस्थितौ सर्वायां तु बहुभागम् ॥ ५८८ ॥ Jain Education International ४७५ स० चं०—कांडकायामकरि गुणित जो विशेषसहित अन्त स्थिति तीहिं प्रमाण अन्त फालि द्रव्य है । ताका संख्यातवां भाग तो अन्तर स्थितिविषै, बहुभाग सर्व स्थितिविषै दीजिए है, सोइ कहिए है द्वितीय स्थितिका प्रथम निषेकविषै एक घाटि द्वितीय स्थिति आयाममात्र विशेष घटाएं ताका अन्त निषेकका द्रव्य होइ, तिसत लगाय नीचेके कांडक आयाममात्र निषेकनिका द्रव्य अन्त फालिविष ग्रहण करिए हैं । तातें तिस अन्त निषेकके द्रव्यकों जो कांडक आयाम सोई फालिका आयाम ताकरि गुणें तहां नीचले निषेकनिविषै जे विशेष अधिक पाइए हैं तिनकौं अधिक कीए अन्त फालिके सर्व द्रव्यका प्रमाण हो है । यामें नीचले निषेकनिका अपकर्षण कीया जो द्रव्य ताकौं जोडें जो द्रव्य होइ ताकौं पल्यका असंख्यातवां भागका भाग देइ एक भागको गुणश्रेणीआयामविष दीए पीछे अवशेष जो द्रव्य रह्या ताके देनेका विधान कहिए है 1 अन्तरायामका भाग फालिके आयामकों दीए जो संख्यातमात्र प्रमाण होइ ताका भाग १. पढ समय सुहुमसां पराइयस्स उदये दिस्सदि पदेसग्गं थोवं । विदियाए द्विदीए असंखेज्जगुणं दीसदि ताव जाव गुणसेढिसीसयादो अण्णा च एक्का द्विदित्ति । तत्तो विसेसहीणं ताव जाव अंतरट्ठदित्ति । तत्तो असंखेज्जगुणं । तत्तो विसेसहीणं ८७० । २. जयध० ता० मु० पृ० २२११, २२१२ । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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