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लब्धिसार-क्षपणासार __बहुरि याके नीचें अधस्तन कृष्टि द्रव्यकरि नवीन करी कृष्टि याहीके समान प्रमाण लीएं स्थापैं ऐसी कृष्टि हो है
बहुरि कृष्टि द्रव्य करि न करी कृप्टि याविर्षे मध्यम खंड द्रव्य मिलाएं समानरूप समपट्टिकारूप ऐसी
यावि उभय द्रव्य विशेष मिलाएं एक एक विशेष घटता क्रम लोएं सर्व पूर्व अपूर्व कृष्टिनिका क्रम हीनरूप एक गोपुच्छाकार ऐसो रचना हो है
| अपूर्वकृष्टि
पूर्वकृष्टि
अधस्तन शार्य मध्यमखंड द्रव्य उमय विशेष द्रव्य
इहां एक समय उदय आवने योग्य परमाणूनिकी अनुभाग अपेक्षा रचना है तातें आडी लोककरि सहनानी करी है। तहां प्रथम कृष्टिविर्षे एक अधस्तन कृष्टिका द्रव्य ऐसा
।
व। १२ । १६ १० एक । मध्यम खंडका द्रव्य ऐसा व। १२ । a = । पूर्व अपूर्व कृष्टिका ओ।प।४। १६-४
ओ प ४ aख ख २
ख
शेिष ऐसे व।। १०
प्रमाणकरि गुणित उभय द्रव्य विशेष ऐसें व । १२ । १४ । इन तीन द्रव्यकौं दीजिए है। द्वितीयादि
ख १० ओ।प।४।१६ -४
aख ख २
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