________________
कृष्टियोंमें द्रव्यके वटवारेकी प्ररूपणा
४४१
अधस्तन खण्ड, एक एक मध्यम खण्ड अर भई कृष्टिनिकरि हीन सर्व कृष्टिमात्र उभय द्रव्यकौं विशेषकरि क्रमतै दीजिए है । बहुरि तिनके ऊपरि पूर्व कृष्टिनिकी प्रथम कृष्टिविष भई पूर्व कृष्टिनिका प्रमाणमात्र अधस्तन शीर्षके विशेष अर एक मध्यम खंड अर भई कृष्टिनिकरि हीन सर्व कृष्टिनिका प्रमाणमात्र उभय द्रव्यके विशेष दीजिए है। सो यहु अपूर्व अधस्तन कृष्टिकी अंत कृष्टिका दीया द्रव्यते असंख्यातगुणा घटता है सो इहां असंख्यातगुणाका वा असंख्यातगुणा घटताका कारण पूर्वोक्त ही जानना। बहुरि ताके ऊपरि संक्रमण अन्तर कृष्टिका अन्तरालतें एक घाटि कृष्टि पर्यन्त कृष्टिनिविर्ष एक एक अधस्तन शीर्षका विशेष बंघता अर एक एक उभय द्रव्यका विशेष घटता ऐसै क्रमकरि दीजिए है । बहुरि ताके ऊपरि संक्रमण द्रव्य करि करी अपूर्व अन्तर कृष्टि ती
ट तीहि विषं संक्रमण अन्तरसम्बन्धी समान खंडतें एक खंड अर उभय द्रव्य विशेषते भई कृष्टिनिकरि होन सर्व कृष्टिनिका प्रमाणमात्र विशेष दीजिए है। बहुरि ताके ऊपरि ऐसे ही क्रमत अपकर्षण भागहारमात्र वीचिमैं पूर्व कृष्टि भए एक संक्रमणको अन्तर कृष्टि निपजाइए है। तहां पूर्व कृष्टिविष तौ भई पूर्व कृष्टिनिका प्रमाणमात्र अधस्तन शीर्षके विशेष अर एक मध्यम खंड अर भई कृष्टिनिकरि हीन सर्वकृष्टिनिका प्रमाणमात्र उभय कृष्टिके द्रव्यके विशेष दीजिए है। अर संक्रमणको अन्तर कृष्टिनिविर्षे संक्रमण अन्तर कृष्टिसम्बन्धी समान एक खंड अर भई कृष्टिकरि हीन सर्व कृष्टिनिका प्रमाणमात्र उभय द्रव्यके विशेष दीजिए है। तहां इतना विशेष जानना
____इनविर्षे बंध होनेयोग्य कृष्टिकी जघन्य कृष्टितै लगाय जे पूर्व कृष्टि अर संक्रमण द्रव्यकरि करी अपूर्व कृष्टि हैं तिनविर्षे पूर्वोक्त संक्रमण द्रव्य अपना एक निषेकका अनन्तवां भागमात्र घाटि दीजिए है। अर तहां ही बंध द्रव्यतें पूर्व जघन्य बंधकृष्टिवि तौ बंध द्रव्यसम्बन्धी मध्यम खंडसे एक खंड अर बंधविशेष द्रव्यते सर्व बंध कृष्टिनिका प्रमाणमात्र विशेष द्रव्य दीजिए है । अर ताके ऊपरि कृष्टिनिविर्षे यात एक एक बंधका विशेषमात्र घटता क्रम लीए दीजिए है। ऐसे द्रव्य कीए जो संक्रमण द्रव्यविषं एक विशेषका अनन्तवां भागमात्र घटता द्रव्य दीया था सो पूर्ण हो है। बहरि या प्रकार द्रव्य दोया तहां अपर्व कृष्टिविर्षे दीया द्रव्य तौ आयतें नोचली पूर्व कृष्टिविर्षे दीया द्रव्य” असंख्यातगुणा बंधता अर पूर्व कृष्टिवि दोया द्रव्य आयतें नीचली अपूर्व कृष्टिविषै दीया द्रव्यतै असंख्यातगुणा घटता जानना। ऐसे एक अधिक संक्रमण कृष्टिका अन्तरालका भाग गुणहानिका चौथा भागमात्र तो बंध कृष्टिका अन्तराल ताकौं दीएं जो प्रमाण आवै तितनी संक्रमणकी अपूर्व अन्तर कृष्टि यावत् पूर्ण होइ तावत् ऐसे ही क्रम जानना । बहुरि इहां जो संक्रमणको अन्तर कृष्टि अन्तविषै भई ताके उपरि जो अन्तरालवि. बंध द्रव्यकरि अपूर्व अन्तर कृष्टि निपजाइए हैं तिस विषै संक्रमण द्रव्य न दीजिए है
बंध द्रव्यहोके बन्धान्तर कृष्टि समान खण्ड द्रव्यतै एक खण्ड अर उभय द्रव्य विशेषको जायगा जो अन्तर कृष्टिसम्बन्धी विशेष द्रव्य कह्या तिसतै भई सर्व कृष्टिनिका प्रमाणकरि हीन सर्व कृष्टिनिका प्रमाणमात्र विशेष अपना एक विशेषका अनन्तवां भागकरि हीन अर मध्यम खण्डतैं एक खण्ड अर बंध विशेष द्रव्यतै भई बंधकृष्टिनिका प्रमाणकरि हीन सर्व बंध कृष्टिनिका प्रभाणमात्र विशेष ग्रहि दीजिए हैं सो यहु याके नीचे जो संक्रमण द्रव्यको अन्तर कृष्टि तिसविर्षे दीया जो बंध द्रव्य तातै अनन्तगुणा जानना । बहुरि ताके ऊपरि पूर्व कृष्टि तिसविर्षे संक्रमण
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org