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कृष्टियोंमें द्रव्यके वटवारेकी प्ररूपणां
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लोभस्य च तृतीयतः सूक्ष्मगतं द्वितीयस्तु तृतीयगतं ।
द्वितीयतः सूक्ष्मगतं द्रव्यं संख्येयगुणितक्रमं ॥५७४॥ सं० चं०-लोभकी तृतीय संग्रह कृष्टितें जो द्रव्य सूक्ष्म कृष्टिरूप परिनम्या सो स्तोक है । तातै लोभकी द्वितीय संग्रह कृष्टितै जो द्रव्य लोभको तृतीय संग्रह कृष्टिरूप परिनम्या सो संख्यातगुणा है । तातै लोभकी द्वितीय संग्रह कृष्टितै जो द्रव्य सूक्ष्म कृष्टिरूप परिनम्या सो संख्यातगुणा है, जानै लोभकी तृतीय संग्रहकी कृष्टिनिका प्रमाणत सूक्ष्म कृष्टिका प्रमाण संख्यातगुणा है ।।५७४।।
किट्टीवेदगपढमे कोहस्स य विदियदों दु तदियादो । माणस्स य पढमगदो माणतियादो दु मायपढमगदो ।।५७५।। मायतियादो लोभस्सादिगदो लोभपढमदो विदियं । तदियं च गदा दव्या दसपदमद्धियकमा होति ।।५७६॥ कृष्टिवेदकप्रथमे क्रोधस्य च द्वितीयतस्तु तृतीयतः। मानस्य च प्रथमगतं मानत्रयात् तु मानप्रथमतः ॥५७५॥ मायात्रिकात् लोभस्यादिगतः लोभप्रथमतः द्वितीयं ।
तृतीयं च गतानि द्रव्याणि दशपदमधिककमाणि भवंति ॥५७६॥ सं० चं०-इहां सूक्ष्म कृष्टिनिविर्षे संक्रमण भया द्रव्यके प्रमाण ल्यावनेका साधक ऐसा बादर कृष्टिविषं संक्रमण भया प्रदेशनिका अल्पबहुत्व कहिए है
बादर कृष्टिवेदक कालका प्रथम समयविर्षे क्रोधकी द्वितीय संग्रह कृष्टिनै मानकी प्रथम संग्रह कृष्टिविर्षे संक्रमण भया द्रव्य स्तोक है। तातें क्रोधकी तृतीय संग्रह कृष्टितै मानकी प्रथम संग्रह कृष्टिविर्षे संक्रमण भया द्रव्य विशेष अधिक है। जातै स्तोक अनुभागयुक्त तृतीय संग्रह विर्षे कृष्टिनिका प्रमाण है सो वह अनुभागयुक्त द्वितीय संग्रहकी कृष्टिनिका प्रमाणते विशेष अधिक है, तातें संक्रमण द्रव्य भी विशेष अधिक जानना। इहां पात्रके अनुसारि अधिकपना जानना । पात्रके अनुसारि कहा ? द्वितीय संग्रहको कृष्टिनिका प्रमाणते तृतीय संग्रहकी कृष्टिनिका प्रमाण जैसे अधिक कह्या तैसे ही संक्रमण द्रव्य भी अधिक कहना । सो इहां पल्यका असंख्यातवाँ भागका भाग दीए एक भाग मात्र अधिक जानना। बहुरि तातें मानकी प्रथम संग्रह कृष्टिनै मायाको प्रथम संग्रह कृष्टिविर्षे संक्रमण भया द्रव्य विशेष अधिक है। इहाँ भी पात्रानुसारि क्रोधकी तृतीय संग्रहकी कृष्टिनितें मानकी प्रथम संग्रहकी कृष्टि जैसे अधिक है तैसे ही आवलीका असंख्यातवां भागका भाग दीए एक भागमात्र अधिक जानना। बहरि तातें मानकी द्वितीय संग्रह कृष्टित मायाको प्रथम संग्रह कृष्टिविर्षे संक्रमण भ्या द्रव्य विशेष अधिक है। तातें मानकी तृतीय संग्रहकृष्टिनै मायाकी प्रथम संग्रहकृष्टिविर्षे संक्रमण भया द्रव्य विशेष अधिक है इहां दोऊ जायगा पात्रानुसारि अधिकका प्रमाण पल्यका असंख्यातवां भागका भाग दीए एक भागमात्र है। बहरि
१. पढमसमयकिट्टीवेदगस्स कोहस्स विदियकिट्टीदो माणस्स पढमसंगहकिट्टीए संकमदि पदेसग्गं थोवं । कोहस्स तदियकिट्टीदो माणस्स पढमाए संग्रहकिट्रीए संकमदि पदेसरगं विसेसाहियं ।
--क० चु० पृ० ८६७-८६८ ।
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