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संक्रमण द्रव्यके विभागका निर्देश
ता ता आय द्रव्य एक है । बहुरि लोभकी प्रथम संग्रह कृष्टिविषै मायाकी प्रथम द्वितीय तृतीय संग्रह कृष्टिका अपकर्षण कीया द्रव्य संक्रमण करै है तातें ताकेँ आय द्रव्य तीन हैं । बहुरि मायाकी तृतीय संग्रह कृष्टिविषै मायाकी द्वितीय प्रथम संग्रह कृष्टिका अपकर्षण कीया द्रव्य संक्रमण करै है, ता ता आय द्रव्य दोय हैं । बहुरि मायाकी द्वितीय संग्रह कृष्टिविषै मायाकी प्रथम संग्रह कृष्टिका अपकर्षण कीया द्रव्य संग्रह करे है, तातै ताकेँ आय द्रव्य एक है । बहुरि मायाकी प्रथम संग्रह कृष्टिविषै मानकी प्रथम, द्वितीय, तृतीय संग्रह कृष्टिका अपकर्षण कीया द्रव्य संक्रमण हो है, ता
आय द्रव्य तीन हैं । बहुरि मानकी तृतीय संग्रह कृष्टिविष मानकी द्वितीय तृतीय संग्रह कृष्टिका अपकर्षण कीया द्रव्य संक्रमण हो है, तातें ताकेँ आय द्रव्य दोय हैं । बहुरि मानकी द्वितीय संग्रह कृष्टिविषै मानकी प्रथम संग्रह कृष्टिका ही अपकर्षण कीया द्रव्य संक्रमण हो है, ता ता आय द्रव्य एक है । बहुरि मानकी प्रथम संग्रह कृष्टिविषै क्रोधकी प्रथम द्वितीय तृतीय संग्रह कृष्टिका अपकर्षण कीया द्रव्य संक्रमण हो है, तातें ताकेँ आय द्रव्य पंद्रह हैं । बहुरि क्रोध की तृतीय संग्रह कृष्टिविषै क्रोधकी प्रथम द्वितीय कृष्टिका अपकर्षण कीया द्रव्य संक्रमण हो है, ता
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आय द्रव्य चोदह हैं । बहुरि क्रोधकी द्वितीय संग्रह कृष्टिविषै क्रोधकी प्रथम संग्रह कृष्टिका अपकर्षण कीया द्रव्य तेरह तातै चौदहगुणा संक्रमण हो है, तातें ताकेँ आय द्रव्य एकसौ वियासी है । इहां चौदह गुणा करनेका प्रयोजन कहिए है
अनंतरि भोगने योग्य संग्रह कृष्टिविषै संख्यातगुणा द्रव्यका संक्रमण होना कह्या है सो इहां संख्याता प्रमाण अपने गुणकारतें एक अधिक जानना । सो यहु क्रोधकी प्रथम संग्रह कृष्टिकौं भोगवे है । अर ताके अनंतरि क्रोधकी द्वितीय संग्रह कृष्टिकौं भोगवे है, तातैं क्रोधकी प्रथम कृष्टिका अपकर्षण कीया द्रव्यत संख्यातगुणा द्रव्यका द्वितीय संग्रह कृष्टिविषै संक्रमण हो है । बहुरि इहां प्रथम कृष्टिका द्रव्यविषै तेरहका गुणकार है, तातैं एक अधिक कीएं संख्यातका प्रमाण चौदह इहां जानना । अन्य संग्रह कृष्टि वेदकविषै संख्यातका प्रमाण अन्य होगा सो आगे कहेंगे । बहुरि क्रोधकी प्रथम संग्रह कृष्टिविषै आय द्रव्य है नाहीं, जातैं आनुपूर्वी संक्रमण पाइए है । इहां संक्रमण द्रव्यक अपकर्षण द्रव्यका अनुभाग घटनेकी अपेक्षा हानि होने का है । ऐसें आय द्रव्यका विभाग का । अब व्यय द्रव्यका विभाग कहिए है
क्रोधकी प्रथम संग्रह कृष्टिका द्रव्य क्रोधकी द्वितीय तृतीय मानकी प्रथम संग्रह कृष्टिविषे गया, तातें एकसौ वियासी तेरह तेरह द्रव्य मिलि ताकेँ व्यय द्रव्य दोयसै आठ हो हैं । बहुरि क्रोधक द्वितीय कृष्टिका द्रव्य क्रोधकी तृतीय मानकी प्रथम संग्रह कृष्टिविषै गया, तातै ताकें व्यय द्रव्य दोय हो हैं । बहुरि क्रोधकी तृतीय कृष्टिका द्रव्य मानकी प्रथम संग्रह कृष्टिहीविषै गया, ता ता व्यय द्रव्य एक है। बहुरि मानकी प्रथम संग्रह कृष्टिका द्रव्य मानकी द्वितीय तृतीय मायाकी प्रथम संग्रह कृष्टिविषै गया, तातै ताकेँ व्यय द्रव्य तीन हैं । बहुरि मानकी द्वितीय संग्रह कृष्टिका द्रव्य मानकी तृतीय मायाकी प्रथम संग्रह कृष्टिविषै गया, तातै ताकेँ व्यय द्रव्य दोय हैं । बहुरि मानी तृतीय संग्रह कृष्टिका द्रव्य मायाकी प्रथम संग्रह कृष्टि ही विषै गया, तातै ताके व्यय द्रव्य एक है । बहुरि मायाकी प्रथम संग्रह कृष्टिका द्रव्य मायाकी द्वितीय तृतीय लोभकी प्रथम संग्रह कृष्टिविषै गया, तातै ताकेँ व्यय द्रव्य तीन हैं। बहुरि मायाकी द्वितीय कृष्टिका द्रव्य मायाकी तृतीय लोभकी प्रथम संग्रह कृष्टिविषै गया, तातै ताकेँ व्यय द्रव्य दोय हैं । बहुरि मायाकी तृतीय संग्रह कृष्टिका द्रव्य लोभकी प्रथम संग्रह कृष्टिविषे हो गया, तातैं ताकेँ व्यय द्रव्य एक है ।
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