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अश्वकर्णकरणविधिका निर्देश
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हैं । तातैं मानके विशेष अधिक हैं । तातैं मायाके विशेष अधिक हैं । तातै लोभके विशेष अधिक है । इहां पहले जे अनुभाग कांडक भए तिनविषै अनुभागसत्त्वके अनुसारि मानके स्तोक, तातै क्रोध माया लोभके क्रमतें विशेष अधिक स्पर्धक ग्रहण होते थे । अब परिणामनिके विशेषतं विशेष घात पाइ अपने-अपने अनुभागसत्त्वक अनंतका भाग दीएं तहाँ बहुभागमात्र अब कीया इस कांडक - करि गृहीत जो अनुभाग है सो क्रोधका स्तोक तातै मान माया लोभके क्रमतें विशेष अधिक हो हैं | अंक संदृष्टिरि इस कांडककरि ग्रहे क्रोधके तीनसै सित्यासी, मानके च्यारिसे असी, मायाके पाँचसै दश, लोभके पाँचसै उगणीस, स्पर्धक जानने-क्रोध माया लोभ ।
मान ४८०
३८७
५१०
५१९
बहुरि प्रथम अनुभाग कांडकका घात भए पीछें अवशेष स्पर्धक रहे ते लोभके स्तोक, तातैं मायाके अनन्तगुणे, तातैं मानके अनन्तगुणे तातें क्रोधके अनन्तगुणे जानने । अंकसंदृष्टि करि जैसे प्रथम कांडकका घात भए पीछे विशेष रहे स्पर्धक ते लोभके दोय, तातै माया मान क्रोधके क्रमतें चौगुणे चौगुणे जानना ।
क्रोध १२८
मान माया
३२
८
लोभ
२
इहां आशंका - जो कांडकबिषै विशेष अधिकपना कह्या तौ अवशेष अनुभागविषै अनन्तगुणाना कैसे संभव ? ताका समाधान - अंक संदृष्टि अपेक्षा कहिए है। मानका अनुभागसत्त्व पाँच से बारह, तातें क्रोधका तीन अधिक, मायाका छह अधिक, लोभका नव अधिक है । तहाँ अधिक प्रमाणक जुदे राखि पाँचसै बारहकों अनन्तकी संदृष्टि च्यारि ताका भाग देइ तहां एक भाग विना बहुभाग ५१२ तीनसै चौरासी, तामैं क्रोधविषै तीन अधिक कहे थे ते मिलाएं क्रोध
४
४
कांडक विषै तीनसै सित्यासी स्पर्धकनिका प्रमाण हो है, बहुरि अवशेष एक भागमात्र ५१२ एकसौ अठाईस स्पर्धकप्रमाण क्रोधका अवशेष अनुभागसत्त्व हो है । बहुरि इस अवशेष एक भागकौं च्यारिका भाग देइ तहां बहुभाग ५१२ । ३ छिनवै तिनकों पहले बहुभाग तोनसै चौरासी कहे थे तिनमें जोड़ें मानकांडकका प्रमाण
४ । ४
च्यारिसै असी ४८० हो है । अवशेष एक भाग
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स्पर्धक प्रमाण मान का अवशेष अनुभागसत्त्व हो है । बहुरि यहु अवशेष एक भाग रह्या ताक च्यारिका भाग देइ तहाँ बहुभाग ५१२ । ३ चोईस तिनको पूर्वं मानकांडक च्यारिसै असी ४ । ४ । ४
कया था तामैं जोड़ें अर मायाका अधिक प्रमाण छह तिनकौं अधिक कीएँ माया कांडकका प्रमाण पाँच दश ५१० हो है । अवशेष एक भागमात्र ५१२ आठ स्पर्धकप्रमाण मायाका अवशेष
५१२ मात्र
४ |४
४ । ४ । ४
सत्त्व हो है। बहुरि इस अवशेष एक भागकौं च्यारिका भाग देइ तहाँ बहुभाग - ५१२ ।
३
४ । ४ । ४ । ४
तिनक अधिक प्रमाण रहित जो मायाकांडक पाँचसै च्यारि तामैं जोडि इहाँ लोभका अधिक
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