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क्षपणासार
अकषायकषायाणां द्रव्यस्य विभंजनं यथा भवति ।
कृष्टस्तथैव भवेत् क्रोधः अकषायप्रतिबद्धः॥४९५॥ स० चं०-अकषाय कहिए नोकषाय अर कषाय इनिके द्रव्यका विभाग जैसें हो है तैसें ही इन कृष्टिनिके प्रमाणका विभाग जानना। बहुरि नोकषायसम्बन्धी कृष्टि हैं ते क्रोधकी कृष्टिनिविर्षे जोडनी, जात नोकषायनिका सर्वं द्रव्य संज्वलन क्रोधरूप संक्रमण भया है। तहां द्रव्य विभाग कैसे हो है ? सो कहिए है
पूर्व अपूर्व स्पर्धककरण कालविषै जैसैं अनुक्रम कहि आए हैं तिस अनुक्रम करि सर्व चारित्रमोहका द्रव्य साधिक द्वयर्ध गुणहानिगुणित प्रथम वर्गणामात्र है। तहां लोभका द्रव्य साधिक आठवां भागमात्र, मायाका किंचिदून आठवां भागमात्र, मानका किंचिदून आठवां भागमात्र, क्रोधका किंचिदून आठवां भागमात्र अर याहीमें किंचिदून द्वितीय भागमात्र नोकषायका द्रव्य मिलाएं क्रोधका द्रव्य पांचगुणा किंचिदून आठवां भागमात्र हो हैं। बहुरि इस अपने अपने द्रव्यकौं अपकर्षण भागहारका भाग दीएं अपना अपना अपकर्षण कीया द्रव्यका प्रमाण आवै है । याकौं
- असंख्यातवां भागका भाग दीएं एक भागमात्र द्रव्य पूर्व अपूर्व स्पर्धकनिविषै देना है। ताकौं जुदा राखि अवशेष बहुभागनिविषै क्रोधविषं जो नोकषायनिका द्रव्य मिल्या ताकौं जुदा कीएं जो अपना अपना द्रव्य रह्या ताकौं जुदा जुदा पल्यका असंख्यातवां भागका भाग देइ तहां बहुभागनिके समानरूप तीन पुंज करने । बहुरि अवशेष एक भागकौं पल्यका असंख्यातवां भागका भाग देइ तहां बहुभाग प्रथम पुंजविष जोडने । बहुरि अवशेष एक भागकौं पल्यका असंख्यातवां भागका भाग देइ तहां बहुभाग द्वितीय पुजविर्ष जोडने । अवशेष एक भाग तृतीय पुजविर्षे जोडना। ऐसैं साधिक त्रिभागमात्र प्रथम पुज सो अपनी अपनी प्रथम संग्रह कृष्टिका द्रव्य है। किंचिदून त्रिभागमात्र द्वितीय पुज सो अपनी अपनी द्वितीय संग्रह कृष्टिका द्रव्य है। किंचिदून त्रिभागमात्र तृतीय पुज सो अपनी अपनी तृतीय संग्रह कृष्टिका द्रव्य है। बहुरि नोकषायसम्बंधी सर्व द्रव्यकौं क्रोधको तृतीय संग्रह कृष्टि विषै मिलावना। या प्रकार कृष्टिसम्बन्धी सर्व द्रव्यकौं चौईसका भाग दीएं क्रोधकी तृतीय कृष्टिका तेरह भागमात्र अर अन्य ग्यारह कृष्टिनिका एक एक भागमात्र द्रव्य हो है। तहां लोभकी कृष्टिविर्षे साधिकपना अन्यत्र किंचित् न्यूनपना यथासम्भव जानना। ऐसे द्रव्यका विभाग कीया। बहुरि याही प्रकार अब कृष्टिके प्रमाणका विभाग करिए है
एक स्पर्धाककी वर्गणा शलाकाके अनंतवे भागमात्र सर्व कृष्टिनिका प्रमाण है। ताकौं आवलीके असंख्यातवां भागका भाग दीएं तहां बहुभागके समान दोय भागकरि अवशेष एक भागकौं प्रथम समान भागविषै मिलाएं साधिक आधा तौ कषायनिके द्रव्यकरि कीया कृष्टिनिका प्रमाण हो है अर द्वितीय समान भागमात्र किंचिदून आधा नोकषायनिके द्रव्यकरि कीया कृष्टिनिका प्रमाण हो है। बहुरि कषायसम्बन्धी कृष्टिनिके प्रमाणकौं आवलीका असंख्यातवां भागका भाग देइ तहां एक भाग जुदा राखि बहुभागनिके समानरूप च्यारि भाग करने । बहुरि अवशेष एक भागकौं आवलीका असंख्यातवां भागका भाग देइ तहां बहुभाग प्रथम समान भागविषै मिलाएं साधिक चौथा भागमात्र लोभकी कृष्टिनिका प्रमाण हो है। बहुरि अवशेष एक भागकों आवलीका असंख्यातवां भागका भाग दीएं तहां बहभाग दुसरे समान भागविषै मिलाएकिंचिदून चतुर्थ भागमात्र मायाकी कृष्टिनिका प्रमाण हो है। बहुरि अवशेष एक भागकौं आवलीका असंख्यातवां भागका भाग देइ तहां बहुभाग तीसरा समान भागविषै मिलाएकिंचिदून चौथा
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