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ज्ञानमीमांसा
३०१ शेषवत-शेषवत् अनुमान पांच प्रकार का है-कार्य से कारण का अनुमान, कारण से कार्य का अनुमान, गुण से गुणी का अनुमान, अवयव से अवयवी का अनुमान और आश्रित से आश्रय का अनुमान। . शब्द से शंख का, ताड़न से भेरी का, ढक्कित से वृषभ का, केकायित से मयूर का, हेषित से अश्व का, गुलगुलायित से गज का, घणघणायित से रथ का अनुमान कार्य से कारण का अनुमान है।
तन्तु से ही पट होता है, पट से तन्तु नहीं, मृत्पिण्ड से ही घट बनता है, घट से मृत्पिण्ड नहीं इत्यादि कारणों से कार्यव्यवस्था करना कारण से कार्य का अनुमान है ।
निकष से सुवर्ण का, गन्ध से पुष्प का, रस से लवण का, आस्वाद से मदिरा का, स्पर्श से वस्त्र का अनुमान गुण से गुणी का अनुमान है।
सींग से भैंसे का, शिखा से कुक्कुट का, दाँत से हाथी का, दाढ़ से वराह का, पिच्छ से मयूर का, खुर से घोड़े का, नख से व्याघ्र का, केश से चमरी गाय का, पूछ से बन्दर का, दो पैर से मनुष्य का, चार पैर से पशु का, बहुत पैर से गोजर आदि का, केसर से सिंह का, ककुभ से वृषभ का, वलयवाली भुजा से महिला का, परिकरबन्ध से योद्धा का, अधोवस्त्र-लहँगे से नारी का अनुमान अवयव से अवयवी का अनुमान है।
धूम से वह्नि का, बलाका से पानी का, अभ्रविकास से वृष्टि का, शीलसमाचार से कुलपुत्र का अनुमान आश्रित से आश्रय का अनुमान है। __ ये पांच भेद अपूर्ण मालूम होते हैं। कारण और कार्य को लेकर दो भेद कर दिए किन्तु गुण और गुणी, अवयव और
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