Book Title: Jain Dharma Darshan Ek Samikshatmak Parichay
Author(s): Mohanlal Mehta
Publisher: Mutha Chhaganlal Memorial Foundation Bangalore
________________
जैन धर्म-दर्शन
पृष्ठ
२४०
१८, २२
शब्द
पृष्ठ शब्द भोक्तृत्व
४४८ मरण विभत्ति भोगभूमि
२४१ मरणविशोधि भोगान्तराय ४७२, ४७६ मरणसमाधि ५४, ५६ भौतिकवाद
४२२
मरणसमाहि मंत्रभेद
मरणाशंसाप्रयोग ५६० मगर
मलधारी हेमचंद्र ___५८, ६८ मज्झिमनिकाय
मलयगिरि
५८, ७१ मति
२५२, २७३
मल्लकी मतिज्ञान २५२, २६७, २७३
मल्लवादी मतिज्ञानावरण
४६२ मथरा
मल्लिनाथ मध्यलोक
मल्लिषेण मन २०२, २०३, २५५ महाकम्मपयडिपाहुड मनःपर्यय २८३, ४६२ महाकर्मप्रकृतिप्रामृत ५६, मनःपर्ययज्ञान २८०, २८३ महाकाल
२३५ मन:पर्यव ४६२ महाकाली
२३६ मनःपर्याय-ज्ञानावरण ४६२ महाघोष
२३५ मनुज २४० महातमःप्रभा
२२६ मनुष्य
२४० महादेवी मनुष्यक्षेत्र
२३३ - महाधवल मनुष्यलोक
२३३ महानिशीथ ४६, ५२, ५५ मनुष्यायु
४६६ महापच्चक्खाण मनोदुष्प्रणिधान ५५३ महापरिज्ञा
२४ मनोवर्गणा
२०२ महाप्रत्याख्यान ५४, ५५, ५६ मरण
२०२, ५३१ महाबंध मरणविभक्ति ५६ महाभारत
४१७
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 607 608 609 610 611 612 613 614 615 616 617 618 619 620 621 622 623 624 625 626 627 628 629 630 631 632 633 634 635 636 637 638 639 640 641 642 643 644 645 646 647 648 649 650 651 652 653 654 655 656 657 658