Book Title: Jain Dharma Darshan Ek Samikshatmak Parichay
Author(s): Mohanlal Mehta
Publisher: Mutha Chhaganlal Memorial Foundation Bangalore
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शब्द
रूप्यकला
रेवत
रोग
रोहित
रोहितास्या लक्ष्मीदेवी
लघीयस्त्रय
लघु सर्वंश सिद्धि
लब्ध्यक्षर
लवण समुद्र
लांतव
लाढ़
लाभान्तराय
लासेन
लेच्छको
लोंच
लोक लोकतत्त्वनिर्णय
लोकपाल
लोकविजय
लोकसार
लोकांतिक
लोकाकाश
लोभ
वंदना
वज्र
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अनुक्रमणिका
पृष्ठ
२३२
८
२७
२३२
२३२
७१
८३
८६
२७१
२३०
२३३
१३
४७२, ४७५
१०७
૨૪
५३०
११३, २२६
८५
शब्द
वज्रभूमि
वट्टकेराचार्य
वहिदसा
वध
वनस्पतिसप्तति
वप्पदेव
वरुण
वर्णं
वर्तना
वस्त्रमर्यादा
वस्त्रेषणा
वाग्दुष्प्रणिधान
वाचना
वाणी
वातकुमार
वादविजय
वर्द्धमानसूरि
वर्धमान १०, १२, २४०, २७८
वर्षावास
५२५, ५२८
वलभी
२२, २३
५२३
२८
५५३
५२६
२३८
२४
२४
२३६
२१३
४६५ वामन
५१५ वामा
२४०
वादार्थनिरूपण
वादिदेवसूरि
वादिराज
वाराणसी
५६७
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पृष्ठ
१३
६८
४१
५३५
६८
६७
२४०
१७६, ४६७
२१६
६८
२०२
२३७
६२
६४
८६, १६१
८७
२४०
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