Book Title: Jain Dharma Darshan Ek Samikshatmak Parichay
Author(s): Mohanlal Mehta
Publisher: Mutha Chhaganlal Memorial Foundation Bangalore

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Page 653
________________ ६३८ ... जैन धर्म-दर्शन ... मन्त्री, सेनापति तथा राज्य के विविध अधिकारियों एवं प्रशासकों के कर्तव्यों और अधिकारों का निर्देश है । इसे लघु-अर्हन्त्रीति भी कहते हैं। इन महत्त्वपूर्ण कृतियों के अतिरिक्त बीतरागस्तोत्र, महादेवस्तोत्र, द्विजवदनचपेटिका, अहनामसहस्त्रसमुच्चय आदि के रचयिता भी आचार्य हेमचन्द्र ही हैं । इनका ज्ञान बहुमुखी था, इनकी प्रतिभा विलक्षण थी । श्रमण, मई १९७७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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