Book Title: Jain Dharma Darshan Ek Samikshatmak Parichay
Author(s): Mohanlal Mehta
Publisher: Mutha Chhaganlal Memorial Foundation Bangalore

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Page 654
________________ महावीर ब्राह्मण थे, क्षत्रिय नहीं कल्पसूत्र में भगवान् महावीर के जीवन का जो चित्रण किया गया है उसमें बताया गया है कि शक्रेन्द्र के आदेश से हारनेगमेषी देव ने नर्भस्य महावीर को देवानन्दा ब्राह्मणी की कुक्षि से निकालकर विशला क्षत्रियाणी की कुक्षि में स्थापित किया एवं त्रिशला के गर्भ को देवानन्दा की कुक्षि में पहुँचाया । इस गर्भ-परिवर्तन का कारण बताते हुए सूत्रकार ने लिखा है कि चूंकि आरेहंत भगवंत इस प्रकार के अन्तकुल, प्रान्तकुल, तुच्छकुल, कृपणकुल, दरिद्रकुल, भिक्षुककुल यावत् ब्राह्मणकुल में जन्म नहीं लेते अपितु उनकुल, भोगकुल, राजन्यकुल, ज्ञातूकुल, क्षत्रियकुलं, इक्ष्वाकुकूल, हरिवंशकुल एवं इसी प्रकार के अन्य विशुद्ध जाति-कुल-वंश में जन्म ग्रहण करते हैं। अतः शक्रेन्द्र ने महावीर के गर्भस्थ पिण्ड को ब्राह्मणी देवानन्दा की कुक्षि से निकलवाकर क्षत्रियाणी त्रिशला की कुक्षि में पहुँचवा दिया।' आचारांग में भी इस घटना का उल्लेख हुआ है किन्तु उसमें न तो हरिनैगमेषी का नाम ही आया है और न गर्भ परिवर्तन का कोई विशेष कारण ही बताया है। भगवतीसूत्र (व्याख्याप्रज्ञप्ति) में समवसरण में स्वयं भगवान महावीर के मुख से यह कहलाया गया है कि यह देवानन्दा मेरी जानी है अर्थात् मैं इसका आत्मज हूँ। इसीलिए मुझे देखकर इसके स्तन दूध से भर गये हैं और इसे हर्षरोमांच हो गया है। जैन आगमों में उपलब्ध इन उल्लेखों को देखकर मन में अनेक प्रश्न उत्पन्न होते हैं। अन्य प्रश्नों को एक और रखकर यहां पर मुख्यरूप से इस प्रश्न पर विचार किया जाएगा कि महावीर के वास्तविक पिता और माता अर्थात् जनक एवं जननी कौन हैं ? क्या भगवतीसूत्र के उल्लेखानुसार देवानन्दा ब्राह्मणी महावीर की वास्तविक जननी यानी महावीर को जन्म देनेवाली माता है अथवा आचारांग १. कल्पसूत्र, सू..२०-२७ २- आचाराग, २.१७६ : ३ - भगवतीसूत्र, सू. ३८१ :... 3. . ... Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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