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जैन धर्म-दर्शन ...
मन्त्री, सेनापति तथा राज्य के विविध अधिकारियों एवं प्रशासकों के कर्तव्यों और अधिकारों का निर्देश है । इसे लघु-अर्हन्त्रीति भी कहते हैं।
इन महत्त्वपूर्ण कृतियों के अतिरिक्त बीतरागस्तोत्र, महादेवस्तोत्र, द्विजवदनचपेटिका, अहनामसहस्त्रसमुच्चय आदि के रचयिता भी आचार्य हेमचन्द्र ही हैं । इनका ज्ञान बहुमुखी था, इनकी प्रतिभा विलक्षण थी ।
श्रमण, मई १९७७
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