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जैन धर्म-दर्शन ८-१०. चतुष्प्रदेशी स्कन्ध के समान हैं। ११ दो या तीन देश आदिष्ट हैं सद्भावपर्यायों से और दो या
तीन देश आदिष्ट हैं तदुभयपर्यायों से, अतएव पंचप्रदेशी स्कन्ध ( दो या तीन ) आत्माएं हैं और ( दो या तीन )
अवक्तव्य हैं। १२-१४. चतुष्प्रदेशी स्कन्ध के समान समझना चाहिए। १५. दो या तीन देश आदिष्ट हैं असद्भावपर्यायों से और दो या
तीन देश आदिष्ट हैं तदुभयपर्यायों से, अतएव पंचप्रदेशी स्कन्ध (दो या तीन) आत्माएं नहीं हैं और ( दो या
तीन ) अवक्तव्य हैं। १६. चतुष्प्रदेशी स्कन्ध के समान है। १७. एक देश सद्भावपर्यायों से आदिष्ट है, एक देश असद्भाव
पर्यायों से आदिष्ट है और अनेक देश तदुभयपर्यायों से आदिष्ट हैं, अतः पंचप्रदेशी स्कन्ध आत्मा है, नहीं है
और ( अनेक ) अवक्तव्य हैं। १५. एक देश सद्भावपर्यायों से आदिष्ट है, अनेक देश अस
द्भावपर्यायों से आदिष्ट हैं और एक देश तदुभयपर्यायों से आदिष्ट है, अतः पंचप्रदेशी स्वन्ध आत्मा है, ( अनेक )
आत्माएं नहीं हैं और अवक्तव्य है। १६ एक देश सद्भावपर्यायों से आदिष्ट है, दो देश असद्भाव
पर्यायों से आदिष्ट हैं और दो देश तदुभयपर्यायों से आदिष्ट हैं, अतः पंचप्रदेशी स्कन्ध आत्मा है, (दो) आत्माएं
नहीं हैं और (दो) अवक्तव्य हैं। २० अनेक देश आदिष्ट हैं सद्भावपर्यायों से, एक देश आदिष्ट
है असद्भावपर्यायों से और एक देश आदिष्ट है तदुभय
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